रांची: हाथी के मौत मामले पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने राज्य सरकार के जवाब पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए पीसीसीएफ को कड़ी फटकार लगाई और कई सवाल पूछे हैं. कोर्ट ने पूरे मामले में 2 हफ्ते में जवाब मांगा है. राज्य सरकार और वन विभाग का जवाब आने के बाद मामले पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
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स्वतः संज्ञान याचिका पर सुनवाई
झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉक्टर रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में हाथियों की मौत को लेकर लिए गए स्वतः संज्ञान याचिका पर सुनवाई हुई. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई इस सुनवाई के दौरान झारखंड प्रधान मुख्य वन संरक्षक और लातेहार के जिला वन पदाधिकारी हाजिर हुए. सुनवाई के दौरान अदालत ने पीसीसीएफ से ये जानना चाहा कि राज्य के जंगलों में हाथी की वर्तमान में कितनी संख्याएं हैं, अन्य वन्यजीवों की कितनी संख्या है, पिछले कुछ दिनों से जो लगातार हाथी की मौत हो रही है उसका क्या कारण है? उन्होंने इसका पोस्टमार्टम करवाया है या नहीं, कितने का पोस्टमार्टम कराया गया है, कितने की विसरा जांच रिपोर्ट आई है, पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के अनुसार क्या कारण है कि लगातार मौत हो रही है, उसके निवारण के लिए क्या क्या कदम उठाए गए हैं.
पीसीसीएफ को फटकार
कोर्ट के सवाल पर पीसीसीएफ की ओर से अदालत को जानकारी दी गई कि, हाथी की मृत्यु का कारण जानने के लिए पोस्टमार्टम कराने के लिए भेजा गया है, जिसकी रिपोर्ट आने के बाद ही इसके बारे में अधिक जानकारी दी जा सकती है. इस पर अदालत ने उनसे पूछा कि, पिछले कई वर्षों में कितने हाथी की मौत हुई है. जिस पर उन्होंने अंदाजे के आधार पर जानकारी दी. जिस पर अदालत ने पूछा कि, कोई डेटा है आपके पास. कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिलने पर पीसीसीएफ को कोर्ट की तरफ से कड़ी फटकार लगाई गई. अदालत ने कहा प्रत्येक वर्ष हाथी की मौत हो रही है, आपके पास डाटा ही नहीं, आपने क्या कदम उठाया है, इसकी जानकारी भी नहीं इसके साथ ही कोर्ट ने पीसीसीएफ को पूरे मामले में अद्यतन रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया.
हाई कोर्ट ने लिया था स्वत: संज्ञान
बता दें कि पिछले दिन कई हाथी की लगातार मौत होने की खबर स्थानीय मीडिया में आने के बाद हाई कोर्ट ने मामले पर संज्ञान लिया. उसे जनहित याचिका में बदल कर सुनवाई करने का आदेश दिया था. राज्य सरकार को मामले में जवाब पेश करने और वन विभाग के अधिकारी को सुनवाई के दौरान उपस्थित होने का भी आदेश दिया था. अदालत के उसी आदेश के आलोक में वन विभाग के पदाधिकारी उपस्थित हुए और अदालत के प्रश्नों का जवाब दिया.