रांची: मरांग गोमके ग्रेट लीडर जयपाल सिंह मुंडा की जयंती को लेकर झारखंड में तैयारियां चल रही है. हर बार जयंती के अवसर पर उनके स्मृतियों से जुड़ा पुराने जयपाल सिंह स्टेडियम पर लोग पहुंचते हैं. साफ-सफाई करते हैं और उनको हक और सम्मान देने के लिए आंदोलन करने की बात कहते हैं, लेकिन जयंती के अलावा अन्य दिनों पर कोई इस स्टेडियम की ओर झांकने तक नहीं आता है. यह दुर्भाग्य की बात है.
हॉकी की नर्सरी झारखंड ने इस देश को कई हॉकी खिलाड़ी दिए हैं, लेकिन जयपाल सिंह मुंडा जैसा खिलाड़ी इस राज्य को अब तक नहीं मिल पाया है. मरांग गोमके के नाम से मशहूर जयपाल सिंह मुंडा झारखंड के पहले ओलंपियन थे. उनकी कप्तानी में भारत ने 1928 ओलंपिक में पहला स्वर्ण पदक जीता था. जयपाल सिंह मुंडा राजधानी रांची के कचहरी के समीप जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम में खेले भी हैं और खिलाड़ियों को हॉकी के गुर भी सिखाए हैं, लेकिन आज वह स्टेडियम बदहाली का रोना रोने को मजबूर है. जयपाल सिंह मुंडा के जन्म दिवस के अवसर पर लोग इस स्टेडियम में आते हैं और इसके जीर्णोद्धार की बात करते हैं. उनके जयंती के एक दिन पहले तो यहां कई राजनीतिक संगठनों सामाजिक संगठनों का जमावड़ा रहता है. लोग हर बार आंदोलन करने की बात करते हैं. अन्य दिनों में इस स्टेडियम की हालत और बदतर होती है. यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है, लेकिन इस ओर कोई झांकने वाला नहीं होता है.
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जयपाल सिंह मुंडा की जयंती
जनवरी को एक बार फिर जयपाल सिंह मुंडा को याद किया जाएगा. उनकी जयंती मनाई जाएगी और अन्य वर्षों की तरह इस वर्ष भी जयंती के 1 दिन पहले कचहरी स्थित इस पुराने स्टेडियम परिसर पर लोग पहुंचे और आंदोलन करने की बात कह डाली. इस पूरे मामले को लेकर हमारी टीम ने ऐसे ही लोगों से बातचीत की है और यह जानने की कोशिश भी की है कि आखिर इतने दिन तक आप कहां सोये हुए रहे. इससे पहले भी आंदोलन किया जा सकता था. इसके बाद भी आंदोलन की रूपरेखा तय की जा सकती थी, लेकिन 1 दिन पहले यहां दिखावा के लिए साफ-सफाई आखिर क्यों? मामले को लेकर उन्होंने अपनी अपनी प्रतिक्रिया दी है, लेकिन सवाल बार-बार उठ रहा है कि आखिर अब तक क्यों स्टेडियम को कायाकल्प नहीं किया गया. उनके स्मृतियों को संजोने के लिए अब तक इस स्टेडियम का जीर्णोद्धार को लेकर कोई कदम क्यों नहीं उठाया गया.