रांची: झारखंड विधानसभा सौर ऊर्जा से जगमग होना था. इसके लिए सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च किए. योजना यह थी कि इसके माध्यम से ना केवल विधानसभा परिसर रोशन होगा बल्कि कार्यालय के कामकाज के लिए भी सौर ऊर्जा का उपयोग किया जाएगा. इसके लिए 300 केवीए के दो सोलर पावर सिस्टम लगाए गए हैं, जो जरूरत के हिसाब से पावर सप्लाई करेगा. इसके साथ-साथ विधानसभा में पारंपरिक बिजली की भी व्यवस्था रहेगी है जो विधानसभा परिसर और सभा सचिवालय को रोशन करने का काम करता है.
झारखंड विधानसभा में लगभग 500 केवीए बिजली की आवश्यकता होती है. यहां निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए हर जगह सौर उर्जा और पारंपरिक बिजली दोनों की सुविधा रखी गई है. बिजली कटने पर सौर उर्जा से ऑटोमेटिक पावर सप्लाई होने की व्यवस्था है. इसके अलावा सोलर सिस्टम काम नहीं करने पर ऑटोमेटिक पारंपरिक बिजली आपूर्ति हो इसकी भी व्यवस्था की गई है. मगर यहां लगा सोलर सिस्टम इन दिनों सही से काम नहीं कर पा रहा है. ऑपरेटर नसीम की मानें तो यूपीएस में खराबी आने के कारण करीब 100 केवीए का एक यूनिट कई महीनों से बंद है जिससे यहां रखा लाखों रुपए की बैटरी यूं ही पड़ी हुई है. इतना ही नहीं सोलर सिस्टम में आई तकनीकी खराबी के कारण लोड भी कम कर दिया गया है.
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राज्य सरकार की प्राथमिकता में सौर उर्जा है जिसके माध्यम से हर सरकारी दफ्तर जगमग होगा. इसके लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं. मगर मेंटिनेंस के अभाव में ऊर्जा का यह वैकल्पिक श्रोत दम तोड़ रहा है. रिम्स के बाद विधानसभा में सोलर सिस्टम की खराब स्थिति पर दुख जताते हुए भाजपा विधायक समरीलाल ने कहा कि इसकी चर्चा सत्र के दौरान भी हुई थी. सरकार को चाहिए कि सिर्फ लगा देने से नहीं बल्कि उसका मेंटेनेंस की भी जरूरत होती है. संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने भी विधानसभा में सोलर सिस्टम में आई खराबी पर कहा है कि यह संज्ञान में आया है और स्पीकर महोदय जरूर इसपर ध्यान देंगे. झामुमो नेता मनोज पांडे ने भी इसे गंभीर मानते हुए जल्द से जल्द इसे दुरुस्त करने की मांग की है.
465 करोड़ की लागत से बने तीन मंजिला विधानसभा भवन का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर 2019 में उद्घाटन किया था. करीब 39 एकड़ में बना झारखंड विधानसभा के अत्याधुनिक सुविधा से लैस होने की बात कही गई थी. जिसमें सोलर सिस्टम के साथ साथ पेपरलेस व्यवस्था होने की बात कही गई थी. मगर दुखद पहलू यह है कि इस बिल्डिंग की गुणवत्ता को लेकर हमेशा सवाल खड़े होते रहते हैं.