रांची: जिला के बेड़ो प्रखंड मुख्यालय में स्थित प्राचीन महादानी मंदिर परिसर में जतरा का आयोजन किया गया. इस दौरान आदिवासी अपने पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य करते हुए शिवलिंग की पूजा की.
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जतरा पूजा में मंदिर के गुंबद पर नृत्य
जतरा पूजा के दौरान रीति-रिवाज के अनुसार पूजा की गई, भगवान शिव और पार्वती को प्रसन्न करने के लिए बुधवा पाहन ने हाथ में आम का पल्लव लेकर महादानी मंदिर के उपर गुंबद पर चढ़ कर पारंपरिक नृत्य करते हुए कलश की परिक्रमा कर भगवान से सभी के कुशल मंगल के लिए कामना की.
चावल से बने पीठा का लगता है भोग
पूजा से एक दिन पहले भगवान शिव और पार्वती जिन्हें आदिवासी गोयंदा और गोयन्दी के नाम से संबोधित करते हैं उनको चावल से बने पीठा का भोग लगाया जाता है. इस दौरान मंदिर परिसर में बेड़ो, तेतर टोली, टिकरा टोली, गायत्री नगर, अम्बा टोली करंजटोली, बारीडीह गांव के लोग कलश के साथ मंदिर पहुंचते हैं और पारंपरिक नृत्य गान के साथ भगवान की पूजा करते हैं.
भोग से प्रसन्न होते हैं भगवान भोलेनाथ
ग्रामीणों में ये मान्यता है कि खेतों में फसल काटने के बाद पहला भोग भगवान भोलेनाथ महादानी बाबा को लगाने से महादानी बाबा प्रसन्न होकर सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
मृतकों का अस्थि कलश विसर्जित
जतरा के दौरान आदिवासी परिवार ने पिछले एक साल में अपने घर में मृत लोगों की अस्थि को कलश में रखकर विसर्जित किया, साथ ही कुंडी में अवस्थित पुलखी पत्थर में धागा बांधकर उसना चावल, सिंदूर, शराब, दूध, शरबत समेत पवित्र जल को समर्पित किया गया. जिसके बाद महादानी मंदिर में संध्या हड़बोड़ी, बूढ़ा जतरा का आयोजना किया. पूजा के आयोजन में पुजार पंचम तिर्की, छोटा पुजार, शनिका उरांव, राकेश भगत, सुका उरांव बारीडीह , चरवा उरांव, जामटोली, बुदा पाहन आदि का योगदान रहा.