रांची: झारखंड अलग राज्य गठन के 20 साल पूरे होने को है, लेकिन झारखंड आंदोलनकारियों को उनके अधिकार से आज भी वंचित रखा जा रहा है. झारखंड आंदोलनकारी अपनी मान सम्मान स्वाभिमान और पहचान के सवाल को लेकर लगातार सरकार का ध्यान आकर्षित करने का काम कर रहे हैं, लेकिन जो भी सरकार आई झारखंड के आंदोलनकारियों को सिर्फ आश्वासन ही दी.
झारखंड आंदोलनकारियों के त्याग, बलिदान और लंबे संघर्ष के परिणाम स्वरूप झारखंड अलग राज्य का गठन हुआ है. झारखंड आंदोलनकारियों ने अपने संघर्ष काल में अनेक तरह की अपेक्षाएं तमाम यातनाएं झेली हैं. कई आंदोलनकारियों का पलायन हुआ तो कई आंदोलनकारी गुमनामी के जीवन जीने को मजबूर हैं तो कई हास्य में चले गए हैं. झारखंड आंदोलनकारियों की मांग है कि जितने भी झारखंड राज्य अलग करने को लेकर अपने योगदान दिए हैं उन्हें राज्य सरकार चिन्हित करें और उन्हें एक पहचान दें ताकि उन्हें गुमनाम जीवन नहीं जीना पड़े.
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वहीं, उत्तराखंड में जिस तरीके से राज्य आंदोलनकारियों को पेंशन दी जा रही है. उसी के तहत में झारखंड के आंदोलनकारियों को भी पेंशन दिया जाए. झारखंड आंदोलनकारियों को स्वतंत्रा सेनानी का दर्जा दिया जाए. राज्य स्तरीय समारोह आयोजन कर विशेष पहचान देकर आंदोलनकारियों को सम्मानित किया जाए. इसके साथ ही झारखंड आंदोलनकारियों को 50,000 सम्मान पेंशन दिया जाए. इस तरह से झारखंड आंदोलनकारियों के कई मांगें हैं, जिन पर सरकार का ध्यान आकर्षित झारखंड आंदोलनकारी कराना चाहते हैं.