रांचीः झारखंड बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के खिलाफ चल रहे दल बदल मामले(Babulal Marandi defection case) में आज स्पीकर ट्रिब्यूनल में सुनवाई होगी. न्यायाधिकरण में दोपहर 2 बजे ऑनलाइन सुनवाई होगी. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो फैसला सुना सकते हैं.
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30 अगस्त को इस मामले में सुनवाई पूरी करते हुए न्यायाधिकरण द्वारा फैसले की तारीख 1 सितंबर दोपहर 2 बजे निर्धारित की गई थी. सियासी संकट के बीच न्यायाधिकरण से आने वाले फैसले पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं. याचिकाकर्ता बंधु तिर्की को उम्मीद है कि स्पीकर का फैसला न्यायोचित होगा और बाबूलाल मरांडी की सदस्यता जरूर 10वीं अनसूची के उल्लंघन के आरोप में खत्म हो जायेगी. उन्होंने कहा कि बाबूलाल मरांडी की सदस्यता पहले ही चली जानी चाहिए थी. लेकिन सुनवाई की लंबी प्रक्रिया चली है और अब अंतिम मुकाम पर यह केस है. वहीं, बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने उम्मीद जताते हुए कहा है कि स्पीकर जरूर न्याय करेंगे. उन्होंने कहा कि इस संबंध में कोई भी कयास लगाना उचित नहीं होगा.
बाबूलाल मरांडी के ऊपर 10वीं अनसूची का उल्लंघन करते हुए विधानसभा अध्यक्ष के न्यायाधिकरण में(Hearing in Speaker Tribunal) चार अलग अलग केस दर्ज हैं. राजकुमार यादव ने 10वीं अनुसूची का उल्लंघन करने की शिकायत करते हुए विधानसभा में 16 दिसंबर 2020 को याचिका दाखिल की थी, जिसका कांड संख्या 02/2020 है. इसी तरह भूषण तिर्की द्वारा दाखिल केस नंबर 03/2020, दीपिका पांडे द्वारा दाखिल केस नंबर 01/2021 और प्रदीप यादव बंधु तिर्की द्वारा दाखिल केस नंबर 02/2021 है. इन दोनों की याचिका पर 21 जनवरी 2021 को कांड दर्ज किया गया था. इन चारों केस में लंबे समय से लगातार सुनवाई हुई हैं.
स्पीकर ट्रिब्यूनल (Hearing in Speaker Tribunal)के समक्ष अब तक 11 बार सुनवाई हुई है. बाबूलाल मरांडी की ओर से तर्क दिया गया कि झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक का भारतीय जनता पार्टी में मर्जर न्याय संगत है. इस पर भारत निर्वाचन आयोग ने भी मुहर लगाई है. विधायक बंधु तिर्की को जेवीएम प्रजातंत्रिक ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए 21 जनवरी 2020 को निष्कासित कर दिया था. इसके बाद प्रदीप यादव को भी पार्टी ने 6 फरवरी को निष्कासित कर दिया था. 11 फरवरी 2020 को जेवीएम प्रजातांत्रिक की कार्यसमिति की बैठक हुई थी, जिसमें 142 में से 132 ने भाग लेकर जेवीएम प्रजातांत्रिक का मर्जर बीजेपी में करने का फैसला लिया गया था. जेवीएम प्रजातांत्रिक के एकमात्र विधायक बचे बाबूलाल मरांडी ने भी इसपर सहमति दी थी. इसकी जानकारी भारत निर्वाचन आयोग को दी गई है.