रांचीः झारखंड सरकार (Jharkhand Government) के द्वारा राज्य में ब्लैक फंगस (Black Fungus) को महामारी घोषित किए जाने के बावजूद भी पीड़ित मरीज का समुचित इलाज नहीं हो पा रही है, जिसके कारण राज्य में सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुल रही है.
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झारखंड के एकमात्र रेफरल अस्पताल रिम्स में इस बीमारी से पीड़ित मरीज भगवान भरोसे है. ऐसी स्थिति में राज्य सरकार की चौतरफा किरकिरी हो रही है. पीड़ित के परिजन दवाई और अन्य सुविधा के लिए दर-दर भटक रहे हैं. ऐसे मरीज में से एक उषा देवी के परिजन ने राज्य सरकार सहित आला अधिकारियों के पास समुचित इलाज के लिए गुहार लगाई, लेकिन कोई भी सुनने वाला नहीं है, पीड़िता के बच्चे अपनी मां की इलाज के लिए सभी से सहायता मांग रहे हैं. उन्होंने हाई कोर्ट को पत्र लिखकर यह जानकारी दी कि, उनकी मां की स्थिति दिनों-दिन खराब होते जा रही है, रिम्स में उनका समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है, कोई आला अधिकारी बातें नहीं सुन रहे हैं. अपनी मां की इलाज के लिए उन्होंने अदालत से भी गुहार लगाई.
पीड़ित के परिवार पर हाई कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान
उषा देवी के परिजन के पत्र पर झारखंड हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए उसे जनहित याचिका में बदलकर मामले पर सुनवाई की. उसी जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने मामले में सख्त रुख अख्तियार करते हुए राज्य सरकार से पूछा कि, पीड़ितों की इलाज ठीक ढंग से क्यों नहीं हो पा रही है? सरकार ने जब इसे महामारी घोषित किया, तो इसकी समुचित इलाज की व्यवस्था क्यों नहीं कर रही है? पीड़ित के परिजन क्यों दर-दर भटकने को मजबूर हैं. इन तमाम बिंदु पर राज्य सरकार को विस्तृत जवाब पेश करने का आदेश दिया है, साथ ही अदालत ने पीड़ित के इलाज के लिए राज्य सरकार को चाक-चौबंद व्यवस्था उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया है. जिन पीड़ितों के द्वारा हाई कोर्ट को पत्र लिखा गया है, उन्हें पीड़ित ना करने का सख्त निर्देश भी जारी किया गया है.
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रिम्स में दवा की किल्लत
सुनवाई के दौरान अदालत ने रिम्स के डायरेक्टर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश होने को कहा. अदालत के आदेश पर रिम्स के डायरेक्टर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित हुए. अदालत ने डायरेक्टर से पूछा कि, ब्लैक फंगस के मरीजों की इलाज समुचित ढंग से क्यों नहीं की जा रही है? उन्होंने पूछा कि, पीड़ित को दवाई रिम्स के द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है? जिस पर उन्होंने सहमति तो जताई, लेकिन जैसे ही अदालत ने कहा, कि शपथ पत्र के माध्यम से अदालत में जवाब पेश करें कि, सभी तरह की दवाई रिम्स के द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है, जिस पर डायरेक्टर ने कहा, कि रिम्स में सभी तरह की दवाइयों की सप्लाई नहीं है.
राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने पीड़ित की शिकायत को बताया गलत
मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को जानकारी दी है कि, राज्य सरकार ने ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों की समुचित इलाज की व्यवस्था की है, जो मरीज भर्ती हैं, उनका समुचित इलाज किया जा रहा है, सरकार के द्वारा पीड़ित की डॉक्टरों की टीम बनाकर सरकारी खर्चे पर समुचित इलाज की जा रही है. उन्होंने कहा कि परिजन के द्वारा यह कहा जाना कि, उन्हें तमिलनाडु ले जाने की बात कही गई, यह गलत है, यह किसी डॉक्टर की पर्सनल राय हो सकती है, राज्य सरकार बीमारी से पीड़ित की इलाज के लिए हर संभव तैयारी कर रही है.
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8 जुलाई को होगी मामले की अगली सुनवाई
अदालत ने राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद राज्य सरकार को बिंदुवार मामले में विस्तृत जवाब शपथ पत्र के माध्यम से अदालत में पेश करने को कहा है, साथ ही झारखंड लीगल सर्विस अथॉरिटी को भी अदालत ने मामले में पीड़ित की इलाज के बिंदु पर जवाब पेश करने को कहा है. उन्होंने जवाब में यह बताने को कहा है कि, झालसा पीड़ित के इलाज के लिए क्या कर रही है? मामले की अगली सुनवाई 8 जुलाई को की जाएगी.