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युवा कदम बढ़ रहे अपराध की ओर, गर्लफ्रेंड से लेकर हथियार रखने का शौक पहुंचा रहा जेल

राजधानी सहित प्रदेश के अन्य शहरों में युवा अपराध की ओर कदम बढ़ा रहे हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की आंकड़ों पर गौर करें तो जेल में बंद कैदियों में युवाओं की संख्या आधे से ज्यादा है.

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Published : Oct 2, 2020, 9:44 PM IST

Updated : Oct 2, 2020, 10:00 PM IST

रांची: कहते हैं युवा देश के भविष्य हैं. लेकिन झारखंड की राजधानी सहित प्रदेश के अन्य शहरों में जिस तरह से युवाओं के कदम डगमगाए हैं, उनका खुद का भविष्य खतरे में पड़ता नजर आ रहा है. महंगे शौक और जल्द अमीर बनने की चाहत में अपराध की दुनिया में युवाओं का झुकाव साफ तौर पर नजर आ रहा है. पिछले कुछ सालों में राजधानी सहित दूसरे शहरों में हुई कई बड़ी घटनाओं, चाहे लूट हो, या हत्या. हर मामले में युवा अपराधियों का हाथ सामने आया है. एनसीआरबी के आंकड़े भी इस बात की गवाही देते हैं कि झारखंड के जेलों में बंद ज्यादातर कैदी युवा हैं.

देखें स्पेशल खबर
आंकड़े दे रहे गवाही
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी एनसीआरबी की ओर से जारी रांची सहित राज्यभर के आंकड़ों पर गौर की जाए तो जेलों में बंद कैदियों में आधे से ज्यादा कैदी युवा हैं. जिनकी उम्र 18 साल से लेकर 30 साल तक की है. इनमें हत्या, लूट, डकैती और दुष्कर्म जैसे घिनौने कृत्य में भी युवाओं की संख्या बेहद ज्यादा है. राजधानी रांची में तो अवैध हथियार रखने के शौक में युवा अपराध की दलदल में फंसते जा रहे हैं. पुलिस ने कई ऐसे युवकों को जेल भेजा है, जो वाहन चेकिंग में हथियार के साथ पकड़े गए हैं. उन्होंने हथियार से कोई भी अपराध नहीं किया था, लेकिन हथियार के शौक में जेल पहुंच गए. केवल रांची में पुलिस ने पिछले दो साल में 415 लोगों को आर्म्स एक्ट के तहत जेल भेजा. जिनमें ज्यादातर आरोपी अवैध हथियार के साथ पकड़े गए. इनमें 200 से अधिक युवक ऐसे हैं, जो पहली बार जेल गए.
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हथियार के साथ गिरफ्तार युवा अपराधी

ये भी पढ़ें- हजारीबाग को नक्सल फ्री बनाने में जुटी है पुलिस, लोगों से बहकावे नहीं आने की कर रही अपील



जेल बन जाता है अपराध की पाठशाला
छोटे-छोटे अपराध करके जब युवा जेल पहुंचते हैं तब उनकी मुलाकात जेल में बंद शातिर अपराधियों से होती है. बड़ा अपराधी बनने की चाह में युवा शातिर अपराधियों को अपना गुरु मान लेते हैं और अपराध की कई तरह की दांवपेच जेल में ही लिखने लगते हैं. नतीजा जब वह बाहर निकलते हैं तब तक वे एक शातिर अपराधी के सारे गुण अपने अंदर आत्मसात कर चुके होते हैं.

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युवक को गिरफ्तार कर ले जाती पुलिस
चौकाने वाले हैं आंकड़े
एनसीआरबी की ओर से जारी 2019 के आंकड़ों के मुताबिक, झारखंड में 52.3 प्रतिशत से ज्यादा अंडर ट्रायल अपराधी हैं, जो 18 से 30 साल के हैं. 39.5 फीसदी 30 से 50 साल की उम्र के हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में झारखंड में अंडर ट्रायल अपराधियों की संख्या 12,759 थी. इनमें 18-30 साल के बीच के युवाओं की संख्या 6,672 यानी 52.3 प्रतिशत थी. दूसरे नंबर पर 30 से 50 साल के लोग आते हैं. इनकी संख्या 5045 यानी 39.5 प्रतिशत रही. 50 साल से ऊपर की उम्र के अंडर ट्रायल आरोपियों की संख्या 1041 यानी 8.2 फीसदी थी. झारखंड में सजायाफ्ता कैदियों की संख्या 5871 है. जिसमें 18-30 साल के 1870 कैदी यानी 31.9 प्रतिशत, 30-50 साल के 2905 कैदी जबकि 50 साल से ऊपर के 18.7 प्रतिशत यानि 1096 कैदी की संख्या है.
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गिरफ्त में अपराधी

ये भी पढ़ें- नशा विरोधी दिवस : इन तरीकों से ड्रग्स की लत से पाएं मुक्ति



कैदियों में पीजी, टेक्निकल एक्सपर्ट्स भी शामिल
राज्य भर के अलग-अलग जेलों में बंद 48 सजायाफ्ता कैदी पीजी डिग्री धारी हैं. यानी वे पढ़ने लिखने में तेज थे. जबकि 106 सजायाफ्ता पीजी डिग्री धारी कैदी अंडर ट्रायल हैं. 107 कैदी टेक्निकल डिग्री वाले हैं. जबकि 263 आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस स्नातक कैदी हैं. 10वीं से स्नातक वाले 1205 कैदी. 2815 कैदी नन मैट्रिक और 1421 कैदी निरक्षर हैं. 168 टेक्निकल डिग्री वाले हैं. 532 स्नातक उतीर्ण हैं. जबकि 10वीं से स्नातक वाले 3278 अंडर ट्रायल आरोपी. 5775 नन मैट्रिक और 2900 निरक्षर अंडर ट्रायल आरोपी हैं.

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गिरफ्त में युवा अपराधी
पुलिस परेशान
आए दिन युवाओं के अपराध की दुनिया में कदम रखने की वजह से पुलिस के सामने भी कानून व्यवस्था की स्थिति संभालने के लिए मुश्किलें खड़ी हो रही है. रांची के सिटी एसपी सौरभ के अनुसार युवावस्था संभलने और बिगड़ने का समय होता है. ऐसे समय में सही गार्जियनशिप की जरूरत होती है. गलत संगति और नशे की लत में युवा बिगड़ रहे हैं. युवाओं को बिगड़ने से बचाने के लिए परिजनों को विशेष तौर पर उनकी स्थिति को समझने और अच्छे राह दिखाने की जरूरत है. पुलिस भी अपने तरफ से उन्हें समझाने की कोशिश लगातार कर रही है.
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बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा
ये भी पढ़ें- 13 साइबर अपराधी चढ़े पुलिस के हत्थे, नई तकनीक का इस्तेमाल कर करते थे ठगी


बड़े अपराधी कर रहे यूज
बड़े अपराधियों की नजर हमेशा युवाओं पर रहती है. वे उनसे आपराधिक वारदातों को अंजाम दिलवाते हैं. पुलिस की तफ्तीश में यह बात सामने आई थी कि कुख्यात गैंगस्टर अमन साव फेसबुक अकाउंट के माध्यम से युवाओं को दोस्त बनाता था. फिर उन्हें अपराध की दुनिया में धकेल देता था. घाघीडीह जेल में बंद कुख्यात गैंगस्टर सुजीत सिन्हा भी जेल में रहकर भी युवाओं को अपने गिरोह में जोड़ता है, उनसे आपराधिक वारदातों को अंजाम दिलवाता है. पुलिस रिमांड पर बीते जनवरी और अगस्त महीने में गैंगस्टर सुजीत सिन्हा ने पुलिस को बताया था कि रांची, रामगढ़, हजारीबाग में उसने कुख्यात गैंगस्टर अमन साव से हाथ मिला लिया है. उसका मुख्य काम अमन साव ही देख रहा है.

अपराध से जुड़ने के कई कारण
पुलिस अधिकारियों की माने तो कई ऐसे वजह हैं जिनके कारण युवा पढ़ाई पर ध्यान न देकर अपराध की दुनिया की तरफ कदम रख रहा है. उनमें सबसे पहला है जल्द अमीर बनने की चाहत. ऐसो आराम यानी लग्जरी लाइफ स्टाइल जीना. अपराध की तरफ झुकाव के प्रमुख कारणों को अगर हम देखें तो सब स्पष्ट हो जाता है.

ये भी पढ़ें- सिगरेट पीने को लेकर खूनी जंग, जमकर चले लात घुसे और ईंट-पत्थर



प्रमुख कारण
युवा महंगे मोबाइल, बाइक्स, लैपटॉप जैसी कई सुविधाएं चाहते हैं. इस शौक को पूरा करने के लिए चोरी और लूट का शॉर्टकट अपना रहे हैं.

गर्लफ्रेंड्स की खातिर
गर्लफ्रेंड्स को महंगे गिफ्ट देकर इंप्रेस करते और रेस्टोरेंट्स में खाना खिलाने का खर्च जुटाने के लिए क्राइम की तरफ कर रहे रुख.

गलत कंपटीशन के चक्कर में
कॉलेज में साथ पढ़ रहे अमीर घरों के लड़कों से कंपटीशन के चक्कर में सामान्य घरों के बच्चे अपराध का शॉर्टकट चुन ले रहे हैं. कई बार साथियों से बड़ी रकम उधार ले लेते है. पैसे न चुका पाने की स्थिति में अपराध की ओर कदम बढ़ा देते हैं.

पार्टियों की मस्ती
गांव से या फिर बाहर से आकर रहने वाले छात्र नशे और कई तरह की पार्टियों के आदी हो जाते हैं. इसमें होने वाले खर्च को पूरा करने के चक्कर में गलत दिशा में बढ़ जाते हैं.

रांची: कहते हैं युवा देश के भविष्य हैं. लेकिन झारखंड की राजधानी सहित प्रदेश के अन्य शहरों में जिस तरह से युवाओं के कदम डगमगाए हैं, उनका खुद का भविष्य खतरे में पड़ता नजर आ रहा है. महंगे शौक और जल्द अमीर बनने की चाहत में अपराध की दुनिया में युवाओं का झुकाव साफ तौर पर नजर आ रहा है. पिछले कुछ सालों में राजधानी सहित दूसरे शहरों में हुई कई बड़ी घटनाओं, चाहे लूट हो, या हत्या. हर मामले में युवा अपराधियों का हाथ सामने आया है. एनसीआरबी के आंकड़े भी इस बात की गवाही देते हैं कि झारखंड के जेलों में बंद ज्यादातर कैदी युवा हैं.

देखें स्पेशल खबर
आंकड़े दे रहे गवाही
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी एनसीआरबी की ओर से जारी रांची सहित राज्यभर के आंकड़ों पर गौर की जाए तो जेलों में बंद कैदियों में आधे से ज्यादा कैदी युवा हैं. जिनकी उम्र 18 साल से लेकर 30 साल तक की है. इनमें हत्या, लूट, डकैती और दुष्कर्म जैसे घिनौने कृत्य में भी युवाओं की संख्या बेहद ज्यादा है. राजधानी रांची में तो अवैध हथियार रखने के शौक में युवा अपराध की दलदल में फंसते जा रहे हैं. पुलिस ने कई ऐसे युवकों को जेल भेजा है, जो वाहन चेकिंग में हथियार के साथ पकड़े गए हैं. उन्होंने हथियार से कोई भी अपराध नहीं किया था, लेकिन हथियार के शौक में जेल पहुंच गए. केवल रांची में पुलिस ने पिछले दो साल में 415 लोगों को आर्म्स एक्ट के तहत जेल भेजा. जिनमें ज्यादातर आरोपी अवैध हथियार के साथ पकड़े गए. इनमें 200 से अधिक युवक ऐसे हैं, जो पहली बार जेल गए.
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हथियार के साथ गिरफ्तार युवा अपराधी

ये भी पढ़ें- हजारीबाग को नक्सल फ्री बनाने में जुटी है पुलिस, लोगों से बहकावे नहीं आने की कर रही अपील



जेल बन जाता है अपराध की पाठशाला
छोटे-छोटे अपराध करके जब युवा जेल पहुंचते हैं तब उनकी मुलाकात जेल में बंद शातिर अपराधियों से होती है. बड़ा अपराधी बनने की चाह में युवा शातिर अपराधियों को अपना गुरु मान लेते हैं और अपराध की कई तरह की दांवपेच जेल में ही लिखने लगते हैं. नतीजा जब वह बाहर निकलते हैं तब तक वे एक शातिर अपराधी के सारे गुण अपने अंदर आत्मसात कर चुके होते हैं.

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युवक को गिरफ्तार कर ले जाती पुलिस
चौकाने वाले हैं आंकड़े
एनसीआरबी की ओर से जारी 2019 के आंकड़ों के मुताबिक, झारखंड में 52.3 प्रतिशत से ज्यादा अंडर ट्रायल अपराधी हैं, जो 18 से 30 साल के हैं. 39.5 फीसदी 30 से 50 साल की उम्र के हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में झारखंड में अंडर ट्रायल अपराधियों की संख्या 12,759 थी. इनमें 18-30 साल के बीच के युवाओं की संख्या 6,672 यानी 52.3 प्रतिशत थी. दूसरे नंबर पर 30 से 50 साल के लोग आते हैं. इनकी संख्या 5045 यानी 39.5 प्रतिशत रही. 50 साल से ऊपर की उम्र के अंडर ट्रायल आरोपियों की संख्या 1041 यानी 8.2 फीसदी थी. झारखंड में सजायाफ्ता कैदियों की संख्या 5871 है. जिसमें 18-30 साल के 1870 कैदी यानी 31.9 प्रतिशत, 30-50 साल के 2905 कैदी जबकि 50 साल से ऊपर के 18.7 प्रतिशत यानि 1096 कैदी की संख्या है.
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गिरफ्त में अपराधी

ये भी पढ़ें- नशा विरोधी दिवस : इन तरीकों से ड्रग्स की लत से पाएं मुक्ति



कैदियों में पीजी, टेक्निकल एक्सपर्ट्स भी शामिल
राज्य भर के अलग-अलग जेलों में बंद 48 सजायाफ्ता कैदी पीजी डिग्री धारी हैं. यानी वे पढ़ने लिखने में तेज थे. जबकि 106 सजायाफ्ता पीजी डिग्री धारी कैदी अंडर ट्रायल हैं. 107 कैदी टेक्निकल डिग्री वाले हैं. जबकि 263 आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस स्नातक कैदी हैं. 10वीं से स्नातक वाले 1205 कैदी. 2815 कैदी नन मैट्रिक और 1421 कैदी निरक्षर हैं. 168 टेक्निकल डिग्री वाले हैं. 532 स्नातक उतीर्ण हैं. जबकि 10वीं से स्नातक वाले 3278 अंडर ट्रायल आरोपी. 5775 नन मैट्रिक और 2900 निरक्षर अंडर ट्रायल आरोपी हैं.

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गिरफ्त में युवा अपराधी
पुलिस परेशान
आए दिन युवाओं के अपराध की दुनिया में कदम रखने की वजह से पुलिस के सामने भी कानून व्यवस्था की स्थिति संभालने के लिए मुश्किलें खड़ी हो रही है. रांची के सिटी एसपी सौरभ के अनुसार युवावस्था संभलने और बिगड़ने का समय होता है. ऐसे समय में सही गार्जियनशिप की जरूरत होती है. गलत संगति और नशे की लत में युवा बिगड़ रहे हैं. युवाओं को बिगड़ने से बचाने के लिए परिजनों को विशेष तौर पर उनकी स्थिति को समझने और अच्छे राह दिखाने की जरूरत है. पुलिस भी अपने तरफ से उन्हें समझाने की कोशिश लगातार कर रही है.
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बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा
ये भी पढ़ें- 13 साइबर अपराधी चढ़े पुलिस के हत्थे, नई तकनीक का इस्तेमाल कर करते थे ठगी


बड़े अपराधी कर रहे यूज
बड़े अपराधियों की नजर हमेशा युवाओं पर रहती है. वे उनसे आपराधिक वारदातों को अंजाम दिलवाते हैं. पुलिस की तफ्तीश में यह बात सामने आई थी कि कुख्यात गैंगस्टर अमन साव फेसबुक अकाउंट के माध्यम से युवाओं को दोस्त बनाता था. फिर उन्हें अपराध की दुनिया में धकेल देता था. घाघीडीह जेल में बंद कुख्यात गैंगस्टर सुजीत सिन्हा भी जेल में रहकर भी युवाओं को अपने गिरोह में जोड़ता है, उनसे आपराधिक वारदातों को अंजाम दिलवाता है. पुलिस रिमांड पर बीते जनवरी और अगस्त महीने में गैंगस्टर सुजीत सिन्हा ने पुलिस को बताया था कि रांची, रामगढ़, हजारीबाग में उसने कुख्यात गैंगस्टर अमन साव से हाथ मिला लिया है. उसका मुख्य काम अमन साव ही देख रहा है.

अपराध से जुड़ने के कई कारण
पुलिस अधिकारियों की माने तो कई ऐसे वजह हैं जिनके कारण युवा पढ़ाई पर ध्यान न देकर अपराध की दुनिया की तरफ कदम रख रहा है. उनमें सबसे पहला है जल्द अमीर बनने की चाहत. ऐसो आराम यानी लग्जरी लाइफ स्टाइल जीना. अपराध की तरफ झुकाव के प्रमुख कारणों को अगर हम देखें तो सब स्पष्ट हो जाता है.

ये भी पढ़ें- सिगरेट पीने को लेकर खूनी जंग, जमकर चले लात घुसे और ईंट-पत्थर



प्रमुख कारण
युवा महंगे मोबाइल, बाइक्स, लैपटॉप जैसी कई सुविधाएं चाहते हैं. इस शौक को पूरा करने के लिए चोरी और लूट का शॉर्टकट अपना रहे हैं.

गर्लफ्रेंड्स की खातिर
गर्लफ्रेंड्स को महंगे गिफ्ट देकर इंप्रेस करते और रेस्टोरेंट्स में खाना खिलाने का खर्च जुटाने के लिए क्राइम की तरफ कर रहे रुख.

गलत कंपटीशन के चक्कर में
कॉलेज में साथ पढ़ रहे अमीर घरों के लड़कों से कंपटीशन के चक्कर में सामान्य घरों के बच्चे अपराध का शॉर्टकट चुन ले रहे हैं. कई बार साथियों से बड़ी रकम उधार ले लेते है. पैसे न चुका पाने की स्थिति में अपराध की ओर कदम बढ़ा देते हैं.

पार्टियों की मस्ती
गांव से या फिर बाहर से आकर रहने वाले छात्र नशे और कई तरह की पार्टियों के आदी हो जाते हैं. इसमें होने वाले खर्च को पूरा करने के चक्कर में गलत दिशा में बढ़ जाते हैं.

Last Updated : Oct 2, 2020, 10:00 PM IST
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