रांची: एक बात स्पष्ट हो गई है कि निकट भविष्य में झारखंड के सरकारी स्कूल नहीं खुलने जा रहे हैं. जब अनलॉक वन की प्रक्रिया शुरू हुई थी, तब जून माह से सरकारी स्कूलों के खुलने की तैयारी जोर शोर से चल रही थी. लेकिन कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर सरकार कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है.
झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के निदेशक उमाशंकर सिंह ने इस ओर इशारा किया है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 को लेकर जिस तरह के हालात बनते जा रहे हैं, उसे देखते हुए बच्चों के जीवन को रिस्क में कतई नहीं डाला जा सकता. वैसे जुलाई के अंत में या फिर अगस्त माह में हालात की समीक्षा जरूर की जाएगी लेकिन जिस तरह के रिपोर्ट सामने आ रहे हैं उसे देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि स्कूल कब खुलेंगे.
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शत प्रतिशत छात्रों तक पुस्तकों का वितरण नहीं किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि बच्चों के अटेंडेंस और जिला स्तर पर मांग के आधार पर ही पुस्तकों का वितरण किया जाता है और यह काम पूरा भी कर लिया गया है. उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ रिमोट इलाकों में बच्चों तक पुस्तके नहीं पहुंची होंगी. इस दिशा में जिलावार डिटेल लेकर सुनिश्चित करा दिया जाएगा. कोविड-19 की वजह से सरकारी स्कूल की शिक्षा व्यवस्था बाधित है. अलग-अलग डिजिटल माध्यम से सरकारी स्कूल के बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने की कोशिश की जा रही है लेकिन इस राह में कई रोड़े आ रहे हैं. उमाशंकर सिंह ने कहा कि गांव, टोला और मोहल्ला स्तर पर बच्चों को चिन्हित कर अलग-अलग माध्यम से पठन-पाठन सुनिश्चित कराने की कवायद चल रही है.
पारा शिक्षकों का स्थायीकरण का मसला
पारा शिक्षकों के लंबित मानदेय और स्थायीकरण के मसले पर उन्होंने कहा कि मई माह का मानदेय बहुत जल्द रिलीज हो जाएगा और जहां तक स्थायीकरण का मसला है तो इस पर बनी कमेटी में कई बिंदुओं पर सहमति बन चुकी है. पारा शिक्षकों को स्थाई करने के लिए टेट परीक्षा से गुजरना होगा या फिर वैकल्पिक परीक्षा की व्यवस्था होगी, इसको लेकर चर्चा चल रही है. उन्होंने कहा कि सरकार नहीं चाहती कि पारा शिक्षकों के स्थायीकरण प्रक्रिया के दौरान कोई कानूनी अड़चन पैदा हो, इसे ध्यान में रखते हुए महाधिवक्ता से भी सलाह ली जा रही है.