रांचीः छठी जेपीएससी परीक्षा परिणाम को एकलपीठ ने रद्द कर फिर से नए मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया था. इस फैसले को झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में चुनौती दी गई, जिसपर मंगलवार को सुनवाई हुई. डबल बेंच ने सुनवाई के बाद एकलपीठ के फैसले को अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी है. राज्य में नियुक्त 326 अधिकारी को फिलहाल बड़ी राहत मिली है. अदालत ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और जेपीएससी के स्टैंड पर तल्ख टिप्पणी करते हुए मौखिक रूप से कहा कि राज्य सरकार और झारखंड लोक सेवा आयोग का स्टैंड स्पष्ट नहीं है, बल्कि संदेह पैदा करने वाली है. इसके साथ ही सभी रिट याचिका फाइल करने वाले को प्रतिवादी बनाने का निर्देश है. अदालत ने कहा कि सभी पक्षों को सुने बगैर किसी तरह का फैसला देना ठीक नहीं है. इसको लेकर सभी पक्षों को एक सप्ताह का समय दिया है. मामले की अगली सुनवाई 28 सितंबर को होगी.
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झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में मामले की सुनवाई हुई. न्यायाधीश ने अपने-अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले पर सुनवाई की. वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता, सरकार के अधिवक्ता और झारखंड लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता अपने-अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखें.
सरकार और जेपीएससी की स्टैंड क्लीयर नहीं
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पक्ष रखा. उन्होंने अदालत को बताया कि झारखंड लोक सेवा आयोग ने जो रिजल्ट प्रकाशित की है. वह सही है. विज्ञापन के क्लाउड 13 में स्पष्ट है कि कुल प्राप्तांक 1050 होगा, लेकिन एकलपीठ के आदेश के हिसाब से नया मेरिट लिस्ट निकाला गया, तो कुल प्राप्तांक 900 होगा, जो विज्ञापन की शर्तों का उल्लंघन होगा. इसलिए एकलपीठ का आदेश गलत है. इसे रद्द किया जाए. अदालत ने राज्य सरकार के महाधिवक्ता से पूछा कि आपका क्या कहना है. महाधिवक्ता ने कहा कि हमारी कोई मांग नहीं है. हम एकलपीठ के आदेश का अनुपालन करने के लिए तैयार हैं. जिसपर अदालत ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि एकलपीठ में जब मामला चल रहा था, तो आपने उसका विरोध किया था. इस स्थिति में सरकार के स्टैंड संदेह उत्पन्न करने वाली है. जेपीएससी के अधिवक्ता से अदालत ने पूछा कि आपका क्या कहना है. इसपर जेपीएससी के अधिवक्ता ने कहा कि महाधिवक्ता की राय से सहमत हैं. इसके बाद अदालत ने पूछा कि आपने एलपीए याचिका दायर की है. जिसपर अधिवक्ता ने कहा दायर किया था, लेकिन वापस लेने के लिए भी आवेदन दे दिया है. इसपर अदालत ने कहा कि आपका भी स्टैंड संदेहास्पद है.
28 सितंबर को अगली सुनवाई
अदालत ने सख्त टिप्पण करते हुए कहा कि झारखंड सरकार और जेपीएससी का स्टैंड क्लियर नहीं है. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 सितंबर की तिथि निर्धारित की है. अब देखना होगा कि 28 सितंबर को मामले की सुनवाई के बाद झारखंड हाई कोर्ट का क्या फैसला आता है.
326 अभ्यर्थी हुए थे सफल
बता दें कि छठी जेपीएससी में 326 अधिकारियों की नियुक्ति की गई है. परीक्षा परिणाम को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी. एकलपीठ ने उस परीक्षा परिणाम को रद्द कर फिर से मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया. इस एकलपीठ के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई, जिसपर सुनवाई के बाद अदालत ने अगले आदेश तक रोक लगा दी है.