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नियोजन नीति को लेकर झारखंड HC में सुनवाई, हाई स्कूल के शिक्षक बहाली से जुड़ा है मामला - झारखंड HC में सुनवाई, नियोजन नीति

झारखंड हाई कोर्ट में नियोजन नीति को लेकर सोमवार को भी सुनवाई जारी रही. झारखंड हाई कोर्ट के तीन न्यायधीशों की खंडपीठ में पूरे दिन सुनवाई हुई. जहां प्रार्थी की ओर से बहस पूरी कर ली गई है.

Hearing in Jharkhand HC regarding planning policy in ranchi
झारखंड हाईकोर्ट
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Published : Jan 20, 2020, 11:27 PM IST

Updated : Jan 21, 2020, 7:56 AM IST

रांचीः नियोजन नीति को लेकर चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को झारखंड हाई कोर्ट के लार्जर बेंच में सुनवाई जारी रही. न्यायाधीश एचसी मिश्रा, न्यायाधीश एस चंद्रशेखर और न्यायाधीश दीपक रोशन की खंडपीठ में लगभग पूरे दिन सुनवाई चली. जहां प्रार्थी की ओर से बहस पूरी कर ली गई.

देखें पूरी खबर

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता अजीत कुमार ने कहा कि अनुसूचित जिले में नियोजन को लेकर नीति बनाना राजपाल का अधिकार है. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बहस अधूरी रह गई मामले को लेकर सुनवाई कल भी जारी रहेगी. बता दें कि सोनी कुमारी ने राज्य सरकार के नियोजन नीति को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है. पूर्व में खंडपीठ ने नियोजन नीति पर रोक लगाते हुए इस मामले को लार्जर बेंच में सुनवाई के लिए भेज दिया है.

सुनवाई के दौरान सोनी कुमारी की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार ने जन्म स्थल और स्थानीयता को देखते हुए नियोजन नीति बनाई है. इसके तहत 13 जिलों ने शत प्रतिशत आरक्षित किया गया है जो संविधान के मूल भावना के खिलाफ है. नियोजन नीति संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 19(1)(जी) के तहत आता है जो संविधान की आधारभूत रचना है. उसकी ओर से वर्ष 1973 में सुप्रीम कोर्ट ने केशव नंद भारती के मामले में दिए गए आदेश का हवाला दिया. कहा गया कि किसी भी हाल में संविधान की आधारभूत संरचना में बदलाव नहीं किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- 43 दिन से लापता पारा शिक्षक का जंगल से मिला शव, जांच में जुटी पुलिस

राज्य सरकार की ओर से नियोजन नीति को लेकर अधिसूचना जारी की गई है. इसमें 13 जिलों को अनुसूचित और 11 जिलों को गैर अनुसूचित घोषित किया गया है. इसके तहत राज्य के तीसरा और चौथा नियुक्ति स्थानीय लोगों को लिए पूरी तरह से आरक्षित कर दी है. बता दें कि हाई स्कूल नियुक्ति के लिए लगभग 18 हजार पद की नियुक्ति होनी है. शेष पद या तो रिक्त रह गए या फिर कई विषयों में नियुक्ति नहीं हो पाई. अदालत के 18 दिसंबर के आदेश के बाद इन नियुक्तियों पर रोक लगा दी है झारखंड हाई कोर्ट फैसले पर नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावित होगी.

रांचीः नियोजन नीति को लेकर चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को झारखंड हाई कोर्ट के लार्जर बेंच में सुनवाई जारी रही. न्यायाधीश एचसी मिश्रा, न्यायाधीश एस चंद्रशेखर और न्यायाधीश दीपक रोशन की खंडपीठ में लगभग पूरे दिन सुनवाई चली. जहां प्रार्थी की ओर से बहस पूरी कर ली गई.

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राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता अजीत कुमार ने कहा कि अनुसूचित जिले में नियोजन को लेकर नीति बनाना राजपाल का अधिकार है. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बहस अधूरी रह गई मामले को लेकर सुनवाई कल भी जारी रहेगी. बता दें कि सोनी कुमारी ने राज्य सरकार के नियोजन नीति को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है. पूर्व में खंडपीठ ने नियोजन नीति पर रोक लगाते हुए इस मामले को लार्जर बेंच में सुनवाई के लिए भेज दिया है.

सुनवाई के दौरान सोनी कुमारी की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार ने जन्म स्थल और स्थानीयता को देखते हुए नियोजन नीति बनाई है. इसके तहत 13 जिलों ने शत प्रतिशत आरक्षित किया गया है जो संविधान के मूल भावना के खिलाफ है. नियोजन नीति संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 19(1)(जी) के तहत आता है जो संविधान की आधारभूत रचना है. उसकी ओर से वर्ष 1973 में सुप्रीम कोर्ट ने केशव नंद भारती के मामले में दिए गए आदेश का हवाला दिया. कहा गया कि किसी भी हाल में संविधान की आधारभूत संरचना में बदलाव नहीं किया जा सकता है.

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राज्य सरकार की ओर से नियोजन नीति को लेकर अधिसूचना जारी की गई है. इसमें 13 जिलों को अनुसूचित और 11 जिलों को गैर अनुसूचित घोषित किया गया है. इसके तहत राज्य के तीसरा और चौथा नियुक्ति स्थानीय लोगों को लिए पूरी तरह से आरक्षित कर दी है. बता दें कि हाई स्कूल नियुक्ति के लिए लगभग 18 हजार पद की नियुक्ति होनी है. शेष पद या तो रिक्त रह गए या फिर कई विषयों में नियुक्ति नहीं हो पाई. अदालत के 18 दिसंबर के आदेश के बाद इन नियुक्तियों पर रोक लगा दी है झारखंड हाई कोर्ट फैसले पर नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावित होगी.

Intro:नियोजन नीति को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई जारी, हाई स्कूल शिक्षक बहाली का मामला

रांची
बाइट---जमुना कुमार साहू अभ्यर्थी

नियोजन नीति को लेकर चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को झारखंड हाई कोर्ट के लार्जर बेंच में सुनवाई जारी रही न्यायाधीश एचसी मिश्रा न्यायाधीश एस चंद्रशेखर और न्यायाधीश दीपक रोशन की खंडपीठ में लगभग पूरे दिन सुनवाई चली प्रार्थी की ओर से बहस पूरी कर ली गई राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता अजीत कुमार ने कहा कि अनुसूचित जिले में नियोजन को लेकर नीति बनाना राजपाल का अधिकार है


सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बहस अधूरी रह गई मामले को लेकर सुनवाई कल भी जारी रहेगी आपको बता दें कि सोनी कुमारी ने राज्य सरकार के नियोजन नीति को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है पूर्व में खंडपीठ ने नियोजन नीति पर रोक लगाते हुए इस मामले को लार्जर बेंच में सुनवाई के लिए भेज दिया है सुनवाई के दौरान सोनी कुमारी की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार ने जन्म स्थल और स्थानीयता को देखते हुए नियोजन नीति बनाई है। इसके तहत 13 जिलों ने शत प्रतिशत आरक्षित किया गया है जो संविधान के मूल भावना के खिलाफ है नियोजन नीति संविधान के अनुच्छेद 14 16 और 19(1)(जी) के तहत आता है जो संविधान की आधारभूत रचना है उसकी ओर से वर्ष 1973 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा केशव नंद भारती के मामले में दिए गए आदेश का हवाला दिया गया इसमें कहा गया कि किसी भी हाल में संविधान की आधारभूत संरचना में बदलाव नहीं किया जा सकता है



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राज्य सरकार की ओर से नियोजन नीति को लेकर अधिसूचना जारी की गई है इसमें 13 जिलों को अनुसूचित और 11 जिलों को गैर अनुसूचित घोषित किया गया है इसके तहत राज्य के तीसरा और चौथा नियुक्ति स्थानीय लोगों को लिए पूरी तरह से आरक्षित कर दी है आपको बता दें कि हाई स्कूल नियुक्ति के लिए लगभग 18000 पद की नियुक्ति होनी है शेष पद या तो रिक्त रह गए या फिर कई विषयों मैं नियुक्ति नहीं हो पाई अदालत के 18 दिसंबर के आदेश के बाद इन नियुक्तियों पर रोक लगा दी है झारखंड हाईकोर्ट फैसले पर नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावित होगी


Conclusion:
Last Updated : Jan 21, 2020, 7:56 AM IST
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