ETV Bharat / city

हिंदी दिवस: सोशल मीडिया के प्रभाव से बढ़ी हिंदी भाषा की पहुंच, लेकिन अभी भी अंग्रेजी को वैल्यू

हमारी नई पीढ़ी अब हिंदी को कम तवज्जो दे रहे हैं या फिर हिंदी की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं. हिंदी दिवस पर ईटीवी भारत ने रांची विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के छात्र-छात्राओं ने कहा कि हिंदी हमारे साथ बनी हुई तो है, फिर भी लोग आजकल अंग्रेजी का ज्यादा इस्तेमाल करने लगे हैं.

हिंदी दिवस पर छात्र-छात्राओं से खास बातचीत
author img

By

Published : Sep 14, 2019, 3:14 PM IST

रांची: मातृभाषा हिंदी को समृद्ध और सुरक्षित करने के मकसद से शनिवार को देशभर में सरकारी और गैर सरकारी कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. मौजूदा दौर में देखें तो किताबों से निकलकर हिंदी की पहुंच आम लोगों तक काफी बड़ी है. इसमें सोशल मीडिया का एक बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है.

हिंदी दिवस पर छात्र-छात्राओं से खास बातचीत

हिंदी दिवस पर छात्र-छात्राओं से बात
दरअसल, पिछले एक दशक में सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म का प्रयोग संवाद के लिए धड़ल्ले से किया जा रहा है. जिसमें हिंदी का प्रयोग सबसे अधिक हो रहा है. ईटीवी भारत ने इस बाबत कुछ छात्र-छात्राओं से बातचीत की.

ये भी पढ़ें- प्यार चढ़ा परवान तो प्रेमी पहुंचा प्रेमिका को लेने, गांववालों ने पकड़ पेड़ से बांधा

व्यवहार में अब अंग्रेजी का प्रयोग ज्यादा
रांची विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के छात्र-छात्राओं ने यह माना कि हिंदी की प्रासंगिकता भले ही बनी हुई है, लेकिन व्यवहार में अब अंग्रेजी का प्रयोग ज्यादा होने लगा है. विभाग के कुछ छात्राओं ने कहा कि वह सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म का उपयोग संवाद करने में जरूर करती हैं, लेकिन भाषा हिंदी और अंग्रेजी का मिलाजुला रूप होता है.

अंग्रेजी की स्वीकार्यता बढ़ रही
हैरत की बात यह रही कि कुछ छात्र-छात्रा न तो वर्ण की परिभाषा बता सके और न ही व्यंजन का सही तरह से उच्चारण कर पाए. बाद में उन्होंने सफाई भी दी की अंग्रेजी में महज 26 वर्ण होते हैं और वर्तनी का झंझट नहीं होता. यही वजह है कि अंग्रेजी की स्वीकार्यता बढ़ रही है.

ये भी पढ़ें- हिंदी दिवस: बदलते दौर में युवाओं को नहीं है हिंदी की अच्छी जानकारी, अंग्रेजी को दे रहे तवज्जो

सबसे सुनहरा और प्रिय शब्द
हालांकि, उन्होंने इस बात की वकालत करते हुए कहा कि हिंदी समृद्धि और सुरक्षित होनी चाहिए, क्योंकि भारत में पैदा होने वाला हर बच्चा सबसे पहले मां शब्द का उच्चारण करता है, जो हिंदी का सबसे सुनहरा और प्रिय शब्द माना जाता है.

रांची: मातृभाषा हिंदी को समृद्ध और सुरक्षित करने के मकसद से शनिवार को देशभर में सरकारी और गैर सरकारी कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. मौजूदा दौर में देखें तो किताबों से निकलकर हिंदी की पहुंच आम लोगों तक काफी बड़ी है. इसमें सोशल मीडिया का एक बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है.

हिंदी दिवस पर छात्र-छात्राओं से खास बातचीत

हिंदी दिवस पर छात्र-छात्राओं से बात
दरअसल, पिछले एक दशक में सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म का प्रयोग संवाद के लिए धड़ल्ले से किया जा रहा है. जिसमें हिंदी का प्रयोग सबसे अधिक हो रहा है. ईटीवी भारत ने इस बाबत कुछ छात्र-छात्राओं से बातचीत की.

ये भी पढ़ें- प्यार चढ़ा परवान तो प्रेमी पहुंचा प्रेमिका को लेने, गांववालों ने पकड़ पेड़ से बांधा

व्यवहार में अब अंग्रेजी का प्रयोग ज्यादा
रांची विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के छात्र-छात्राओं ने यह माना कि हिंदी की प्रासंगिकता भले ही बनी हुई है, लेकिन व्यवहार में अब अंग्रेजी का प्रयोग ज्यादा होने लगा है. विभाग के कुछ छात्राओं ने कहा कि वह सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म का उपयोग संवाद करने में जरूर करती हैं, लेकिन भाषा हिंदी और अंग्रेजी का मिलाजुला रूप होता है.

अंग्रेजी की स्वीकार्यता बढ़ रही
हैरत की बात यह रही कि कुछ छात्र-छात्रा न तो वर्ण की परिभाषा बता सके और न ही व्यंजन का सही तरह से उच्चारण कर पाए. बाद में उन्होंने सफाई भी दी की अंग्रेजी में महज 26 वर्ण होते हैं और वर्तनी का झंझट नहीं होता. यही वजह है कि अंग्रेजी की स्वीकार्यता बढ़ रही है.

ये भी पढ़ें- हिंदी दिवस: बदलते दौर में युवाओं को नहीं है हिंदी की अच्छी जानकारी, अंग्रेजी को दे रहे तवज्जो

सबसे सुनहरा और प्रिय शब्द
हालांकि, उन्होंने इस बात की वकालत करते हुए कहा कि हिंदी समृद्धि और सुरक्षित होनी चाहिए, क्योंकि भारत में पैदा होने वाला हर बच्चा सबसे पहले मां शब्द का उच्चारण करता है, जो हिंदी का सबसे सुनहरा और प्रिय शब्द माना जाता है.

Intro:रांची। मातृभाषा हिंदी को समृद्ध और सुरक्षित करने के मकसद से शनिवार को देशभर में सरकारी और गैर सरकारी कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। मौजूदा दौर में देखें तो किताबों से निकलकर हिंदी की पहुंच आम लोगों तक काफी बड़ी है। इसमें सोशल मीडिया का एक बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है दरअसल पिछले एक दशक में सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म का प्रयोग संवाद के लिए धड़ल्ले से किया जा रहा है। जिसमें हिंदी का प्रयोग सबसे अधिक हो रहा है। ईटीवी भारत ने इस बाबत कुछ छात्र-छात्राओं से बातचीत की।


Body:रांची विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के छात्र छात्राओं ने यह माना कि हिंदी की प्रासंगिकता भले ही बनी हुई है लेकिन व्यवहार में अब अंग्रेजी का प्रयोग ज्यादा होने लगा है। विभाग के कुछ छात्राओं ने कहा कि वह सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म का उपयोग संवाद करने में जरूर करती हैं लेकिन भाषा हिंदी और अंग्रेजी का मिलाजुला रूप होता है।

हैरत की बात यह रही कि कुछ छात्र-छात्रा न तो वर्ण की परिभाषा बता सके और व्यंजन का सही तरह से उच्चारण कर पाए। हालांकि बाद में उन्होंने सफाई भी दी की अंग्रेजी में महज 26 वर्ण होते हैं और वर्तनी का झंझट नहीं होता यही वजह है कि अंग्रेजी की स्वीकार्यता बढ़ रही है।


Conclusion:हालांकि उन्होंने इस बात की वकालत भी की के हिंदी समृद्धि और सुरक्षित होनी चाहिए क्योंकि भारत में पैदा होने वाला हर बच्चा सबसे पहले मां शब्द का उच्चारण करता है जो हिंदी का सबसे सुनहरा और प्रिय शब्द माना जाता है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.