रांची: मातृभाषा हिंदी को समृद्ध और सुरक्षित करने के मकसद से शनिवार को देशभर में सरकारी और गैर सरकारी कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. मौजूदा दौर में देखें तो किताबों से निकलकर हिंदी की पहुंच आम लोगों तक काफी बड़ी है. इसमें सोशल मीडिया का एक बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है.
हिंदी दिवस पर छात्र-छात्राओं से बात
दरअसल, पिछले एक दशक में सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म का प्रयोग संवाद के लिए धड़ल्ले से किया जा रहा है. जिसमें हिंदी का प्रयोग सबसे अधिक हो रहा है. ईटीवी भारत ने इस बाबत कुछ छात्र-छात्राओं से बातचीत की.
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व्यवहार में अब अंग्रेजी का प्रयोग ज्यादा
रांची विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के छात्र-छात्राओं ने यह माना कि हिंदी की प्रासंगिकता भले ही बनी हुई है, लेकिन व्यवहार में अब अंग्रेजी का प्रयोग ज्यादा होने लगा है. विभाग के कुछ छात्राओं ने कहा कि वह सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म का उपयोग संवाद करने में जरूर करती हैं, लेकिन भाषा हिंदी और अंग्रेजी का मिलाजुला रूप होता है.
अंग्रेजी की स्वीकार्यता बढ़ रही
हैरत की बात यह रही कि कुछ छात्र-छात्रा न तो वर्ण की परिभाषा बता सके और न ही व्यंजन का सही तरह से उच्चारण कर पाए. बाद में उन्होंने सफाई भी दी की अंग्रेजी में महज 26 वर्ण होते हैं और वर्तनी का झंझट नहीं होता. यही वजह है कि अंग्रेजी की स्वीकार्यता बढ़ रही है.
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सबसे सुनहरा और प्रिय शब्द
हालांकि, उन्होंने इस बात की वकालत करते हुए कहा कि हिंदी समृद्धि और सुरक्षित होनी चाहिए, क्योंकि भारत में पैदा होने वाला हर बच्चा सबसे पहले मां शब्द का उच्चारण करता है, जो हिंदी का सबसे सुनहरा और प्रिय शब्द माना जाता है.