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सिपाही नियुक्ति नियमावली 2014 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई, 4190 प्रतिवादियों ने रखा पक्ष - Hearing on petition challenging constable appointment

झारखंड हाई कोर्ट में सिपाही नियुक्ति नियमावली 2014 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट में सरकार की तरफ से जवाब पेश किया गया. इस पर प्रार्थी के द्वारा प्रतिउत्तर के लिए समय मांगा गया है. कोर्ट ने 04 अप्रैल को सुनवाई की अगली तिथि निर्धारित की है.

jharkhand high court
सिपाही नियुक्ति नियमावली पर सुनवाई
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Published : Apr 11, 2022, 10:34 PM IST

रांची: झारखंड हाई कोर्ट में सिपाही नियुक्ति नियमावली 2014 को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई. यह सुनवाई चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में हुई. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने प्रतिवादियों को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था. इसी क्रम में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से जवाब में पेश किया और बताया कि सिपाही नियुक्ति नियमावली नियम संगत है. नियुक्ति प्रक्रिया नियम अनुकूल की गई है. जिसके बाद अदालत ने प्रार्थी को प्रतिउत्तर देने का निर्देश दिया. जिसपर प्रार्थी ने समय मांगा. कोर्ट ने प्रार्थी को प्रतिउत्तर के लिए समय देते हुए, अगली सुनवाई की तारीख 4 मई को निर्धारित की है.

इसे भी पढ़ें: हाई कोर्ट में सिपाही नियुक्ति नियमावली को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई, सरकार ने कहा- नियमों का नहीं हुआ उल्लंघन

4190 अभ्यर्थियों की ओर से जवाब पेश किया गया: पूर्व में इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद चयनित उम्मीदवारों को प्रतिवादी बनाते हुए, उन्हें नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था. राज्य सरकार को भी मामले में अपना जवाब पेश करने को कहा था. उसी आदेश के आलोक में राज्य सरकार और चयनित 4190 अभ्यर्थियों की ओर से अदालत में जवाब पेश किया गया. याचिका को खारिज किए जाने की दलील पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने विरोध किया.

नियमावली के अनुसार हुई नियुक्ति: इस संबंध में सुनील टुडू सहित 50 लोगों द्वारा याचिका अदालत में दाखिल की गई है. सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि सिपाही नियुक्ति नियमवली 2014 पुलिस मैनुअल के प्रविधानों के विपरीत की गई है. नई नियमावली में लिखित परीक्षा के लिए निर्धारित न्यूनतम क्वालिफाइंग मार्क्स की शर्त भी गलत है. इसलिए नई नियमावली को निरस्त कर देना चाहिए.

इस मामले में जेएसएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह का कहना है कि नई नियमावली के अनुसार ही वर्ष 2015 में सभी जिलों में सिपाही और जैप के जवानों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था. नियुक्ति की प्रक्रिया वर्ष 2018 में पूरी कर ली गई थी. इस पर वादियों की ओर से कहा गया कि पूर्व में हाई कोर्ट की एकलपीठ ने इस मामले के अंतिम फैसले से नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावित होने का आदेश दिया था.

रांची: झारखंड हाई कोर्ट में सिपाही नियुक्ति नियमावली 2014 को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई. यह सुनवाई चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में हुई. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने प्रतिवादियों को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था. इसी क्रम में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से जवाब में पेश किया और बताया कि सिपाही नियुक्ति नियमावली नियम संगत है. नियुक्ति प्रक्रिया नियम अनुकूल की गई है. जिसके बाद अदालत ने प्रार्थी को प्रतिउत्तर देने का निर्देश दिया. जिसपर प्रार्थी ने समय मांगा. कोर्ट ने प्रार्थी को प्रतिउत्तर के लिए समय देते हुए, अगली सुनवाई की तारीख 4 मई को निर्धारित की है.

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4190 अभ्यर्थियों की ओर से जवाब पेश किया गया: पूर्व में इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद चयनित उम्मीदवारों को प्रतिवादी बनाते हुए, उन्हें नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था. राज्य सरकार को भी मामले में अपना जवाब पेश करने को कहा था. उसी आदेश के आलोक में राज्य सरकार और चयनित 4190 अभ्यर्थियों की ओर से अदालत में जवाब पेश किया गया. याचिका को खारिज किए जाने की दलील पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने विरोध किया.

नियमावली के अनुसार हुई नियुक्ति: इस संबंध में सुनील टुडू सहित 50 लोगों द्वारा याचिका अदालत में दाखिल की गई है. सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि सिपाही नियुक्ति नियमवली 2014 पुलिस मैनुअल के प्रविधानों के विपरीत की गई है. नई नियमावली में लिखित परीक्षा के लिए निर्धारित न्यूनतम क्वालिफाइंग मार्क्स की शर्त भी गलत है. इसलिए नई नियमावली को निरस्त कर देना चाहिए.

इस मामले में जेएसएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह का कहना है कि नई नियमावली के अनुसार ही वर्ष 2015 में सभी जिलों में सिपाही और जैप के जवानों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था. नियुक्ति की प्रक्रिया वर्ष 2018 में पूरी कर ली गई थी. इस पर वादियों की ओर से कहा गया कि पूर्व में हाई कोर्ट की एकलपीठ ने इस मामले के अंतिम फैसले से नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावित होने का आदेश दिया था.

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