रांची: राजधानी में 10 जून की हिंसा के बाद पोस्टर लगाने और हटाने का विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है. अब इस मामले में झारखंड के गृह सचिव राजीव अरुण एक्का ने पोस्टर लगाने को लेकर रांची एसएसपी पर सवाल खड़े कर दिए हैं. हिंसा में शामिल आरोपियों के पोस्टर लगाए जाने को विधि सम्मत नहीं बताते हुए रांची के सीनियर एसपी सुरेंद्र कुमार झा से मामले में स्पष्टीकरण मांगा गया है.
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दो दिनों के अंदर मांगा गया जवाब: गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव राजीव अरूण एक्का ने रांची एसएसपी सुरेन्द्र कुमार झा से 10 जून को हुई घटना में कथित रूप से शामिल व्यक्तियों के फोटो लगाए जाने के संबंध में दो दिनों में स्पष्टीकरण मांगा है. गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव ने कहा है कि रांची पुलिस के द्वारा आरोपियों के लगाए गए पोस्टर विधि सम्मत नहीं है और माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद द्वारा पी.आई.एल. संख्या-532/2020 में दिनाक 09.03.2020 को पारित न्यायादेश के विरूद्ध है.
क्या है इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला: अपने आदेश में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सड़क किनारे लगे बैनरों को तत्काल हटाने के निर्देश दिए गए थेय माननीय न्यायालय ने उत्तर प्रदेश राज्य को निर्देश दिया था कि बिना कानूनी अधिकार के व्यक्तियों के व्यक्तिगत जानकारी वाले बैनर सड़क किनारे न लगाएं. यह मामला और कुछ नहीं बल्कि लोगों की निजता में एक अनुचित हस्तक्षेप है। इसलिए, यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है.
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जानिए पूरा मामला: गौरतलब है कि बीते सोमवार को झारखंड के राज्यपाल ने डीजीपी नीरज सिन्हा से यह कहा था कि हिंसा मामले में कार्रवाई तेज गति से की जाए और उपद्रवियों के तस्वीरों के साथ पोस्टर चौक चौराहे पर लगाया जाए. आदेश के बाद रांची पुलिस ने मंगलवार को बकायदा पोस्टर भी बनवा लीजिए और शहर के कई चौक चौराहों पर उसे लगवा भी दिया. लेकिन एक घंटे के भीतर ही सभी पोस्टर्स को उतरवा लिया गया उस समय रांची पुलिस के द्वारा यह बयान जारी कर बताया गया कि पोस्टर में कुछ त्रुटि है उसे ठीक करवा कर बाद में लगवाया जाएगा. लेकिन एसएसपी से स्पष्टीकरण की मांग के बाद पूरा मामला साफ हो गया.