रांचीः जातिगत जनगणना को लेकर केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में भले ही स्थिति स्पष्ट करते हुए जाति आधारित जनगणना नहीं कराने की बात कही गई हो मगर इसको लेकर राजनीति जारी है. जातिगत जनगणना की मांग को लेकर सर्वदलीय शिष्टमंडल 26 सितंबर को शाम 4 बजे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात करने वाली है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में दिल्ली जा रहे शिष्टमंडल में भाजपा को छोड़कर विभिन्न दलों के नेता शामिल हैं.
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इस शिष्टमंडल में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अलावा आजसू प्रमुख सुदेश महतो, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, माले विधायक विनोद सिंह, सीपीआई से भुनेश्वर प्रसाद मेहता, सीपीएम से सुरेश मुंडा, झामुमो से मिथिलेश ठाकुर समेत कई नेताओं का नाम शामिल है. अन्य राज्यों की तरह झारखंड में भी इस वर्ष हो रहे सेंसस में जातिगत जनगणना कराने की मांग की जा रही है. विधानसभा में मानसून सत्र के दौरान यह मामला उठा था, जिसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष सर्वदलीय शिष्टमंडल के जरिए मांग रखने की घोषणा की थी.
लेकिन पीएमओ से समय नहीं मिलने के वजह से अब तक झारखंड का सर्वदलीय शिष्टमंडल ने अपनी बात केंद्र तक नहीं पहुंचा पाया था. पीएम से समय नहीं मिलने के बाद विकल्प के तौर पर केंद्रीय गृहमंत्री से रविवार को मुलाकात का समय मिलने की सूचना है.
जातिगत जनगणना पर भाजपा की चुप्पी पर सियासत तेज
सर्वदलीय शिष्टमंडल से भाजपा का किनारा किए जाने के बाद सियासत तेज हो गयी है. सत्तारूढ़ दल झामुमो कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधते हुए बीजेपी से इसके पीछे के कारण को सार्वजनिक करने की मांग की है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और हेमंत सरकार के कैबिनेट मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा है कि आखिर क्या वजह है जो भाजपा जातिगत जनगणना नहीं कराने के पक्ष में है, उसे सार्वजनिक करना चाहिए.
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इस मामले को लेकर कांग्रेस को भी भाजपा को घेरने का मौका मिल गया है. कांग्रेस नेता शमशेर आलम ने भाजपा पर वोट बैंक खिसकने का डर होने का आरोप लगाते हुए जातिगत जनगणना की मांग में शामिल नहीं होने का आरोप लगाया है. इन सबके बीच सर्वदलीय शिष्टमंडल में भले ही भाजपा अनुपस्थित हो मगर उसके सहयोगी आजसू के शामिल होने से भाजपा विरोधी दलों को जरूर मजबूती प्रदान किया है.