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मसानजोर डैम मामले में झारखंड हाई कोर्ट में हुई सुनवाई, कोर्ट के सवाल का अधिकारी नहीं दे पाए जवाब

झारखंड हाई कोर्ट में मसानजोर डैम मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट ने जल संसाधन सचिव और संथाल परगना प्रमंडल के जल संसाधन विभाग के अभियंता से जानना चाहा कि अब तक मसानजोर डैम के जल विवाद को सुलझाने के लिए सरकार ने क्या क्या कदम उठाया है.

hearing in jharkhand high court
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Published : Sep 30, 2021, 6:02 PM IST

Updated : Oct 1, 2021, 11:17 AM IST

रांची: दुमका के मसानजोर डैम के पानी और बिजली का लाभ संथाल परगना के लोगों को मिले इसके मांग को लेकर सांसद निशिकांत दुबे की दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत के आदेश के आलोक में राज्य सरकार के जल संसाधन सचिव और संथाल परगना प्रमंडल के जल संसाधन विभाग के अभियंता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में हाजिर हुए.

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में मसानजोर डैम मामले पर सुनवाई हुई. ये पूरी सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की गई. इस दौरान हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग के सचिव और संथाल परगना प्रमंडल के जल संसाधन विभाग के अभियंता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में उपस्थित हुए. अदालत ने उनसे पूछा कि मसानजोर डैम परिसर में जो झारखंड सरकार का गेस्ट हाउस बना हुआ है उसके रखरखाव क्यों ठीक नहीं है? अब तक मसानजोर डैम के विवाद को सुलझाने के लिए क्या क्या कदम उठाए गए हैं? सचिव की ओर से सकारात्मक जवाब नहीं पेश की जा सका. अदालत ने उन्हें जवाब पेश करने के लिए समय देते हुए कहा कि मामले में विस्तृत और बिंदुवार जवाब पेश करें. अपने जवाब में यह भी बताएं कि इस मामले के निपटारे के लिए राज्य सरकार नेशनल लेवल पर जाना चाहती है या नहीं? इसके अलावा इस बिंदु पर भी जवाब पेश करने को कहा है कि कब तक गेस्ट हाउस की स्थिति दुरुस्त की जाएगी.

ये भी पढ़ें: सांसद निशिकांत दुबे के मसानजोर मामले पर झारखंड हाई कोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी, पढ़ें क्या कहा


गोड्डा संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने मसानजोर डैम कि पानी और बिजली की सुविधा संथाल परगना के किसानों को मिले इसी की मांग को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. याचिका के माध्यम से अदालत को यह जानकारी दी गई है कि मसानजोर डैम के कैचमेंट एरिया पूरा झारखंड में है. लेकिन इसके बावजूद भी उसके पानी का लाभ झारखंड के लोगों को नहीं मिलता है. इसका पूरा लाभ पड़ोसी राज्य को मिलता है. लेकिन राज्य सरकार को इसकी कोई चिंता नहीं है. राज्य सरकार इस दिशा में कुछ नहीं कर रहा है. पहले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग के सचिव को अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया था.

रांची: दुमका के मसानजोर डैम के पानी और बिजली का लाभ संथाल परगना के लोगों को मिले इसके मांग को लेकर सांसद निशिकांत दुबे की दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत के आदेश के आलोक में राज्य सरकार के जल संसाधन सचिव और संथाल परगना प्रमंडल के जल संसाधन विभाग के अभियंता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में हाजिर हुए.

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में मसानजोर डैम मामले पर सुनवाई हुई. ये पूरी सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की गई. इस दौरान हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग के सचिव और संथाल परगना प्रमंडल के जल संसाधन विभाग के अभियंता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में उपस्थित हुए. अदालत ने उनसे पूछा कि मसानजोर डैम परिसर में जो झारखंड सरकार का गेस्ट हाउस बना हुआ है उसके रखरखाव क्यों ठीक नहीं है? अब तक मसानजोर डैम के विवाद को सुलझाने के लिए क्या क्या कदम उठाए गए हैं? सचिव की ओर से सकारात्मक जवाब नहीं पेश की जा सका. अदालत ने उन्हें जवाब पेश करने के लिए समय देते हुए कहा कि मामले में विस्तृत और बिंदुवार जवाब पेश करें. अपने जवाब में यह भी बताएं कि इस मामले के निपटारे के लिए राज्य सरकार नेशनल लेवल पर जाना चाहती है या नहीं? इसके अलावा इस बिंदु पर भी जवाब पेश करने को कहा है कि कब तक गेस्ट हाउस की स्थिति दुरुस्त की जाएगी.

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गोड्डा संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने मसानजोर डैम कि पानी और बिजली की सुविधा संथाल परगना के किसानों को मिले इसी की मांग को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. याचिका के माध्यम से अदालत को यह जानकारी दी गई है कि मसानजोर डैम के कैचमेंट एरिया पूरा झारखंड में है. लेकिन इसके बावजूद भी उसके पानी का लाभ झारखंड के लोगों को नहीं मिलता है. इसका पूरा लाभ पड़ोसी राज्य को मिलता है. लेकिन राज्य सरकार को इसकी कोई चिंता नहीं है. राज्य सरकार इस दिशा में कुछ नहीं कर रहा है. पहले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग के सचिव को अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया था.

Last Updated : Oct 1, 2021, 11:17 AM IST
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