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ACP और AMCP पर सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई, 3 सप्ताह में मांगा जवाब

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Published : Sep 27, 2019, 12:25 PM IST

झारखंड हाईकोर्ट में एसीपी और एएमसीपी के लाभ प्रशिक्षण के बाद दिए जाने के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. इस मामले की सुनवाई गुरुवार को की गई. जहां अदालत ने सरकार से जवाब मांगा है और कहा है कि इस मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह के बाद होगी.

झारखंड हाईकोर्ट

रांची: झारखंड के सिपाहियों को एसीपी और एएमसीपी के लाभ प्रशिक्षण के बाद दिए जाने के सरकार के आदेश के खिलाफ हाइकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. यह सुनवाई न्यायाधीश डॉक्टर एसएन पाठक की अदालत में की गई. अदालत ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह में जवाब पेश करने का आदेश दिया है.

देखें पूरी खबर


दिवाकर उपाध्याय ने बताया कि झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष नरेंद्र कुमार ने हाइकोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जो एसीपी और एएमसीपी के लाभ प्रशिक्षण के बाद दिए जाने के खिलाफ थी.


वहीं सुनवाई के दौरान अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने 6 जून 2019 को एक आदेश पारित किया था. जिसमें राज्य के सिपाही को एसीपी और एएमसीपी का लाभ प्रशिक्षण के बाद देने का आदेश दिया है. उन्होंने कहा यह आदेश गलत है. उन्होंने इसके लिए हाइकोर्ट के एक आदेश का हवाला दिया है, जिसमें बताया है कि उन्हें एसीपी और एएमसीपी का लाभ नौकरी की अवधि दस साल, 20 साल और तीस साल के बाद दिया जाना है.

ये भी देखें- चेन्नई में बंधक बने झारखंड के 11 मजदूर, परिजनों ने पुलिस से लगाई गुहार

उन्होंने अदालत को बताया कि प्रशिक्षण विभाग को दिलाना है, लेकिन विभाग के द्वारा प्रशिक्षण समय पर नहीं दिलाया जाता है. जिसके कारण से उन्हें समय पर लाभ नही मिलेगा, जो गलत है. प्रशिक्षण समय पर होने के लिए सिपाही तो दोषी नहीं है. यह तो विभाग की गलती है, विभाग की गलती सिपाही को दी जा रही है.

रांची: झारखंड के सिपाहियों को एसीपी और एएमसीपी के लाभ प्रशिक्षण के बाद दिए जाने के सरकार के आदेश के खिलाफ हाइकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. यह सुनवाई न्यायाधीश डॉक्टर एसएन पाठक की अदालत में की गई. अदालत ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह में जवाब पेश करने का आदेश दिया है.

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दिवाकर उपाध्याय ने बताया कि झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष नरेंद्र कुमार ने हाइकोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जो एसीपी और एएमसीपी के लाभ प्रशिक्षण के बाद दिए जाने के खिलाफ थी.


वहीं सुनवाई के दौरान अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने 6 जून 2019 को एक आदेश पारित किया था. जिसमें राज्य के सिपाही को एसीपी और एएमसीपी का लाभ प्रशिक्षण के बाद देने का आदेश दिया है. उन्होंने कहा यह आदेश गलत है. उन्होंने इसके लिए हाइकोर्ट के एक आदेश का हवाला दिया है, जिसमें बताया है कि उन्हें एसीपी और एएमसीपी का लाभ नौकरी की अवधि दस साल, 20 साल और तीस साल के बाद दिया जाना है.

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उन्होंने अदालत को बताया कि प्रशिक्षण विभाग को दिलाना है, लेकिन विभाग के द्वारा प्रशिक्षण समय पर नहीं दिलाया जाता है. जिसके कारण से उन्हें समय पर लाभ नही मिलेगा, जो गलत है. प्रशिक्षण समय पर होने के लिए सिपाही तो दोषी नहीं है. यह तो विभाग की गलती है, विभाग की गलती सिपाही को दी जा रही है.

Intro:
रांची
बाइट--दिवाकर उपाध्याय अधिवक्ता झारखंड हाई कोर्ट

झारखंड के सिपाही को एसीपी और एएमसीपी के लाभ प्रशिक्षण के बाद दिये जाने के सरकार के आदेश के खिलाफ हाइकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई हुई। न्यायाधीश डॉक्टर एसएन पाठक की अदालत में मामले पर सुनवाई हुई। अदालत ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह में जवाब पेश करने का आदेश दिया है। अदालत ने विस्तृत जवाब पेश करने को कहा है। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने 6 जून 2019 को एक आदेश पारित किया है जिसमें राज्य के सिपाही को एसीपी और एएमसीपी का लाभ प्रशिक्षण प्राप्ती के बाद देने का आदेश दिया है।

Body:उन्होने कहा यह आदेश गलत है। उन्होने इसके लिए हाइकोर्ट के एक आदेश का हवाला दिया है जिसमें बताया है कि उन्हें एसीपी और एएमसीपी का लाभ नौकरी की अबधी दस वर्ष बीस वर्ष और तीस वर्ष के उपरांत दिया जाना है। उन्होने अदालत को बताया कि प्रशिक्षण विभाग को दिलाना है। लेकिन विभाग के द्वारा प्रशिक्षण समय पर नही दिलाया जाता है। जिसके कारण से उन्हें समय पर लाभ नही मिलेगा जो गलत है। प्रशिक्षण समय पर होने के लिए सिपाही तो दोषी नही है। यह तो विभाग की गलती है। विभाग के गलती सिपाही को दी जा रही है। झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष नरेंद्र कुमार ने हाइकोर्ट में याचिका दायर किया है। उसी याचिका पर आज सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी।Conclusion:
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