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राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारेगा ISRO! जीआईएस सिस्टम होगा मददगार

डीएसपीएमयू के जियोग्राफी विभाग द्वारा एक बेहतरीन काम किया जा रहा है. इस विभाग ने डाटा एनालिसिस कर ट्रैफिक मैनेजमेंट सुधारने की पहल की है. इसके तहत विभाग द्वारा जियोग्राफिकल इनफॉरमेशन सिस्टम डेवलप किया गया है.

राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारेगा ISRO
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Published : Sep 25, 2019, 8:20 PM IST

रांची: साल 2017 में आरयू के रांची कॉलेज से अलग होकर डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय बना. इन 2 सालों में डीएसपीएमयू द्वारा सामाजिक कार्यों के अलावा विद्यार्थियों की पढ़ाई से जुड़े कई बेहतरीन काम किए गए हैं. इसको लेकर डीएसपीएमयू के जियोग्राफी विभाग द्वारा एक बेहतरीन काम किया जा रहा है. इस विभाग ने डाटा एनालिसिस कर ट्रैफिक मैनेजमेंट सुधारने की पहल की है. इसके तहत विभाग द्वारा जियोग्राफिकल इनफॉरमेशन सिस्टम डेवलप किया गया है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

डीएसपीएमयू के ज्योग्रॉफी डिपार्टमेंट के प्रोफेसरों का कहना है कि जीआईएस के जरिए ट्रैफिक मैनेजमेंट किया जा सकता है. राजधानी रांची की ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए यह सिस्टम काफी सही साबित होगा. हालांकि, इससे पहले ऑन द स्पॉट जाकर रिसर्च करने की जरूरत है. उसके बाद गूगल मैप के आलावा इसरो से भी डेटा लेकर संबंधित विभाग को जीआईएस अलर्ट करता है. लाइव अपडेट के लिए प्राइमरी डेटा को जनरेट करना पड़ेगा और इसके लिए ऑन द स्पॉट सर्वे जरूरी है.

ये भी पढ़ें- अवैध संबंध बनाते पकड़े गए अधेड़ प्रेमी युगल, ग्रामीणों ने बंधक बनाया

हालांकि, सेकेंडरी डेटा उपलब्ध है. विभाग इसे लेकर लगातार रिसर्च कर रहा है. इस तकनीक के माध्यम से महीने में एक बार ट्रैफिक व्यवस्था का नया प्लान दिया जा सकता है. जीआईएस टेक्नॉलॉजी बेतरतीब ट्रैफिक स्पॉट, एक्सीडेंटल प्वॉइंट, लोगों के अधिक मूवमेंट की जगह का पता लगाता है. इसे मैनेज करने के लिए यह सिस्टम काफी सहयोग कर सकता है. इसकी सही जानकारी संबंधित विभाग को उपलब्ध कराने के बाद विभाग अपने स्तर पर कार्रवाई कर सकते हैं. जीआईएस रिमोट सिस्टम द्वारा अधिक ट्रैफिक वाले स्थानों का रियल टाइम डेटा एनालिसिस किया जा सकता है.

रांची: साल 2017 में आरयू के रांची कॉलेज से अलग होकर डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय बना. इन 2 सालों में डीएसपीएमयू द्वारा सामाजिक कार्यों के अलावा विद्यार्थियों की पढ़ाई से जुड़े कई बेहतरीन काम किए गए हैं. इसको लेकर डीएसपीएमयू के जियोग्राफी विभाग द्वारा एक बेहतरीन काम किया जा रहा है. इस विभाग ने डाटा एनालिसिस कर ट्रैफिक मैनेजमेंट सुधारने की पहल की है. इसके तहत विभाग द्वारा जियोग्राफिकल इनफॉरमेशन सिस्टम डेवलप किया गया है.

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डीएसपीएमयू के ज्योग्रॉफी डिपार्टमेंट के प्रोफेसरों का कहना है कि जीआईएस के जरिए ट्रैफिक मैनेजमेंट किया जा सकता है. राजधानी रांची की ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए यह सिस्टम काफी सही साबित होगा. हालांकि, इससे पहले ऑन द स्पॉट जाकर रिसर्च करने की जरूरत है. उसके बाद गूगल मैप के आलावा इसरो से भी डेटा लेकर संबंधित विभाग को जीआईएस अलर्ट करता है. लाइव अपडेट के लिए प्राइमरी डेटा को जनरेट करना पड़ेगा और इसके लिए ऑन द स्पॉट सर्वे जरूरी है.

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हालांकि, सेकेंडरी डेटा उपलब्ध है. विभाग इसे लेकर लगातार रिसर्च कर रहा है. इस तकनीक के माध्यम से महीने में एक बार ट्रैफिक व्यवस्था का नया प्लान दिया जा सकता है. जीआईएस टेक्नॉलॉजी बेतरतीब ट्रैफिक स्पॉट, एक्सीडेंटल प्वॉइंट, लोगों के अधिक मूवमेंट की जगह का पता लगाता है. इसे मैनेज करने के लिए यह सिस्टम काफी सहयोग कर सकता है. इसकी सही जानकारी संबंधित विभाग को उपलब्ध कराने के बाद विभाग अपने स्तर पर कार्रवाई कर सकते हैं. जीआईएस रिमोट सिस्टम द्वारा अधिक ट्रैफिक वाले स्थानों का रियल टाइम डेटा एनालिसिस किया जा सकता है.

Intro:रांची।

वर्ष 2017 में आरयू के रांची कॉलेज अलग होकर डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय बना और इन 2 वर्षों में डीएसपीएमयू द्वारा समाजिक कार्यों के अलावे विद्यार्थियों के पठन-पाठन से जुड़े कई बेहतरीन काम किए गए हैं. इसी कड़ी में डीएसपीएमयू के जियोग्राफी विभाग द्वारा एक बेहतरीन काम किया जा रहा है. इस विभाग ने डाटा एनालिसिस कर ट्रैफिक मैनेजमेंट सुधारने की पहल की है. इसके तहत विभाग द्वारा ज्योग्राफिकल इनफॉरमेशन सिस्टम डेवेलोप किया गया है.


Body:डीएसपीएमयू के ज्योग्राफी डिपार्टमेंट के प्रोफेसरों का कहना है कि जीआईएस के जरिए ट्रेफिक मैनेजमेंट किया जा सकता है. राजधानी रांची के ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए यह सिस्टम काफी सही साबित होगा. हालांकि इससे पहले ऑन द स्पॉट जाकर रिसर्च करने की जरूरत है .उसके बाद गूगल मैप के आलावे इसरो से भी डेटा लेकर संबंधित विभाग को जीआईएस अलर्ट करता है .लाइव अपडेट के लिए प्राइमरी डाटा को जनरेट करना पड़ेगा और इसके लिए ऑन द स्पॉट सर्वे जरूरी है. हालांकि सेकेंडरी डेटा उपलब्ध है .विभाग इसे लेकर लगातार रिसर्च कर रहा है .इस तकनीक के माध्यम से महीने में एक बार ट्रैफिक व्यवस्था का नया प्लान दिया जा सकता है .जीआईएस टेक्नोलॉजी बेतरतीब ट्रेफिक स्पॉट, एक्सीडेंटल पॉइंट, लोगों के अधिक मूवमेंट की जगह का पता लगाता है और इसे ही मैनेज करने के लिए यह सिस्टम काफी सहयोग कर सकता है. इसकी सही जानकारी संबंधित विभाग को उपलब्ध कराने के बाद विभाग अपने स्तर पर कार्रवाई कर सकते हैं .जीआईएस रिमोट सिस्टम द्वारा अधिक ट्रैफिक वाले स्थानों का रियल टाइम डेटा ऐनालाइसिस किया जा सकता है.


Conclusion:डीएसपीएमयू के जियोग्राफी विभाग लगातार पठन-पाठन के अलावे सामाजिक कार्यों में भी भागीदारी निभा रही है. इस विभाग की आगे की योजना है कि ग्राउंड वाटर का आकलन करना. डिपार्टमेंट एक सर्वे के माध्यम से यह बताने में सक्षम है कि किस इलाके में पानी की स्थिति कैसी है .इसमें ग्राउंड वाटर लेवल की वास्तविक स्थिति का पता भी लगाया जा सकता है .इसके लिए विभाग राज्य सरकार से मदद भी मांग रही है .यानी कि जल संचयन को लेकर भी यह विभाग एक सिस्टम बनाया है .अगर इस सिस्टम के तहत काम किया जाए तो वाटर हार्वेस्टिंग जैसे काम सही जगह का आकलन कर किया जा सकता है.

बाइट-अभय कृष्ण सिंह, प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर, जियोग्राफी डिपार्टमेंट, डीएसपीएमयू
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