रांची: मोरहाबादी गैंगवार में भले ही कुख्यात अपराधी कालू लामा दूसरे गिरोह के अपराधियों की गोली का शिकार हो गया. लेकिन इसका सबसे अधिक नुकसान किसी को हुआ है तो वह हैं मोरहाबादी के दुकानदार. जो रोजाना कमाकर अपनी घर गृहस्थी चला रहे थे. सुरक्षा के नाम पर प्रशासन के दुकान बंद करने के आदेश के बाद से इन दुकानदारों के लिए अपना परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है.
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15 दिनों से बंद है दुकान: 27 जनवरी से पहले मोरहाबादी में दुकान लगाकर कई ठेला वाले और खोमचा वाले अपना जीवन यापन कर रहे थे. लेकिन उसके बाद रांची में गैंगवार से उनकी जिंदगी बदल गई. प्रशासन के आदेश की वजह से वे वहां दुकान नहीं लगा सकते हैं. इसका असर उनके परिवार पर पड़ रहा है. दुकानदार राजेंद्र बताते हैं कि पिछले 15 दिनों से दुकान बंद पड़ा है. जिस वजह से हम दुकानदार एवं हमारे परिवारों के लिए खाने पर भी आफत हो गई है क्योंकि हमारे पास अब पैसे नहीं बचे हैं जिससे हम अपना और अपने परिवार के लिए खाना खरीद सके.
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सरकार से मदद की गुहार: एक दुकानदार की पत्नी विराज़ो लकड़ा बताती हैं कि अभी स्कूल भी खुल गया है. बच्चे को स्कूल में फीस के लिए कहा जा रहा है लेकिन हमारे पास पैसे नहीं है कि स्कूल की फीस जमा कर सके. इसके बावजूद भी जिला प्रशासन और नगर निगम की टीम हमारी समस्या को लेकर आंख बंद किए हुए है. दुकानदारों के बच्चों ने कहा कि हम सरकार से यही आग्रह करते हैं कि जल्द से जल्द हमारे अभिभावकों को दुकान खोलने की अनुमति दें ताकि हम बच्चे भी आम बच्चों की तरह शिक्षा एवं भोजन प्राप्त कर सकें.
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प्रशासन के फैसले से आम लोग भी परेशान: मोरहाबादी में दुकानों के बंद होने आम लोग भी परेशान हैं. यहां आने वाले लोगों को छोटी से छोटी चीजों के लिए भी लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है. इस फैसले से स्थानीय लोगों ने भी नाराजगी जताई है.
दुकानदारों को ठग रही है प्रशासन: मोरहाबादी दुकानदार संघ के अध्यक्ष रोशन कुमार बताते हैं कि जिला प्रशासन और सरकार की तरफ से मासूम दुकानदारों को ठगने का काम किया गया है क्योंकि जब दुकानदारों ने अपने पेट की आग बुझाने के लिए विरोध प्रदर्शन किया तो सरकार मोरहाबादी के आसपास दुकान देने के लिए तैयार हो गई. एक बार जगह चिन्हित करने के बाद जिला प्रशासन के द्वारा हमें दुकान लगाने से दोबारा रोक दिया गया. जबकि हम दुकानदार सरकार का हर आदेश मानने के लिए तैयार हैं. मोरहाबादी के जिस तरफ भी दुकानदारों को दुकान मिलेगा वहां दुकान लगाया जाएगा. इसलिए अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए कोर्ट की शरण में गए हैं. हमें उम्मीद है कि कोर्ट के हस्तक्षेप से दुकानदारों को न्याय मिलेगा.