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HEC महिला समितिः कभी मसाला बनाकर महिलाओं का हाथ करती थीं मजबूत, आज छा गयी है मंदी - social welfare in Ranchi

देश का मातृ उद्योग कहा जाने वाला एचईसी भले ही बुरे दौर से गुजर रहा हो लेकिन इसमें काम करने वाले कर्मचारियों में नेक काम करने का जज्बा कम नहीं हुआ है. एचईसी महिला समिति उसी की मिसाल है. जिसमें एचईसी के कर्मचारी और अधिकारियों की पत्नियां समिति बनाकर मसाला बनाकर समाज कल्याण में जुटी हैं. लेकिन आज समिति खुद वित्तीय संकट से जूझ रही है.

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एचईसी महिला समिति
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Published : Sep 26, 2021, 7:22 PM IST

Updated : Sep 27, 2021, 6:11 AM IST

रांचीः देश में अपनी अद्भुत उत्पादों को लेकर एचईसी ने अपने कई कार्यों से गौरव प्राप्त किया है. एचईसी में काम करने वाले कर्मचारियों की कला की जितनी भी प्रसंशा की जाए कम होगी. क्योंकि अंतरिक्ष अनुसंधान से लेकर खनन, इस्पात, रेलवे, बिजली सभी क्षेत्रों में अपने बेहतर कार्य का परिचय दिया है. देश के कल्याण में एचईसी के कर्मचारियों और अधिकारियों ने जितना योगदान दिया है उसी प्रकार समाज को बेहतर बनाने के लिए कर्मचारियों और अधिकारियों की पत्नियों का भी प्रयास सराहनीय रहा है.

इसे भी पढ़ें- विश्व के हर कोने में पहुंचेगी झारखंड की खुशबू, दीदियों की मेहनत पर चढ़ेगा पलाश का रंग, अमेजन और फ्लिपकार्ट देंगे प्लेटफॉर्म


दरअसल एचईसी के कर्मचारी और अधिकारियों की पत्नियों के द्वारा मसाले का निर्माण किया जाता है जो सिर्फ रांची ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न जगहों के लोग पसंद करते हैं. एचईसी महिला समिति के नाम से चल रही संस्था समाज के कल्याण के लिए कार्य कर रही है. जिससे गरीब महिलाएं रोजगार प्राप्त कर आत्मनिर्भर बन रही हैं तो समिति के पैसों से गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद भी की जाती है.

देखें पूरी खबर

समिति की आय का 80% समाज कल्याण में होता है खर्च
एचईसी में काम करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों की पत्नियों के द्वारा एचईसी महिला समिति का गठन किया गया है. यह समिति चार दशक पहले ही बनाई गई थी. इसका मुख्य उद्देश्य है कि महिलाओं के द्वारा बनाए गए मसाले से आने वाली आय समाज के विकास में लगाया जा सके. संस्था के सेक्रेटरी नीता सिंह बताती है कि समिति से आने वाले आय को अनाथालय, वृद्धा आश्रम और झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले गरीब लोग और जरूरतमंदों के लिए उपयोग में लाया जाता है.


एचईसी की कैंटीन में मसाला सप्लाई होता था
उन्होंने बताया कि समिति का जब गठन किया गया तो उस वक्त एचईसी में चलने वाले कैंटीन में सभी मसाले का उपयोग होता था. एचईसी को भी आर्थिक लाभ होता था और हमारी समिति को भी आर्थिक सहायता मिल जाती थी. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से कैंटीन बंद होने के कारण हमारे मसालों का बिक्री बंद हो गई, जिससे महिलाओं की इस समिति को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है.

इसे भी पढ़ें- HEC Upgradation! सरकारी सुविधा और आधुनिकीकरण का अभाव, आश्वासन के बावजूद तंगहाली की मार झेल रहा एचईसी


समिति को मिले आर्थिक मदद: रेखा चौधरी
समिति की सदस्य रेखा चौधरी बताती हैं कि पिछले कई दशक से एचईसी महिला समिति के बनाए मसालों का उपयोग पूरा देश करता था. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से आर्थिक तंगी होने के कारण मसालों का निर्माण प्रचुर मात्रा में नहीं हो पा रहा है. उन्होंने सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि राज्य सरकार और कोई संगठन इस पर पहल करे, साथ ही आर्थिक सहायता प्रदान करें. जिससे समिति की माली हालत में सुधार हो और समिति में काम करने वाले कामगारों का जीवन यापन हो सके.


कोरोना काल में समिति ने की लोगों की मदद
समिति ने कोरोना काल में भी मानवता का परिचय देते हुए लोगों की मदद करने के लिए अपनी जमा पूंजी तक बहा दी. आज वह समिति खुद तंगी की हालत में है. समिति से जुड़ी महिलाएं बताती हैं कि घर के पुरूष जब कार्यालय में काम करने जाते हैं तो घरेलू औरतें अपना महत्वपूर्ण समय घर में बिताती है ऐसी महिलाओं के लिए एचईसी महिला समिति वरदान है. जहां आकर वो अपने हुनर से खुद भी आत्मनिर्भर बने और समाज कल्याण के लिए काम भी करे.


यहां शुद्ध तरीके से बनाए जाते हैं मसाले
एचईसी महिला समिति की सदस्य रंजना सिन्हा बताती हैं कि आज की भागमभाग की दुनिया में लोग गुणवत्ता को नजरअंदाज कर रहे हैं. लेकिन हमारी समिति में बनाए जा रहे मसाले की शुद्धता की 100% गारंटी है क्योंकि सभी मसालों का निर्माण समिति में कार्यरत सदस्यों के हाथों से होता है. धनिया, गोलकी, खोआ, निमकी, बड़ी, तिलोरी, बेसन, सब्जी मसाला, हल्दी, आलू चिप्स तरह के घरेलू खाद्य पदार्थ का निर्माण इस समिति में किया जाता है.

इसे भी पढ़ें- HEC प्लांट हॉस्पिटल बन कर रह गया है 'रेफर' सेंटर, प्राथमिक उपचार से ज्यादा कोई सुविधा नहीं है उपलब्ध


सरकारी स्तर पर मिलनी चाहिए मदद
राजधानी सहित एचईसी क्षेत्र में महिलाओं के लिए बेहतर काम कर रही संजीवनी शक्ति सेवा समिति नामक एनजीओ की संचालक रजनी सत्यकाम बताती हैं कि एचईसी के अधिकारियों की बीवियों की ओर से चलाई जा रही समिति निश्चित रूप से सराहनीय कार्य कर रही है. ऐसी संस्थाओं के लिए सरकारी स्तर पर मदद मिलनी चाहिए. ऐसी संस्थाओं को मदद दिलाने के लिए और इनके शुद्ध मसाले की मार्केटिंग को लेकर सरकारी स्तर पर प्रचार प्रसार किया जाएगा ताकि घर बैठे ही महिलाओं के बनाए गए सामान बाजार के माध्यम से लोगों तक पहुंच सके. जिससे इनकी समिति को मजबूती मिल सके.

कर्मचारियों ने मदद की लगाई गुहार
एचईसी महिला समिति की देखरेख कर रही आरती झा बताती हैं कि पिछले कई दशक से वह इस समिति में काम कर रही हैं. लेकिन आज तक आर्थिक स्तर पर उन्हें कोई सुविधा मुहैया नहीं हो पायी है. उन्होंने भी सरकार से मांग करते हुए कहा कि राज्य सरकार हमारी समस्याओं पर ध्यान दें ताकि हम भी अपना भविष्य बेहतर तरीके से जी सकें.

वर्ष 1968 से गरीब महिलाओं को मदद कर रही एचईसी महिला समिति की हालत धीरे-धीरे खराब होती जा रही. वर्तमान स्थिति को देख कर ये कहना गलत नहीं होगा एचईसी महिला समिति का विकास निश्चित रूप से रुक गया है. इसको लेकर एचईसी में काम करने वाले कर्मचारियों ने भी कहा कि अगर केंद्र सरकार और राज्य सरकार एचईसी के पुनरुत्थान के लिए विचार करेगी तो एचईसी में काम करने वाले कामगारों के साथ एचईसी महिला समिति का भी उत्थान हो जाएगा.

रांचीः देश में अपनी अद्भुत उत्पादों को लेकर एचईसी ने अपने कई कार्यों से गौरव प्राप्त किया है. एचईसी में काम करने वाले कर्मचारियों की कला की जितनी भी प्रसंशा की जाए कम होगी. क्योंकि अंतरिक्ष अनुसंधान से लेकर खनन, इस्पात, रेलवे, बिजली सभी क्षेत्रों में अपने बेहतर कार्य का परिचय दिया है. देश के कल्याण में एचईसी के कर्मचारियों और अधिकारियों ने जितना योगदान दिया है उसी प्रकार समाज को बेहतर बनाने के लिए कर्मचारियों और अधिकारियों की पत्नियों का भी प्रयास सराहनीय रहा है.

इसे भी पढ़ें- विश्व के हर कोने में पहुंचेगी झारखंड की खुशबू, दीदियों की मेहनत पर चढ़ेगा पलाश का रंग, अमेजन और फ्लिपकार्ट देंगे प्लेटफॉर्म


दरअसल एचईसी के कर्मचारी और अधिकारियों की पत्नियों के द्वारा मसाले का निर्माण किया जाता है जो सिर्फ रांची ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न जगहों के लोग पसंद करते हैं. एचईसी महिला समिति के नाम से चल रही संस्था समाज के कल्याण के लिए कार्य कर रही है. जिससे गरीब महिलाएं रोजगार प्राप्त कर आत्मनिर्भर बन रही हैं तो समिति के पैसों से गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद भी की जाती है.

देखें पूरी खबर

समिति की आय का 80% समाज कल्याण में होता है खर्च
एचईसी में काम करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों की पत्नियों के द्वारा एचईसी महिला समिति का गठन किया गया है. यह समिति चार दशक पहले ही बनाई गई थी. इसका मुख्य उद्देश्य है कि महिलाओं के द्वारा बनाए गए मसाले से आने वाली आय समाज के विकास में लगाया जा सके. संस्था के सेक्रेटरी नीता सिंह बताती है कि समिति से आने वाले आय को अनाथालय, वृद्धा आश्रम और झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले गरीब लोग और जरूरतमंदों के लिए उपयोग में लाया जाता है.


एचईसी की कैंटीन में मसाला सप्लाई होता था
उन्होंने बताया कि समिति का जब गठन किया गया तो उस वक्त एचईसी में चलने वाले कैंटीन में सभी मसाले का उपयोग होता था. एचईसी को भी आर्थिक लाभ होता था और हमारी समिति को भी आर्थिक सहायता मिल जाती थी. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से कैंटीन बंद होने के कारण हमारे मसालों का बिक्री बंद हो गई, जिससे महिलाओं की इस समिति को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है.

इसे भी पढ़ें- HEC Upgradation! सरकारी सुविधा और आधुनिकीकरण का अभाव, आश्वासन के बावजूद तंगहाली की मार झेल रहा एचईसी


समिति को मिले आर्थिक मदद: रेखा चौधरी
समिति की सदस्य रेखा चौधरी बताती हैं कि पिछले कई दशक से एचईसी महिला समिति के बनाए मसालों का उपयोग पूरा देश करता था. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से आर्थिक तंगी होने के कारण मसालों का निर्माण प्रचुर मात्रा में नहीं हो पा रहा है. उन्होंने सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि राज्य सरकार और कोई संगठन इस पर पहल करे, साथ ही आर्थिक सहायता प्रदान करें. जिससे समिति की माली हालत में सुधार हो और समिति में काम करने वाले कामगारों का जीवन यापन हो सके.


कोरोना काल में समिति ने की लोगों की मदद
समिति ने कोरोना काल में भी मानवता का परिचय देते हुए लोगों की मदद करने के लिए अपनी जमा पूंजी तक बहा दी. आज वह समिति खुद तंगी की हालत में है. समिति से जुड़ी महिलाएं बताती हैं कि घर के पुरूष जब कार्यालय में काम करने जाते हैं तो घरेलू औरतें अपना महत्वपूर्ण समय घर में बिताती है ऐसी महिलाओं के लिए एचईसी महिला समिति वरदान है. जहां आकर वो अपने हुनर से खुद भी आत्मनिर्भर बने और समाज कल्याण के लिए काम भी करे.


यहां शुद्ध तरीके से बनाए जाते हैं मसाले
एचईसी महिला समिति की सदस्य रंजना सिन्हा बताती हैं कि आज की भागमभाग की दुनिया में लोग गुणवत्ता को नजरअंदाज कर रहे हैं. लेकिन हमारी समिति में बनाए जा रहे मसाले की शुद्धता की 100% गारंटी है क्योंकि सभी मसालों का निर्माण समिति में कार्यरत सदस्यों के हाथों से होता है. धनिया, गोलकी, खोआ, निमकी, बड़ी, तिलोरी, बेसन, सब्जी मसाला, हल्दी, आलू चिप्स तरह के घरेलू खाद्य पदार्थ का निर्माण इस समिति में किया जाता है.

इसे भी पढ़ें- HEC प्लांट हॉस्पिटल बन कर रह गया है 'रेफर' सेंटर, प्राथमिक उपचार से ज्यादा कोई सुविधा नहीं है उपलब्ध


सरकारी स्तर पर मिलनी चाहिए मदद
राजधानी सहित एचईसी क्षेत्र में महिलाओं के लिए बेहतर काम कर रही संजीवनी शक्ति सेवा समिति नामक एनजीओ की संचालक रजनी सत्यकाम बताती हैं कि एचईसी के अधिकारियों की बीवियों की ओर से चलाई जा रही समिति निश्चित रूप से सराहनीय कार्य कर रही है. ऐसी संस्थाओं के लिए सरकारी स्तर पर मदद मिलनी चाहिए. ऐसी संस्थाओं को मदद दिलाने के लिए और इनके शुद्ध मसाले की मार्केटिंग को लेकर सरकारी स्तर पर प्रचार प्रसार किया जाएगा ताकि घर बैठे ही महिलाओं के बनाए गए सामान बाजार के माध्यम से लोगों तक पहुंच सके. जिससे इनकी समिति को मजबूती मिल सके.

कर्मचारियों ने मदद की लगाई गुहार
एचईसी महिला समिति की देखरेख कर रही आरती झा बताती हैं कि पिछले कई दशक से वह इस समिति में काम कर रही हैं. लेकिन आज तक आर्थिक स्तर पर उन्हें कोई सुविधा मुहैया नहीं हो पायी है. उन्होंने भी सरकार से मांग करते हुए कहा कि राज्य सरकार हमारी समस्याओं पर ध्यान दें ताकि हम भी अपना भविष्य बेहतर तरीके से जी सकें.

वर्ष 1968 से गरीब महिलाओं को मदद कर रही एचईसी महिला समिति की हालत धीरे-धीरे खराब होती जा रही. वर्तमान स्थिति को देख कर ये कहना गलत नहीं होगा एचईसी महिला समिति का विकास निश्चित रूप से रुक गया है. इसको लेकर एचईसी में काम करने वाले कर्मचारियों ने भी कहा कि अगर केंद्र सरकार और राज्य सरकार एचईसी के पुनरुत्थान के लिए विचार करेगी तो एचईसी में काम करने वाले कामगारों के साथ एचईसी महिला समिति का भी उत्थान हो जाएगा.

Last Updated : Sep 27, 2021, 6:11 AM IST

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