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किसान मेले में पहुंचे राज्यपाल रमेश बैस, कहा- अन्नदाता खुश होंगे तभी देश होगा खुशहाल - Ranchi news

राज्यपाल रमेश बैस नामकुम में भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान के आयोजित कृषि मेले में पहुंचे. यहां उन्होंने किसानों को नई तकनीक के साथ खेती करने की सलाह दी. इसके अलावा उन्होंने किसानों को सुझाव दिया कि अनुकूल परिस्थितियों का लाभ उठाते हुए खेती करनी चाहिए. किसान बागवानी, सब्जी-उत्पादन, फूल उत्पादन, पशुपालन के साथ लाख की खेती भी कर सकते हैं.

Governor Ramesh Bais at Kisan Mela organized by Indian Institute of Natural Resin and Gum
Governor Ramesh Bais at Kisan Mela organized by Indian Institute of Natural Resin and Gum
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Published : Feb 27, 2022, 7:40 AM IST

रांची: भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान के आयोजित किसान मेला-सह-कृषि प्रदर्शनी देखने राज्यपाल रमेश बैस पहुंचे. यहां उन्होंने कहा कि जब अन्नदाता खुशहाल होंगे तभी राज्य और देश खुशहाल होगा. उन्होंने कहा कि खुशहाल अन्नदाता ही खुशहाल झारखंड का निर्माण कर सकते हैं. राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि कृषि राज्य की अर्थव्यवस्था का रीढ़ है इसलिए कृषि का विकास और किसानों की समृद्धि जरूरी है. इसके अलावा उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि किसानों को अपनी मेहनत का प्रतिफल मिले और इसके लिए उन्हें नई तकनीक की जानकारी उपलब्ध कराई जाए.


नामकुम भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान कृषि अनुसंधान में लगे देश के पुराने संस्थानों में से एक है. राज्यपाल रमेश बैश ने कहा कि भारत लाह का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. देश में हर वर्ष लगभग 20 हजार टन लाख का उत्पादन होता है. इसका करीबन 65 प्रतिशत हिस्सा दुनिया के कई देशों को निर्यात किया जाता है. जबकि, झारखंड देश का सबसे बड़ा लाह उत्पादन करने वाला राज्य है. उन्होंने कहा कि खुशी की बात है कि झारखंड देश का सबसे बड़ा लाख उत्पादन करने वाला राज्य है. विश्व स्तर पर लाख की मांग में निरंतर वृद्धि हो रही है और यह आगे भी जारी रहेगी.

ये भी पढ़ें: दुमका में दंपती ने छत को बनाया किचन गार्डन, ऑर्गेनिक खेती से बेहतर उत्पादन कर रहे सब्जियां

कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि झारखंड में कुसुम, बेर और पलास बहुतायत में उपलब्ध हैं, लेकिन इनका उपयोग लाख की खेती के लिए पूर्ण रूप से नहीं हो पा रहा है. लाख एक ऐसा प्राकृतिक उत्पाद है, जिसका बिजली उद्योग, कपड़ा उद्योग, चमड़ा उद्योग, पेंट और पॉलिस उद्योग में बड़े पैमाने पर उपयोग होता है, साथ ही हस्तशिल्प के क्षेत्र में इसकी उपयोगिता काफी अधिक है. उन्होंने सुझाव दिया कि किसानों को इन अनुकूल परिस्थितियों का लाभ उठाना चाहिए. किसान बागवानी, सब्जी-उत्पादन, फूल उत्पादन, पशुपालन के साथ लाख की खेती भी कर सकते हैं.

राज्यपाल ने कहा कि वे भी एक किसान परिवार से हैं और उन्होंने किसानों की समस्याओं को काफ़ी करीब से देखा है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसानों को यह बताना होगा कि किस प्रकार की मिट्टी में कौन-सी फसल अच्छी होगी. किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच होनी भी बहुत जरूरी है. उन्होंने किसानों से संस्थान में उपलब्ध उन्नत तकनीकों का लाभ उठाने और लाख की खेती में अपने प्रदेश को और आगे बढ़ाने की अपील की, साथ ही उन्होंने कहा कि संस्थान के वैज्ञानिकों से यह अपेक्षा है कि कृषकों और उद्यमियों की समस्याओं के निपटारे के लिए सदैव सक्रिय रहेंगे.

रांची: भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान के आयोजित किसान मेला-सह-कृषि प्रदर्शनी देखने राज्यपाल रमेश बैस पहुंचे. यहां उन्होंने कहा कि जब अन्नदाता खुशहाल होंगे तभी राज्य और देश खुशहाल होगा. उन्होंने कहा कि खुशहाल अन्नदाता ही खुशहाल झारखंड का निर्माण कर सकते हैं. राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि कृषि राज्य की अर्थव्यवस्था का रीढ़ है इसलिए कृषि का विकास और किसानों की समृद्धि जरूरी है. इसके अलावा उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि किसानों को अपनी मेहनत का प्रतिफल मिले और इसके लिए उन्हें नई तकनीक की जानकारी उपलब्ध कराई जाए.


नामकुम भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान कृषि अनुसंधान में लगे देश के पुराने संस्थानों में से एक है. राज्यपाल रमेश बैश ने कहा कि भारत लाह का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. देश में हर वर्ष लगभग 20 हजार टन लाख का उत्पादन होता है. इसका करीबन 65 प्रतिशत हिस्सा दुनिया के कई देशों को निर्यात किया जाता है. जबकि, झारखंड देश का सबसे बड़ा लाह उत्पादन करने वाला राज्य है. उन्होंने कहा कि खुशी की बात है कि झारखंड देश का सबसे बड़ा लाख उत्पादन करने वाला राज्य है. विश्व स्तर पर लाख की मांग में निरंतर वृद्धि हो रही है और यह आगे भी जारी रहेगी.

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कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि झारखंड में कुसुम, बेर और पलास बहुतायत में उपलब्ध हैं, लेकिन इनका उपयोग लाख की खेती के लिए पूर्ण रूप से नहीं हो पा रहा है. लाख एक ऐसा प्राकृतिक उत्पाद है, जिसका बिजली उद्योग, कपड़ा उद्योग, चमड़ा उद्योग, पेंट और पॉलिस उद्योग में बड़े पैमाने पर उपयोग होता है, साथ ही हस्तशिल्प के क्षेत्र में इसकी उपयोगिता काफी अधिक है. उन्होंने सुझाव दिया कि किसानों को इन अनुकूल परिस्थितियों का लाभ उठाना चाहिए. किसान बागवानी, सब्जी-उत्पादन, फूल उत्पादन, पशुपालन के साथ लाख की खेती भी कर सकते हैं.

राज्यपाल ने कहा कि वे भी एक किसान परिवार से हैं और उन्होंने किसानों की समस्याओं को काफ़ी करीब से देखा है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसानों को यह बताना होगा कि किस प्रकार की मिट्टी में कौन-सी फसल अच्छी होगी. किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच होनी भी बहुत जरूरी है. उन्होंने किसानों से संस्थान में उपलब्ध उन्नत तकनीकों का लाभ उठाने और लाख की खेती में अपने प्रदेश को और आगे बढ़ाने की अपील की, साथ ही उन्होंने कहा कि संस्थान के वैज्ञानिकों से यह अपेक्षा है कि कृषकों और उद्यमियों की समस्याओं के निपटारे के लिए सदैव सक्रिय रहेंगे.

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