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प्रोन्नति की मांग वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई, अदालत ने सरकार से मांगा जवाब - एसडीओ से एडिशनल कलेक्टर के पद पर प्रमोशन पर सुनवाई

झारखंड हाई कोर्ट में प्रोन्नति की मांग वाली दो याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. विश्वविद्यालयों में एसोसिएट प्रोफेसर की प्रोन्नति की मांग की याचिका पर कोर्ट ने विश्वविद्यालय और सरकार से जवाब मांगा है. एसडीओ से एडिशनल कलेक्टर के पद पर प्रोन्नति की मांग वाली याचिका पर मुख्य सचिव की ओर से अदालत को जानकारी दी गई कि सभी को प्रमोशन दे दिया गया है.

Hearing on promotion case in Jharkhand High Court
Hearing on promotion case in Jharkhand High Court
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Published : Oct 1, 2021, 8:37 PM IST

रांचीः राज्य के विश्वविद्यालयों में एसोसिएट प्रोफेसर की प्रोन्नति की मांग को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य सरकार और विश्वविद्यालय को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने को कहा है. जवाब पेश करने के लिए उन्हें 4 सप्ताह का समय दिया गया है. राज्य सरकार और विश्वविद्यालय का जवाब आने के बाद मामले की आगे सुनवाई की जाएगी.

इसे भी पढ़ें- प्रोन्नति मामले में झारखंड हाई कोर्ट ने जेपीएससी और रांची विश्वविद्यालय से किया शो-कॉज, पूछा- अब तक क्याें नहीं किया गया प्रोन्नति

झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ. एसएन पाठक की अदालत में प्रोन्नति की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई. इसको लेकर डॉ. मंजू कुमारी और 13 अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता चंचल जैन ने अदालत को बताया कि एसोसिएट प्रोफेसर को प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति के लिए यूजीसी ने रेगुलेशन बनाया है. करियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत प्रोन्नति मिलती थी, जो 31 दिसंबर 2008 तक लागू थी.

इसके बाद यूजीसी ने नया रेगुलेशन बनाया, जो झारखंड में 6 अगस्त 2021 से लागू है. ऐसे में वर्ष 2009 से अगस्त 2021 तक कोई नियम या कानून लागू नहीं था. जिससे प्रोफेसर से पद पर प्रोन्नति दी जा सके. अदालत से मांग की गई कि इस अवधि में वर्ष 2008 के रेगुलेशन को लागू किया जाए या फिर नयी स्कीम बनाकर प्रोन्नति दी जाए. क्योंकि इस अवधि में आहर्ता पूरी करने वाले लोगों को प्रोन्नति नहीं दी जा रही है. इस पर अदालत ने चार सप्ताह में सरकार और राज्य के सभी यूनिवर्सिटी से जवाब मांगा है.

एसडीओ से एडिशनल कलेक्टर के पद पर प्रोन्नति की मांग वाली याचिका

एसडीओ से एडिशनल कलेक्टर के पद पर प्रोन्नति की मांग वाली याचिका झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. राज्य सरकार के मुख्य सचिव की ओर से अदालत में शपथ पत्र दायर कर अदालत को जानकारी दी गई की सभी को प्रोन्नति दे दी गई है. राज्य सरकार के जवाब को देखने के बाद अदालत ने अपनी संतुष्टि जाहिर करते हुए याचिका को निष्पादित कर दिया है. करीब 2 दर्जन से अधिक अधिकारियों की प्रोन्नति अटकी हुई थी, अदालत की फटकार के बाद सभी को प्रोन्नति दी गई.

इसे भी पढ़ें- डिप्टी कलेक्टर से एसडीओ में प्रोन्नति का मामला पहुंचा झारखंड हाई कोर्ट, 20 अधिकारियों ने दायर की याचिका

झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ. एसएन पाठक की अदालत में प्रोन्नति से संबंधित मामले की सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अधिवक्ता ने मुख्य सचिव के माध्यम से अदालत में शपथ पत्र दायर किया. शपथ पत्र के माध्यम से अदालत को बताया कि कोर्ट के आदेश के आलोक में सभी को प्रोन्नति दे दी गई है. अदालत ने राज्य सरकार के जवाब को देखने के बाद उस पर अपनी संतुष्टि व्यक्त की और याचिका को निष्पादित कर दिया.

याचिकाकर्ता प्रवीण कुमार पाल एवं अन्य ने इस संबंध में झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका के माध्यम से प्रोन्नति संबंधी अधिसूचना जारी करने की मांग की. करीब 2 दर्जन से अधिक अधिकारियों की प्रोन्नति से जुड़ी इस मामले पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को जानकारी दी कि नवंबर 2020 में ही डीपीसी करने के बाद इनके प्रोन्नति की अनुशंसा कर दी गई. इस पर मुख्यमंत्री ने अपनी सहमति प्रदान कर दी लेकिन सभी प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद भी विभाग की ओर से प्रोन्नति की अधिसूचना जारी नहीं की गई.

इसको लेकर विभाग के द्वारा कहा जा रहा है कि कोविड-19 को देखते हुए मुख्य सचिव ने एक पत्र जारी कर सभी तरह की प्रोन्नति पर रोक लगा दी है. जिस पर अदालत ने मामले में राज्य के मुख्य सचिव को प्रणीति प्रक्रिया पूर्ण करते हुए खुद शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने को कहा गया था.

रांचीः राज्य के विश्वविद्यालयों में एसोसिएट प्रोफेसर की प्रोन्नति की मांग को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य सरकार और विश्वविद्यालय को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने को कहा है. जवाब पेश करने के लिए उन्हें 4 सप्ताह का समय दिया गया है. राज्य सरकार और विश्वविद्यालय का जवाब आने के बाद मामले की आगे सुनवाई की जाएगी.

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झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ. एसएन पाठक की अदालत में प्रोन्नति की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई. इसको लेकर डॉ. मंजू कुमारी और 13 अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता चंचल जैन ने अदालत को बताया कि एसोसिएट प्रोफेसर को प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति के लिए यूजीसी ने रेगुलेशन बनाया है. करियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत प्रोन्नति मिलती थी, जो 31 दिसंबर 2008 तक लागू थी.

इसके बाद यूजीसी ने नया रेगुलेशन बनाया, जो झारखंड में 6 अगस्त 2021 से लागू है. ऐसे में वर्ष 2009 से अगस्त 2021 तक कोई नियम या कानून लागू नहीं था. जिससे प्रोफेसर से पद पर प्रोन्नति दी जा सके. अदालत से मांग की गई कि इस अवधि में वर्ष 2008 के रेगुलेशन को लागू किया जाए या फिर नयी स्कीम बनाकर प्रोन्नति दी जाए. क्योंकि इस अवधि में आहर्ता पूरी करने वाले लोगों को प्रोन्नति नहीं दी जा रही है. इस पर अदालत ने चार सप्ताह में सरकार और राज्य के सभी यूनिवर्सिटी से जवाब मांगा है.

एसडीओ से एडिशनल कलेक्टर के पद पर प्रोन्नति की मांग वाली याचिका

एसडीओ से एडिशनल कलेक्टर के पद पर प्रोन्नति की मांग वाली याचिका झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. राज्य सरकार के मुख्य सचिव की ओर से अदालत में शपथ पत्र दायर कर अदालत को जानकारी दी गई की सभी को प्रोन्नति दे दी गई है. राज्य सरकार के जवाब को देखने के बाद अदालत ने अपनी संतुष्टि जाहिर करते हुए याचिका को निष्पादित कर दिया है. करीब 2 दर्जन से अधिक अधिकारियों की प्रोन्नति अटकी हुई थी, अदालत की फटकार के बाद सभी को प्रोन्नति दी गई.

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झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ. एसएन पाठक की अदालत में प्रोन्नति से संबंधित मामले की सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अधिवक्ता ने मुख्य सचिव के माध्यम से अदालत में शपथ पत्र दायर किया. शपथ पत्र के माध्यम से अदालत को बताया कि कोर्ट के आदेश के आलोक में सभी को प्रोन्नति दे दी गई है. अदालत ने राज्य सरकार के जवाब को देखने के बाद उस पर अपनी संतुष्टि व्यक्त की और याचिका को निष्पादित कर दिया.

याचिकाकर्ता प्रवीण कुमार पाल एवं अन्य ने इस संबंध में झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका के माध्यम से प्रोन्नति संबंधी अधिसूचना जारी करने की मांग की. करीब 2 दर्जन से अधिक अधिकारियों की प्रोन्नति से जुड़ी इस मामले पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को जानकारी दी कि नवंबर 2020 में ही डीपीसी करने के बाद इनके प्रोन्नति की अनुशंसा कर दी गई. इस पर मुख्यमंत्री ने अपनी सहमति प्रदान कर दी लेकिन सभी प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद भी विभाग की ओर से प्रोन्नति की अधिसूचना जारी नहीं की गई.

इसको लेकर विभाग के द्वारा कहा जा रहा है कि कोविड-19 को देखते हुए मुख्य सचिव ने एक पत्र जारी कर सभी तरह की प्रोन्नति पर रोक लगा दी है. जिस पर अदालत ने मामले में राज्य के मुख्य सचिव को प्रणीति प्रक्रिया पूर्ण करते हुए खुद शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने को कहा गया था.

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