रांचीः नियोजन नीति को लेकर चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को झारखंड हाई कोर्ट के लार्जर बेंच में सुनवाई जारी रही. न्यायाधीश एचसी मिश्रा, न्यायाधीश एस चंद्रशेखर और न्यायाधीश दीपक रोशन की खंडपीठ में लगभग पूरे दिन सुनवाई चली. जहां प्रार्थी की ओर से बहस पूरी कर ली गई.
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता अजीत कुमार ने कहा कि अनुसूचित जिले में नियोजन को लेकर नीति बनाना राजपाल का अधिकार है. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बहस अधूरी रह गई मामले को लेकर सुनवाई कल भी जारी रहेगी. बता दें कि सोनी कुमारी ने राज्य सरकार के नियोजन नीति को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है. पूर्व में खंडपीठ ने नियोजन नीति पर रोक लगाते हुए इस मामले को लार्जर बेंच में सुनवाई के लिए भेज दिया है.
सुनवाई के दौरान सोनी कुमारी की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार ने जन्म स्थल और स्थानीयता को देखते हुए नियोजन नीति बनाई है. इसके तहत 13 जिलों ने शत प्रतिशत आरक्षित किया गया है जो संविधान के मूल भावना के खिलाफ है. नियोजन नीति संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 19(1)(जी) के तहत आता है जो संविधान की आधारभूत रचना है. उसकी ओर से वर्ष 1973 में सुप्रीम कोर्ट ने केशव नंद भारती के मामले में दिए गए आदेश का हवाला दिया. कहा गया कि किसी भी हाल में संविधान की आधारभूत संरचना में बदलाव नहीं किया जा सकता है.
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राज्य सरकार की ओर से नियोजन नीति को लेकर अधिसूचना जारी की गई है. इसमें 13 जिलों को अनुसूचित और 11 जिलों को गैर अनुसूचित घोषित किया गया है. इसके तहत राज्य के तीसरा और चौथा नियुक्ति स्थानीय लोगों को लिए पूरी तरह से आरक्षित कर दी है. बता दें कि हाई स्कूल नियुक्ति के लिए लगभग 18 हजार पद की नियुक्ति होनी है. शेष पद या तो रिक्त रह गए या फिर कई विषयों में नियुक्ति नहीं हो पाई. अदालत के 18 दिसंबर के आदेश के बाद इन नियुक्तियों पर रोक लगा दी है झारखंड हाई कोर्ट फैसले पर नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावित होगी.