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सिपाही नियुक्ति नियमावली को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई, 4190 अभ्यर्थियों की किस्मत का होगा फैसला

झारखंड हाई कोर्ट में सिपाही नियुक्ति नियमावली-2014 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट में प्रतिवादियों की ओर से उपस्थित अधिवक्ता की तरफ से जवाब पेश करने के लिए समय मांगा गया है. अब 10 जनवरी को इस मामले में अगली सुनवाई होगी.

jharkhand high court
झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Dec 6, 2021, 10:41 PM IST

रांची: झारखंड हाई कोर्ट में सिपाही नियुक्ति नियमावली-2014 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई, चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एस.एन प्रसाद की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान लगभग 4 हजार 190 प्रतिवादियों की ओर से अधिवक्ता कोर्ट में उपस्थित हुए जवाब पेश करने के लिए समय मांगा. अदालत ने उन्हें जवाब के लिए समय देते हुए 10 जनवरी को सुनवाई की अगली तिथि निर्धारित की है.

ये भी पढ़ें- झारखंड सरकार को हाई कोर्ट से फटकार, 20 दिसंबर तक प्रमोशन पर स्टैंड क्लियर करें या हाजिर हों चीफ सेक्रेटरी

पहले भी हो चुकी है सुनवाई

पूर्व में इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत प्रभावित चयनित उम्मीदवारों को प्रतिवादी बनाते हुए उन्हें नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था. उसी आदेश के आलोक में पूर्व में चयनित 4190 अभ्यर्थियों की ओर से आज अदालत में अधिवक्ता उपस्थित हुए.

कोर्ट में क्या हुआ

इस संबंध में सुनील टुडू सहित 50 याचिकाएं अदालत में दाखिल की गई है. सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि सिपाही नियुक्ति नियमावली-2014 पुलिस मैनुअल के प्रावधानों के विपरीत है. नई नियमावली में लिखित परीक्षा के लिए निर्धारित न्यूनतम क्वालिफाइंग मार्क्स की शर्त भी गलत है. इसलिए नई नियमावली को निरस्त कर देना चाहिए.

जेएसएससी ने रखा अपना पक्ष

इस मामले में जेएसएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह का कहना है कि नई नियमावली के अनुसार ही वर्ष 2015 में सभी जिलों में सिपाही और जैप के जवानों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था. नियुक्ति की प्रक्रिया वर्ष 2018 में पूरी कर ली गई है. इस पर वादियों की ओर से कहा गया कि पूर्व में हाई कोर्ट की एकलपीठ ने इस मामले के अंतिम फैसले से नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावित होने का आदेश दिया था.

रांची: झारखंड हाई कोर्ट में सिपाही नियुक्ति नियमावली-2014 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई, चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एस.एन प्रसाद की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान लगभग 4 हजार 190 प्रतिवादियों की ओर से अधिवक्ता कोर्ट में उपस्थित हुए जवाब पेश करने के लिए समय मांगा. अदालत ने उन्हें जवाब के लिए समय देते हुए 10 जनवरी को सुनवाई की अगली तिथि निर्धारित की है.

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पहले भी हो चुकी है सुनवाई

पूर्व में इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत प्रभावित चयनित उम्मीदवारों को प्रतिवादी बनाते हुए उन्हें नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था. उसी आदेश के आलोक में पूर्व में चयनित 4190 अभ्यर्थियों की ओर से आज अदालत में अधिवक्ता उपस्थित हुए.

कोर्ट में क्या हुआ

इस संबंध में सुनील टुडू सहित 50 याचिकाएं अदालत में दाखिल की गई है. सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि सिपाही नियुक्ति नियमावली-2014 पुलिस मैनुअल के प्रावधानों के विपरीत है. नई नियमावली में लिखित परीक्षा के लिए निर्धारित न्यूनतम क्वालिफाइंग मार्क्स की शर्त भी गलत है. इसलिए नई नियमावली को निरस्त कर देना चाहिए.

जेएसएससी ने रखा अपना पक्ष

इस मामले में जेएसएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह का कहना है कि नई नियमावली के अनुसार ही वर्ष 2015 में सभी जिलों में सिपाही और जैप के जवानों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था. नियुक्ति की प्रक्रिया वर्ष 2018 में पूरी कर ली गई है. इस पर वादियों की ओर से कहा गया कि पूर्व में हाई कोर्ट की एकलपीठ ने इस मामले के अंतिम फैसले से नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावित होने का आदेश दिया था.

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