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दुनिया के इकलौते पश्चिममुखी सूर्य मंदिर की है एक अलग मान्यता, श्रद्धालुओं की उमड़ती है भीड़

देव सूरज मंदिर अति प्राचीन है. इला के पुत्र राजा एल त्रेता युग के 12 लाख 16 हजार वर्ष बीत जाने के बाद इसका निर्माण शुरू कराया था. भगवान सूर्य इस मंदिर में तीन रूप में स्थापित हैं. ब्रह्मा, विष्णु और महेश.

पश्चिममुखी सूर्य मंदिर
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Published : Nov 1, 2019, 8:03 AM IST

औरंगाबाद: लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरूआत हो चुकी है. जिले के देवी स्थित ऐतिहासिक सूर्य मंदिर का अपना अलग ही महत्व है. इस मंदिर को दुनिया का इकलौता पश्चिम मुखी सूर्य मंदिर होने का गौरव हासिल है.

देखें पूरी खबर

3 रूप में स्थापित हैं भगवान सूर्य
मंदिर के पंडित बताते हैं कि देव सूरज मंदिर अति प्राचीन है. इला के पुत्र राजा एल त्रेता युग के 12 लाख 16 हजार वर्ष बीत जाने के बाद इसका निर्माण आरंभ कराया था. भगवान सूर्य इस मंदिर में तीन रूप में स्थापित हैं. ब्रह्मा, विष्णु और महेश.

Sun Temple of Aurangabad, chhath puja in jharkhand, छठ पूजा, छठ महापर्व
पश्चिममुखी सूर्य मंदिर

क्या है मान्यता
वहीं, भविष्य पुराण में भगवान सूर्य के 12 नाम शामिल है.मंदिर के पंडित ने बताया कि राजा एल जन्म से कुष्ठ रोग से ग्रस्ति थे और इसी मंदिर के सूर्य कुंड के किचड़नुमा जल से उनके बीमारी का निवारण हुआ.

मान्यता है कि इस मंदिर में सदियों से लोगों मनोवांछित मिलता आ रहा है. यही कारण है कि कार्तिक महीने के दौरान इस मंदिर में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखने को मिलती है. कार्तिक छठ दौरान यहां दर्शन पूजन की अपनी एक विशिष्ट धार्मिक महत्ता है.

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भगवान सूर्य के तीन रूप

मेले का भी आयोजन
इस दौरान यहां मेले का भी आयोजन किया जाता है. इसके लिए प्रशासन के तरफ से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए. साथ ही घटों पर धर्मशाला, मेडिकल सहायता, पुलिस चौकी, शौचालय, पार्किंग जोन आदि की बेहतर व्यवस्था की गई है.

औरंगाबाद: लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरूआत हो चुकी है. जिले के देवी स्थित ऐतिहासिक सूर्य मंदिर का अपना अलग ही महत्व है. इस मंदिर को दुनिया का इकलौता पश्चिम मुखी सूर्य मंदिर होने का गौरव हासिल है.

देखें पूरी खबर

3 रूप में स्थापित हैं भगवान सूर्य
मंदिर के पंडित बताते हैं कि देव सूरज मंदिर अति प्राचीन है. इला के पुत्र राजा एल त्रेता युग के 12 लाख 16 हजार वर्ष बीत जाने के बाद इसका निर्माण आरंभ कराया था. भगवान सूर्य इस मंदिर में तीन रूप में स्थापित हैं. ब्रह्मा, विष्णु और महेश.

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पश्चिममुखी सूर्य मंदिर

क्या है मान्यता
वहीं, भविष्य पुराण में भगवान सूर्य के 12 नाम शामिल है.मंदिर के पंडित ने बताया कि राजा एल जन्म से कुष्ठ रोग से ग्रस्ति थे और इसी मंदिर के सूर्य कुंड के किचड़नुमा जल से उनके बीमारी का निवारण हुआ.

मान्यता है कि इस मंदिर में सदियों से लोगों मनोवांछित मिलता आ रहा है. यही कारण है कि कार्तिक महीने के दौरान इस मंदिर में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखने को मिलती है. कार्तिक छठ दौरान यहां दर्शन पूजन की अपनी एक विशिष्ट धार्मिक महत्ता है.

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भगवान सूर्य के तीन रूप

मेले का भी आयोजन
इस दौरान यहां मेले का भी आयोजन किया जाता है. इसके लिए प्रशासन के तरफ से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए. साथ ही घटों पर धर्मशाला, मेडिकल सहायता, पुलिस चौकी, शौचालय, पार्किंग जोन आदि की बेहतर व्यवस्था की गई है.

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एंकर :-औरंगाबाद देव सूर्य मंदिर देव में श्रद्धा एवं भक्ति का जनसैलाब कार्तिक माह होने वाले लोक पर्व छठ की भांति उमड़ने की कई वजह है। सूर्य मंदिर का पष्चिमाभिमुख होना भी एक वजह है।
स्पेशल रिपोर्ट संतोष कुमार ईटीवी भारत औरंगाबाद


Body:v.o.1. औरंगाबाद जिले के देवी स्थित ऐतिहासिक धार्मिक पौराणिक अध्यात्मिक सांस्कृतिक एवं पर्यटक के दृष्टिकोण से विश्व प्रसिद्ध या त्रेतायुगीन सूर्य मंदिर अपनी कलात्मक भव्यता के लिए स्वर विदित और प्रख्यात होने के साथ-साथ सदियों से देसी परदेसी पर्यटक को श्रद्धालुओं एवं छठ व्रतियों की अटूट आस्था का केंद्र भी है। साथ ही इस मंदिर को दुनिया का इकलौता पश्चिमा मुखी सूर्य मंदिर होने का गौरव हासिल है।


Conclusion:v.o.2. देव सूरज मंदिर अति प्राचीन मंदिर इसे इला के पुत्र राजा एल ने त्रेता युग के 12 लाख 16 हजार बस बीत जाने के बाद निर्माण आरंभ कराया था ऐसे में मंदिर की अति प्राचीन होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। बरहाल भगवान भास्कर का यह मंदिर सदियों से लोगों को मनोवांछित फल देने वाला पवित्र धर्मस्थल रहा है यूं तो साल भर में देश के विभिन्न जगहों से यहां से पधार कर मन्नत मांगते हैं और सूरज देव इसकी पूर्ति होने पर अर्थ देने आते हैं लेकिन कार्तिक छठ दौरान यहां दर्शन पूजन की अपनी एक विशिष्ट धार्मिक महत्ता है ।
1.बाईट:- सच्चिदानंद पाठक प्रधान पुजारी देव सूर्य मंदिर औरंगाबाद।
2. पीटीसी संतोष कुमार ईटीवी भारत औरंगाबाद
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