रांची: झारखंड के 11वें मुख्यमंत्री बनते ही हेमंत सोरेन काफी सुर्खियों में हैं. पहले उन्होंने गुलदस्ता की जगह किताबें भेंट करने की अपील की थी जिसे लोगों ने काफी सराहा. इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री को दिए जानेवाले गॉड ऑफ ऑनर के दौरान वीआईपी कल्चर खत्म करने की बात कही है.
वीआईपी कल्चर खत्म करने की बात
दरअसल, उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक उन्हें दिए जानेवाले गॉड ऑफ ऑनर की तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा कि ' इस तस्वीर को जहां कुछ लोग मेरी सादगी से जोड़ रहे हैं तो वहीं इक्का दुक्का लोग मुझे यह भी बता रहे हैं की चप्पल पहन मैंने गार्ड ऑफ ऑनर ले परंपरा का पालन नहीं किया. सच्चाई यह है की पुलिस के जवान भाई मेरे इंतजार में बारिश में काफी पहले से खड़े कर दिए गए थे. इसलिए मैं जिस रूप में था सबसे पहले उनका सम्मान कर उन्हें मुक्त करना आवश्यक था. दूसरी बात की चप्पल- जूतों का रिवाज अंग्रेज़ों ने बनाया था जो दककियानूसी परंपरा है जिसे मैं नहीं मानता. पिछली शासन द्वारा मुख्यमंत्री के हर दौरे पर दिया जाने वाली इस परंपरा को मैं जल्द समाप्त करने को संकल्पित हूं ताकि हमारे पुलिसकर्मी वीआईपी रूढ़िवादिता में समय व्यर्थ करने की जगह वो समय जनता की सेवा में लगा सकें.'
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2 जनवरी का है मामला
बता दें कि 2 जनवरी को सूबे के नवनियुक्त मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रजरप्पा स्थित छिन्नमस्तिका मंदिर में सपरिवार पूजा-अर्चना की थी. इस दौरान उन्हें प्रशासन की तरफ से गॉड ऑफ ऑनर दिया गया था. बारिश की वजह से हेमंत सोरेन ने चप्पल पहनकर गॉड ऑफ ऑनर लिया था. जिसके बाद से इस तस्वीर को उनके समर्थक और विरोधी अलग-अलग तरीके से उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे थे.