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झारखंड आंदोलनकारियों के लिए खुशखबरी, सरकार देगी नौकरी और पेंशन

झारखंड को बनाने में जिनका योगदान रहा है, उनको अब हेमंत सोरेन सरकार ने सम्मान देने की ठानी है. अब हेमंत सोरेन सरकार उन लोगों को नौकरी और पेंशन देगी जो राज्य के लिए आंदोलन के दौरान जेल गए. इसके लिए हेमंत सरकार तैयारी कर रही है.

hemant soren
हेमंत सोरेन
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Published : Jun 1, 2021, 8:35 AM IST

रांची: झारखंड को अलग राज्य बनाने के लिए लंबे समय तक आंदोलन चला. राज्य गठन के बाद से लेकर अब तक आंदोलनकारी अपने हक की मांग करते रहे. उनकी मांग को हेमंत सोरेन सरकार ने तरजीह देते हुए सरकारी नौकरी और सम्मान पेंशन देने का फैसला लिया है. अलग राज्य के लिए आंदोलन के दौरान जेल जाने वालों को सम्मान पेंशन के तौर पर आर्थिक सहायता दी जाएगी.

आंदोलन के दौरान 3 माह तक जेल में रहने वालों को 3,500 और 6 माह तक जेल में रहने वालों को 5 हजार और 6 माह से ज्यादा समय तक जेल में रहने वालों को 7,000 बतौर सम्मान पेंशन देने की योजना है. आंदोलन के दौरान जेल में जान गंवाने वाले या 40% तक दिव्यांग होने वालों के एक आश्रित को तृतीय या चतुर्थ वर्ग में सरकारी नौकरी दी जाएगी. सरकार इसके लिए 5% आरक्षण का भी प्रावधान करेगी. गृह विभाग ने इस बाबत संकल्प जारी किया है.

ये भी पढ़े- झारखंड में चिकित्सकों को मिलेगा सेवा विस्तार, शीघ्र कैबिनेट से मंजूरी मिलने की संभावना

दरअसल, आंदोलनकारियों के चिन्हितीकरण के लिए एक सदस्य अवकाश प्राप्त आईएएस की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग के गठन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. सरकार ने यह भी फैसला लिया है कि आयोग से वनांचल शब्द हटा दिया जाएगा. पुनर्गठित आयोग का कार्यकाल 1 साल का होगा, खास बात है कि आंदोलनकारी और उनके आश्रितों के चिन्हित करने का अंतिम फैसला गृह विभाग लेगा.

रांची: झारखंड को अलग राज्य बनाने के लिए लंबे समय तक आंदोलन चला. राज्य गठन के बाद से लेकर अब तक आंदोलनकारी अपने हक की मांग करते रहे. उनकी मांग को हेमंत सोरेन सरकार ने तरजीह देते हुए सरकारी नौकरी और सम्मान पेंशन देने का फैसला लिया है. अलग राज्य के लिए आंदोलन के दौरान जेल जाने वालों को सम्मान पेंशन के तौर पर आर्थिक सहायता दी जाएगी.

आंदोलन के दौरान 3 माह तक जेल में रहने वालों को 3,500 और 6 माह तक जेल में रहने वालों को 5 हजार और 6 माह से ज्यादा समय तक जेल में रहने वालों को 7,000 बतौर सम्मान पेंशन देने की योजना है. आंदोलन के दौरान जेल में जान गंवाने वाले या 40% तक दिव्यांग होने वालों के एक आश्रित को तृतीय या चतुर्थ वर्ग में सरकारी नौकरी दी जाएगी. सरकार इसके लिए 5% आरक्षण का भी प्रावधान करेगी. गृह विभाग ने इस बाबत संकल्प जारी किया है.

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दरअसल, आंदोलनकारियों के चिन्हितीकरण के लिए एक सदस्य अवकाश प्राप्त आईएएस की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग के गठन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. सरकार ने यह भी फैसला लिया है कि आयोग से वनांचल शब्द हटा दिया जाएगा. पुनर्गठित आयोग का कार्यकाल 1 साल का होगा, खास बात है कि आंदोलनकारी और उनके आश्रितों के चिन्हित करने का अंतिम फैसला गृह विभाग लेगा.

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