औरंगाबाद: लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरूआत हो चुकी है. जिले के देवी स्थित ऐतिहासिक सूर्य मंदिर का अपना अलग ही महत्व है. इस मंदिर को दुनिया का इकलौता पश्चिम मुखी सूर्य मंदिर होने का गौरव हासिल है.
3 रूप में स्थापित हैं भगवान सूर्य
मंदिर के पंडित बताते हैं कि देव सूरज मंदिर अति प्राचीन है. इला के पुत्र राजा एल त्रेता युग के 12 लाख 16 हजार वर्ष बीत जाने के बाद इसका निर्माण आरंभ कराया था. भगवान सूर्य इस मंदिर में तीन रूप में स्थापित हैं. ब्रह्मा, विष्णु और महेश.
क्या है मान्यता
वहीं, भविष्य पुराण में भगवान सूर्य के 12 नाम शामिल है.मंदिर के पंडित ने बताया कि राजा एल जन्म से कुष्ठ रोग से ग्रस्ति थे और इसी मंदिर के सूर्य कुंड के किचड़नुमा जल से उनके बीमारी का निवारण हुआ.
मान्यता है कि इस मंदिर में सदियों से लोगों मनोवांछित मिलता आ रहा है. यही कारण है कि कार्तिक महीने के दौरान इस मंदिर में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखने को मिलती है. कार्तिक छठ दौरान यहां दर्शन पूजन की अपनी एक विशिष्ट धार्मिक महत्ता है.
मेले का भी आयोजन
इस दौरान यहां मेले का भी आयोजन किया जाता है. इसके लिए प्रशासन के तरफ से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए. साथ ही घटों पर धर्मशाला, मेडिकल सहायता, पुलिस चौकी, शौचालय, पार्किंग जोन आदि की बेहतर व्यवस्था की गई है.