रांचीः हेमंत सोरेन से जुड़े खनन पट्टा, शेल कंपनी और पूजा सिंघल से संबंधित मामले पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में फिलहाल एक नया मोड़ आ गया है. कोर्ट में आज सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने जानकारी दी कि सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. जिसमें राज्य सरकार की ओर से कोर्ट के उन आदेशों को चुनौती दी गई है जो पिछली दो सुनवाई के दौरान 13 और 17 मई को पारित किए गए थे. जिसके बाद मामले की अगली सुनवाई की तारीख 24 मई को तय की गई. हालांकि अब यह सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के आधार पर तय होगा कि खनन पट्टा और शेल कंपनी मामले की सुनवाई हाई कोर्ट में होगी या नहीं.
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मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को यह जानकारी दी कि पूर्व में जो झारखंड हाई कोर्ट की डबल बेंच ने इन दोनों मामलों में 13 मई और 17 मई को सुनवाई के उपरांत आदेश पारित किए हैं. उसे राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. शीघ्र सुनवाई का आग्रह किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने आग्रह को स्वीकार करते हुए कल यानी 20 मई को सुनवाई के लिए स्वीकृति दी है. कल सुनवाई हो सकती है. इसलिए आज इस मामले की सुनवाई ना की जाए, और ना ही किसी प्रकार का कोई आर्डर पास किया जाए.
अधिवक्ता के इस आग्रह को डबल बेंच ने स्वीकार करते हुए पहले तो मामले की सुनवाई के लिए शनिवार यानी 21 मई की तिथि निर्धारित की थी. लेकिन फिर से कपिल सिब्बल के आग्रह पर इस मामले की अगली सुनवाई 24 मई निर्धारित कर दी गई है. अब इस मामले की सुनवाई पहले सुप्रीम कोर्ट में होगी, अगर सुप्रीम कोर्ट इस मामले में किसी भी प्रकार का आदेश पारित करता है. उस आदेश के बाद ही यह सुनिश्चित होगा कि हाई कोर्ट में इन दोनों मामले पर सुनवाई होगी या नहीं होगी. अगर सुप्रीम कोर्ट मामले पर सुनवाई करेगी तब तो फिलहाल हाई कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई रुक जाएगी. क्योंकि राज्य सरकार की ओर से मुख्यमंत्री के खनन पट्टे मामले और शेल कंपनी से जुड़े मामले में हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. राज्य सरकार की ओर से हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान पूर्व में अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिका की सुनवाई का विरोध करते हुए कहा था कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. इस पर सुनवाई नहीं की जाए, लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी इस दलील को अस्वीकार करते हुए याचिका पर सुनवाई जारी रखी.
वहीं ईडी के द्वारा जो सीलबंद जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई थी. उस रिपोर्ट के सील को खोलकर जो कोर्ट ने देखा उसका सरकार के अधिवक्ता ने विरोध किया था. लेकिन अदालत ने उनके विरोध को अस्वीकार कर दिया. उसी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. अदालत को यह भी जानकारी दी गई.
खनन पट्टा से जुड़े मामले में रांची डीसी के द्वारा शपथ पत्र दायर किए जाने के बिंदु पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान अदालत ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की. सरकार से यह जानना चाहा कि चार्जशीटेड व्यक्ति ने हाई कोर्ट में कैसे शपथ पत्र दायर किया. प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार ने अदालत को कॉल रिकॉर्ड दिखाते हुए कहा कि डीसी रांची ने उन्हें फोन कर बुलाया और धमकी दी. कोर्ट के इन प्रश्नों का उत्तर महाधिवक्ता ने देते हुए कहा कि डीसी रांची छवि रंजन पर एक व्यक्तिगत केस है. जिसमें वह चार्जशीटेड हैं. झारखंड हाई कोर्ट से उन्हें बेल मिला हुआ है. सरकार के निर्देश पर डीसी रांची के पद के आलोक में झारखंड हाई कोर्ट में शपथ पत्र दायर किया है. यह नियम संगत है. जहां तक कॉल डिटेल्स की बात है तो उन्होंने बताया कि वह 2 महीने के डीसी छवि रंजन के कॉल डिटेल्स अदालत को दिखाना चाहते हैं. जिसमें कई बार अधिवक्ता राजीव कुमार ने डीसी को फोन किया है. डीसी ने उसी फोन का उधर से जवाब दिया है. प्रार्थी का यह कहना कि डीसी ने उन्हें फोन किया था. यह गलत है. डीसी ने उनके द्वारा फोन किए जाने का समय पर जवाब नहीं दे पाने के कारण बाद में उन्हें कॉल किया है. जिस पर अदालत ने उन्हें जवाब पेश करने के लिए निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 24 को होगी.
मामले की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की गई. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार और ईडी की ओर से तुषार मेहता, वही राज्य सरकार की ओर से कपिल सिब्बल महाधिवक्ता राजीव रंजन और हेमंत सोरेन की ओर से मुकुल रोहतगी और अमृतांश वत्स वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई में जुड़े.