रांची: हेमंत सरकार को राज्यपाल से एक और झटका लगा है. झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने कोर्ट फीस संशोधन विधेयक 2021 को राज्य सरकार को वापस कर दिया है (Governor Ramesh Bais Returned Court Fee Bill 2021). इस बिल में कोर्ट फीस में बढ़ोत्तरी की गई थी जिसके बाद अधिवक्ताओं में नाराजगी देखी जा रही थी. कोर्ट फीस (झारखंड संशोधन अधिनियम) को 22 दिसंबर 2021 को विधानसभा से पारित कराया गया था. इसपर 11 फरवरी 2022 को राज्यपाल का अनुमोदन प्राप्त हुआ था. गजट प्रकाशित होने के बाद से कोर्ट फीस को लेकर जबरदस्त विरोध किया गया. इसके बाद अब इस विधेयक पर राज्यपाल ने गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए राज्य सरकार को पुनर्विचार करने के लिए निर्देशित किया है.
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राज्यपाल रमेश बैस के विधेयक वापस करने को लेकर बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने भी स्वागत किया है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा 'राज्यपाल रमेश बैस जी ने कोर्ट फीस संशोधन विधेयक 2021 को वापस कर दिया है. महामहिम ने झारखंड के जनजातीय समुदाय के व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए कोर्टफीस विधेयक के प्रावधानों पर दोबारा विचार करने की जरूरत बतायी है. सरकार को इसे वापस लेना चाहिए.'
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महामहिम ने झारखंड के जनजातीय समुदाय के व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए कोर्टफीस विधेयक के प्रावधानों पर दोबारा विचार करने की जरूरत बतायी है.@HemantSorenJMM सरकार को इसे वापस लेना चाहिए.@jhar_governor
कोर्ट फीस से जुड़े संशोधन अधिनियम के पारित होने के बाद लोगों के लिए न्याय की लड़ाई महंगी हो गई है. इसका सीधा असर गरीबों पर पड़ेगा. इस संशोधन के बाद हाईकोर्ट में वकालतनामा पर पांच रू की कोर्ट फीस अब 50 रू हो गई है. निचली अदालतों में वकालतनामा फीस को 5 रू. से बढ़ाकर 30 रू. कर दिया गया है. विवाद संबंधित सूट फाइल करने पर 50 हजार की जगह 3 लाख रू. कोर्ट फीस लग रही है. इसके बाद हाईकोर्ट में पीआईएल दायर करने पर 250 रू. की जगह एक हजार रू लग रहे हैं. शपथ पत्र दायर करने का दर भी 5 रू से बढ़ाकर 20 और 30 रू. हो गया है. इसके विरोध में झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. काउंसिल की दलील है कि सलाह मशविरा किए बगैर कोर्ट फीस में बढ़ोतरी करना मौलिक अधिकार का उल्लंघन है. वकालतनामा पर फीस बढ़ाने का अधिकार राज्य सरकार को नहीं है.
यह विधेयक 22 दिसंबर 2021 को झारखंड विधानसभा से पारित किया गया था, इसपर 11 फरवरी 2022 को राज्यपाल का अनुमोदन प्राप्त हुआ था. इसके बाद, राज्यपाल को बिल के प्रावधानों में वर्णित कोर्ट फीस वृद्धि के विरुद्ध बहुत सारे आवेदन और ज्ञापन प्राप्त हुए. झारखंड राज्य बार काउंसिल ने इस मामले में राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा था जिसमें राज्यपाल से राज्य सरकार से कोर्ट फीस में हुई वृद्धि को वापस लेने और इसे विधि-सम्मत उचित तरीके से तय करने के लिए निर्देशित करने का आग्रह किया गया था. इसके बाद अब राज्यपाल ने इस मामले पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए राज्य सरकार को विधेयक पर पुनर्विचार करने के लिए निर्देशित किया है.
राज्यपाल इससे पहले भी त्रुटियों की वजह से कई विधेयकों वापस कर चुके हैं. इनमें मॉब लिंचिंग विधेयक 2021, झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2022 और भारतीय मुद्रांक शुल्क अधिनियम में संशोधन विधेयक 2021 शामिल हैं.