रांचीः राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में राज्य के सभी विश्वविद्यालय, सरकार, यूजीसी और झारखंड लोक सेवा आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. अदालत ने यह भी कहा है कि हाई कोर्ट में याचिका लंबित रहते अगर नियुक्ति की जाती है तो नियुक्ति का अंतिम परिणाम अदालत के आदेश से प्रभावित होगा. मामले की अगली सुनवाई जनवरी महीने में होगी.
ये भी पढ़ेंः पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को झारखंड हाई कोर्ट से झटका, जमानत याचिका खारिज
झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ एसएन पाठक की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को जानकारी दी गई कि वर्ष 2018 में झारखंड लोक सेवा आयोग के द्वारा राज्य के विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया. प्रार्थी ने भी इसके लिए आवेदन दिया था. लेकिन आयोग ने प्रार्थी को परीक्षा में भाग लेने की अनुमति नहीं दी. कहा कि वे इसके योग्य नहीं हैं. विज्ञापन में जो शर्त दी गई है. उस शर्त के अनुरूप शैक्षणिक योग्यता नहीं है. आयोग की ओर से करण बताया गया है कि जूलॉजी में पीजी की डिग्री और नेट या समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण नहीं है. इसलिए आप इस परीक्षा में भाग लेने के योग्य नहीं हैं. आयोग के इसी फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता का कहना है कि उसने लाइफ साइंस में नेट की परीक्षा पास की है. नेट में सिर्फ लाइफ साइंस की परीक्षा होती है. इसलिए आयोग का यह कहना कि वह नेट क्वालीफाई नहीं है. इसलिए उनको भाग नहीं लेने दिया जाएगा. यह गलत है. उन्होंने झारखंड हाई कोर्ट के एक अन्य अदालत के आदेश का भी हवाला दिया. उनका कहना था कि क्योंकि प्रार्थी ने लाइफ साइंस से नेट पास किया है. इसलिए आयोग के द्वारा उन्हें परीक्षा से वंचित किया जाना उचित नहीं है. जेपीएससी को यह अधिकार नहीं है कि वह इस पर निर्णय ले सके. यह अधिकार संबंधित विश्वविद्यालय या यूजीसी को है.