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झारखंड हाई कोर्ट ने की मौखिक टिप्पणी, पूछा- सिपाही का पैसा काटकर सरकार का भरेगा खजाना?

झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन की ओर से सिपाहियों की एसीपी और एमएसीपी लाभ में पक्षपात करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार सिपाहियों के एसीपी और एमएसीपी लाभ में पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहा है, जो नियम के अनुकूल नहीं है.

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झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Aug 27, 2020, 9:20 PM IST

रांची: झारखंड पुलिस के सिपाहियों की एसीपी और एमएसीपी का लाभ देने में विभाग की ओर से किए जा रहे पक्षपात को दूर करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य सरकार के वित्त विभाग को मामले में 21 सितंबर तक जवाब पेश करने को कहा है. सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से मौखिक रूप से पूछा कि 24 घंटे काम करने वाले सिपाहियों को जब पैसा देने का समय आता है तो विभाग ढुलमूल रवैया अपनाती है. क्या इनके पैसे काट कर ही खजाना भरे जाएंगे.

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई
झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन की ओर से सिपाहियों की एसीपी और एमएसीपी लाभ में पक्षपात करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले पर सुनवाई की. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय और सरकार के अधिवक्ता अपनी आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा.

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21 सितंबर को अगली सुनवाई
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार सिपाहियों के एसीपी और एमएसीपी लाभ में पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहा है, जो नियम के अनुकूल नहीं है. उन्होंने अदालत से सभी को एसीपी और एमएसीपी लाभ दिए जाने की मांग की. जिस पर अदालत ने राज्य सरकार के वित्त विभाग को मामले में शपथ पत्र के माध्यम से विस्तृत जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 21 सितंबर को होगी.

ये भी पढ़ें- बिना SIA और EIA के नहीं होगी माइनिंग: सुप्रियो भट्टाचार्य

राज्य सरकार के वित्त विभाग से जवाब मांगा गया
झारखंड पुलिस के सिपाहियों को एसीपी और एनसीपी का लाभ दिए जाने के लिए उसका ट्रेनिंग होना अनिवार्य रखा गया है, लेकिन विभाग के लापरवाही और अधिकारियों की लापरवाही के कारण सिपाहियों की ट्रेनिंग समय पर पूरी नहीं हो पा रही है. जिसके कारण उन्हें एसीपी और एमएसीपी का लाभ समय से नहीं दिया जा सकता है. उसी को लेकर झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन की ओर से याचिका दायर की गई है. उस याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार के वित्त विभाग से जवाब मांगा गया है.

रांची: झारखंड पुलिस के सिपाहियों की एसीपी और एमएसीपी का लाभ देने में विभाग की ओर से किए जा रहे पक्षपात को दूर करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य सरकार के वित्त विभाग को मामले में 21 सितंबर तक जवाब पेश करने को कहा है. सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से मौखिक रूप से पूछा कि 24 घंटे काम करने वाले सिपाहियों को जब पैसा देने का समय आता है तो विभाग ढुलमूल रवैया अपनाती है. क्या इनके पैसे काट कर ही खजाना भरे जाएंगे.

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई
झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन की ओर से सिपाहियों की एसीपी और एमएसीपी लाभ में पक्षपात करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले पर सुनवाई की. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय और सरकार के अधिवक्ता अपनी आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा.

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21 सितंबर को अगली सुनवाई
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार सिपाहियों के एसीपी और एमएसीपी लाभ में पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहा है, जो नियम के अनुकूल नहीं है. उन्होंने अदालत से सभी को एसीपी और एमएसीपी लाभ दिए जाने की मांग की. जिस पर अदालत ने राज्य सरकार के वित्त विभाग को मामले में शपथ पत्र के माध्यम से विस्तृत जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 21 सितंबर को होगी.

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राज्य सरकार के वित्त विभाग से जवाब मांगा गया
झारखंड पुलिस के सिपाहियों को एसीपी और एनसीपी का लाभ दिए जाने के लिए उसका ट्रेनिंग होना अनिवार्य रखा गया है, लेकिन विभाग के लापरवाही और अधिकारियों की लापरवाही के कारण सिपाहियों की ट्रेनिंग समय पर पूरी नहीं हो पा रही है. जिसके कारण उन्हें एसीपी और एमएसीपी का लाभ समय से नहीं दिया जा सकता है. उसी को लेकर झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन की ओर से याचिका दायर की गई है. उस याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार के वित्त विभाग से जवाब मांगा गया है.

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