रांची: झारखंड हाई कोर्ट में मंगलवार (28 सितंबर) को संविदा पर नियुक्त महिला पर्यवेक्षिका को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील पर अपनी संतुष्टि जताते हुए विभाग को 10 हफ्ते में निर्णय लेने का निर्देश दिया है. अदालत ने इसके साथ ही याचिका को निष्पादित कर दिया है.
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स्थायी नियुक्ति की मांग
झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश डॉक्टर एसएन पाठक की अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस मामले में सुनवाई की गई. कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि पिछले वर्ष 2005 से वे लोग संविदा पर नियुक्त हैं. सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के उमा देवी केस में दिए गए आदेश का हवाला दिया गया. जिसमें 10 साल से अधिक समय से नियुक्त संविदा कर्मी को स्थायी रुप से नियुक्त करने का आदेश दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले के आधार पर हाई कोर्ट से स्थायी नियुक्ति के लिए आदेश देने की मांग की गई. वहीं सरकार की तरफ से याचिकाकर्ता की दलील का विरोध किया किया गया.
याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला
अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की दलील पर अपनी संतुष्टि जताते हुए राज्य सरकार के महिला बाल विकास विभाग के सचिव को आदेश दिया है कि उमा देवी बनाम कर्नाटक सरकार केस में दिए गए आदेश के आलोक में मामले पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है. अदालत ने प्रार्थी को एक फ्रेश अभ्यावेदन सचिव को देने को कहा है. सचिव को उस अभ्यावेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है और अपने निर्णय से अदालत को अवगत कराने को कहा है.
क्या है पूरा मामला
बता दें कि देवघर जिला में संविदा पर कार्यरत महिला पर्यवेक्षक प्रियंका कुमारी और अन्य ने स्थायी नियुक्ति की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. उसी याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत विभाग को मामले में 10 सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में निर्णय लेने का निर्देश दिया है. साथ ही अदालत ने याचिका को निष्पादित कर दिया.