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रघुवर की 'सीधी बात' और 'जनसंवाद' करने वाली एजेंसी को हेमंत ने किया बाय-बाय, नई एजेंसी की तलाश

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Published : Mar 17, 2020, 8:03 PM IST

पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार के जनसंवाद कार्यक्रम का संचालन करने वाली एजेंसी को हटाने का निर्देश दिया गया है. इस बाबत अभी आधिकारिक अधिसूचना जारी होनी बांकी है. एजेंसी के खिलाफ कई शिकायतें आयी थीं.

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रांचीः प्रदेश में सत्तारूढ़ महागठबंधन की सरकार ने पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार के जनसंवाद कार्यक्रम का संचालन करने वाली एजेंसी को हटाने का निर्देश दिया है. इस बाबत अभी आधिकारिक अधिसूचना जारी होने बाकी है, लेकिन मुख्यमंत्री सचिवालय से मिली जानकारी के अनुसार इस काम में शामिल कंपनी माईका को तत्काल प्रभाव से हटाने का निर्देश दिया गया है. यह एजेंसी जनसंपर्क विभाग के दफ्तर सूचना भवन के प्रथम तल से ऑपरेट कर रही थी.

दरअसल पिछली सरकार में इस एजेंसी के खिलाफ कई शिकायतें भी सामने आई थी. इसको लेकर ईटीवी भारत में समय-समय पर खबरें प्रमुखता से प्रसारित की गई थी. 20 जनवरी को भी इस बाबत ईटीवी भारत में खबर चलाई गई थी. सीएमओ में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इस बाबत आधिकारिक अधिसूचना एक-दो दिन में जारी कर दी जाएगी.

दरअसल जनसंवाद में शिकायतों का दौर 2016 में शुरू हुआ. उनमें एक मोड़ तब आया जब 2017 में महिलाकर्मियों ने संचालकों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए. उन महिलाकर्मियों ने अपनी शिकायत राज्य और केंद्र महिला आयोग समेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को की, लेकिन अभी तक उन शिकायतों का निष्पादन नहीं हुआ है.

क्या थी शिकायतें
दरअसल जनसंवाद केंद्र की दो महिला कर्मियों ने 19 जनवरी 2017 को राज्य महिला आयोग समेत आठ लोगों को पत्र लिखकर अपनी शिकायत दर्ज कराई थी. उसमें उन्होंने साफ लिखा था कि उनके साथ आपत्तिजनक व्यवहार किया जाता है. यहां तक कि जब वह बाथरूम की तरफ जाते हैं तो उनका पीछा किया जाता है. उन्होंने एक तरफ महिला कर्मियों को सामूहिक रूप से अपमानित करने का आरोप लगाया था, वहीं दूसरी तरफ एक काम के लिए नियुक्त कर्मियों के असमान वेतन देने की बात कही थी.

तत्कालीन कैबिनेट मिनिस्टर ने दी थी एसीबी से जांच की सलाह
हैरत की बात यह है कि रघुवर दास के कैबिनेट में मंत्री सरयू राय ने जनसंवाद में कथित अनियमितताओं को लेकर सरकार से एंटी करप्शन ब्यूरो से जांच कराने की सलाह दी थी. उन्होंने साफ तौर पर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा था कि जनसंवाद से संबंधित शिकायतों में कथित एजेंसी को बिना प्रॉपर टेंडर के काम दिए जाने की बात भी सामने आई है. उन्होंने कहा कि इस बाबत शिकायतकर्ता ने उन्हें एक पत्र भी लिखा है, बिना प्रॉपर टेंडर के मिला था काम. तत्कालीन मंत्री सरयू राय ने इस बाबत एंटी करप्शन ब्यूरो में शिकायत से मामले के दर्ज कराने की मांग की थी उन्होंने लिखा था कि एक शिकायतकर्ता ने साफ तौर पर शिकायतकर्ता ने उन्हें पत्र भी लिखा है शिकायत में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है की माइका एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड के पास प्रकाशित टेंडर में निर्धारित योग्यता नहीं थी इसलिए उनकी नियमित रूप से नियुक्ति 1 साल के लिए हुई थी. साथ ही संतोषजनक काम होने पर 1 साल का एक्सटेंशन देने का प्रावधान था.


हर बार बढ़े हुए मूल्य पर मिलता रहा एक्सटेंशन
मुख्यमंत्री जनसंवाद चला रही माइका कंपनी को 2015 के बाद हर बार बढ़ी हुए दर पर एक्सटेंशन मिला. सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार 2015-16 में 1,52,17884 रुपए का भुगतान किया गया. वहीं 2017-18 में 1,66,68000 का भुगतान किया गया.

स्पेशल ऑडिट की भी मंत्री ने दी थी सलाह
मंत्री राय ने जनसंवाद को लेकर उसकी ऑडिट स्पेशल ऑडिटर द्वारा कराए जाने की जरूरत बताई थी, साथ ही मुख्य सचिव के निर्देश पर बनी 3 सदस्य जांच समिति द्वारा दोष सिद्ध व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की थी. राय ने सरकार को 2018 में पत्र लिखा था, लेकिन आज भी इस मामले में क्या कार्रवाई हुई है अभी तक इस पर पर्दा पड़ा हुआ है.

दरअसल जनसंवाद केंद्र की परिकल्पना तत्कालीन बीजेपी सरकार में आम लोगों की समस्याओं से रूबरू होने के मकसद से की गई थी. मई 2015 में स्थापित हुई इस एजेंसी में बड़ी संख्या में कंप्लेन आए. उन शिकायतों को संबंधित विभाग के पास फॉरवर्ड किया जाता है.

रांचीः प्रदेश में सत्तारूढ़ महागठबंधन की सरकार ने पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार के जनसंवाद कार्यक्रम का संचालन करने वाली एजेंसी को हटाने का निर्देश दिया है. इस बाबत अभी आधिकारिक अधिसूचना जारी होने बाकी है, लेकिन मुख्यमंत्री सचिवालय से मिली जानकारी के अनुसार इस काम में शामिल कंपनी माईका को तत्काल प्रभाव से हटाने का निर्देश दिया गया है. यह एजेंसी जनसंपर्क विभाग के दफ्तर सूचना भवन के प्रथम तल से ऑपरेट कर रही थी.

दरअसल पिछली सरकार में इस एजेंसी के खिलाफ कई शिकायतें भी सामने आई थी. इसको लेकर ईटीवी भारत में समय-समय पर खबरें प्रमुखता से प्रसारित की गई थी. 20 जनवरी को भी इस बाबत ईटीवी भारत में खबर चलाई गई थी. सीएमओ में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इस बाबत आधिकारिक अधिसूचना एक-दो दिन में जारी कर दी जाएगी.

दरअसल जनसंवाद में शिकायतों का दौर 2016 में शुरू हुआ. उनमें एक मोड़ तब आया जब 2017 में महिलाकर्मियों ने संचालकों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए. उन महिलाकर्मियों ने अपनी शिकायत राज्य और केंद्र महिला आयोग समेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को की, लेकिन अभी तक उन शिकायतों का निष्पादन नहीं हुआ है.

क्या थी शिकायतें
दरअसल जनसंवाद केंद्र की दो महिला कर्मियों ने 19 जनवरी 2017 को राज्य महिला आयोग समेत आठ लोगों को पत्र लिखकर अपनी शिकायत दर्ज कराई थी. उसमें उन्होंने साफ लिखा था कि उनके साथ आपत्तिजनक व्यवहार किया जाता है. यहां तक कि जब वह बाथरूम की तरफ जाते हैं तो उनका पीछा किया जाता है. उन्होंने एक तरफ महिला कर्मियों को सामूहिक रूप से अपमानित करने का आरोप लगाया था, वहीं दूसरी तरफ एक काम के लिए नियुक्त कर्मियों के असमान वेतन देने की बात कही थी.

तत्कालीन कैबिनेट मिनिस्टर ने दी थी एसीबी से जांच की सलाह
हैरत की बात यह है कि रघुवर दास के कैबिनेट में मंत्री सरयू राय ने जनसंवाद में कथित अनियमितताओं को लेकर सरकार से एंटी करप्शन ब्यूरो से जांच कराने की सलाह दी थी. उन्होंने साफ तौर पर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा था कि जनसंवाद से संबंधित शिकायतों में कथित एजेंसी को बिना प्रॉपर टेंडर के काम दिए जाने की बात भी सामने आई है. उन्होंने कहा कि इस बाबत शिकायतकर्ता ने उन्हें एक पत्र भी लिखा है, बिना प्रॉपर टेंडर के मिला था काम. तत्कालीन मंत्री सरयू राय ने इस बाबत एंटी करप्शन ब्यूरो में शिकायत से मामले के दर्ज कराने की मांग की थी उन्होंने लिखा था कि एक शिकायतकर्ता ने साफ तौर पर शिकायतकर्ता ने उन्हें पत्र भी लिखा है शिकायत में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है की माइका एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड के पास प्रकाशित टेंडर में निर्धारित योग्यता नहीं थी इसलिए उनकी नियमित रूप से नियुक्ति 1 साल के लिए हुई थी. साथ ही संतोषजनक काम होने पर 1 साल का एक्सटेंशन देने का प्रावधान था.


हर बार बढ़े हुए मूल्य पर मिलता रहा एक्सटेंशन
मुख्यमंत्री जनसंवाद चला रही माइका कंपनी को 2015 के बाद हर बार बढ़ी हुए दर पर एक्सटेंशन मिला. सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार 2015-16 में 1,52,17884 रुपए का भुगतान किया गया. वहीं 2017-18 में 1,66,68000 का भुगतान किया गया.

स्पेशल ऑडिट की भी मंत्री ने दी थी सलाह
मंत्री राय ने जनसंवाद को लेकर उसकी ऑडिट स्पेशल ऑडिटर द्वारा कराए जाने की जरूरत बताई थी, साथ ही मुख्य सचिव के निर्देश पर बनी 3 सदस्य जांच समिति द्वारा दोष सिद्ध व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की थी. राय ने सरकार को 2018 में पत्र लिखा था, लेकिन आज भी इस मामले में क्या कार्रवाई हुई है अभी तक इस पर पर्दा पड़ा हुआ है.

दरअसल जनसंवाद केंद्र की परिकल्पना तत्कालीन बीजेपी सरकार में आम लोगों की समस्याओं से रूबरू होने के मकसद से की गई थी. मई 2015 में स्थापित हुई इस एजेंसी में बड़ी संख्या में कंप्लेन आए. उन शिकायतों को संबंधित विभाग के पास फॉरवर्ड किया जाता है.

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