रांची: चारा घोटाला के Rc20a/96 चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के पूरक अभिलेख मामले में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसएन मिश्रा की अदालत ने आरोपी सैरुन निशा को दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा सुनाई है. साथ ही न्यायालय ने एक लाख 40 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. साथ ही तारा शाहदेव और रंजीत कोहली से जुड़े मामले की भी AGC-3 के विशेष न्यायाधीश एसके पांडेय की अदालत में सुनवाई हुई.
एक लाख रुपए जुर्माना
बता दें कि चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में कोर्ट ने सैरुन निशा को दोषी ठहराया है और तीन साल की सजा सुनाई. एक लाख रुपए जुर्माना की राशि नहीं देने पर उन्हें अतिरिक्त 31 माह की सजा काटनी होगी. हालांकि आरोपी को औपबंधिक जमानत न्यायालय से लेने के लिए एक निश्चित समय पर हाईकोर्ट में आवेदन कर मामले की सुनवाई कराकर स्वीकृति लेनी होगी.
लालू प्रसाद यादव समेत 45 दोषियों को सजा मिल चुकी है
दरअसल, चारा घोटाला का यह मामला चाईबासा कोषागार से लगभग 37 करोड़ की अवैध निकासी से संबंधित है. चाईबासा कोषागार से जुड़े पूरक अभिलेख के इस मामले में पूर्व में ही 18 लोगों को सजा सुनाई जा चुकी है. वहीं इसी मामले में न्यायलय ने साल 2013 में फैसला सुनाया था. जिसमें लालू प्रसाद यादव समेत 45 दोषियों को सजा मिल चुकी है.
तारा शाहदेव और रंजीत कोहली से जुड़े मामले की सुनवाई
इधर, बहुत चर्चित तारा शाहदेव और रंजीत कोहली से जुड़े मामले की सुनवाई AGC-3 के विशेष न्यायाधीश एसके पांडेय की अदालत में हुई. तारा शाहदेव की निकाह कराने वाले काजी जान मोहम्मद मुस्ताकबुल की गवाही दर्ज की गई. गवाही में उन्होंने तारा शाहदेव और रंजीत कोहली की निकाह करने से संबंधित जानकारी न्यायालय को दी.
ट्रायल फेस पर झारखंड हाईकोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार
इस मामले में तारा शाहदेव ने रंजीत कोहली पर जबरन धर्म पतिवर्तन, दुष्कर्म करने, आपराधिक साजिश रचने और धार्मिक आस्था पर चोट पहुंचाने का आरोप लगाया गया है. बता दें कि इस मामले में रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन और उसकी मां कौशल रानी और झारखंड हाईकोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार विजिलेंस मुश्ताक अहमद ट्रायल फेस कर रहे हैं.
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2014 से जेल में है रंजीत कोहली
मामले में अभियुक्त रंजीत कोहली 27 अगस्त 2014 से लगातार जेल में है. वहीं झारखंड हाईकोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार विजिलेंस मुश्ताक अहमद फिलहाल जमानत पर हैं. लेकिन कोर्ट के निर्देश पर इन्हें हर तिथि पर अदालत में उपस्थित होना है.