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मिलिए झारखंड के इस 'करिश्माई' अधिकारी से, सरकारें आईं और गईं, टस से मस नहीं हुए गजेंद्र सिंह - Dhananjay Kumar Superintendent of Excise

मुख्यमंत्री रघुवर दास का कहना है कि राज्य में कोई भी अधिकारी एक पद पर 3 साल से ज्यादा दिन तक नहीं रहना चाहिए, लेकिन सीएम के खुद के विभाग में एक्साइज डिपार्टमेंट में पोस्टेड डिप्टी कमिश्नर हेडक्वार्टर गजेंद्र कुमार सिंह 10 सालों से अपने पदों पर बने हुए हैं.

डिप्टी कमिश्नर गजेंद्र कुमार सिंह
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Published : Sep 23, 2019, 5:05 PM IST

Updated : Sep 24, 2019, 12:14 PM IST

रांची: प्रदेश में अधिकारियों की लालफीताशाही को लेकर बराबर सवाल उठते है. खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास अपने जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान कई अधिकारियों को फटकार लगाते रहे हैं. हैरत की बात यह है कि उन्हीं के विभाग के एक अधिकारी पिछले 10 वर्षों से एक ही पद पर तैनात हैं. वह भी तब जब मुख्यमंत्री ने 3 वर्षों से अधिक समय से एक पद पर आसीन अधिकारियों के ट्रांसफर की वकालत की है.

देखिए स्पेशल स्टोरी

ये अधिकारी हैं रांची में एक्साइज डिपार्टमेंट में पोस्टेड डिप्टी कमिश्नर हेडक्वार्टर गजेंद्र कुमार सिंह. एक तरफ जहां ये 10 साल से उपायुक्त उत्पाद मुख्यालय के पद पर हैं. वहीं पिछले 2 साल से रांची के सहायक उपायुक्त की भी जिम्मेदारी निभा रहे हैं.

सरकारें आई और गई पर ये नहीं हुए टस से मस
सबसे बड़ी बात यह है कि पिछले एक दशक में तीन बार लोकसभा और दो बार विधानसभा चुनाव भी संपन्न हुए, लेकिन सिंह जस के तस अपने पद पर बने रहे. उनके 'चमत्कार' कथित तौर पर सभी सरकारों में नजर आए. नतीजा यह हुआ कि मुख्यमंत्री के पोर्टफोलियो से जुड़े विभाग में पोस्टेड होने के बावजूद उनका बाल बांका नहीं हुआ. हालांकि, उत्पाद विभाग में शीर्ष और कनीय पदों पर कई अधिकारी आए और गए, लेकिन सिंह अभी तक वहीं के वहीं बने हुए हैं.

'दम खम' वाले अधिकारी हैं सिंह
आधिकारिक सूत्रों की माने तो पूरे विभाग में यह सबसे दमखम वाले अधिकारी माने जाते हैं. सबसे बड़ी बात यह भी है कि जब राज्य सरकार ने खुद शराब बेचने का निर्णय लिया तब भी यह महत्वपूर्ण पद पर आसीन रहे. बता दें कि उस दौरान ह्यूमन रिसोर्स सप्लाई करने को लेकर अलग-अलग एजेंसियों की भूमिका और राज्य सरकार के अधिकारियों पर भी उंगलियां उठी थी.

ये भी पढ़ें: देवघर के बेटे राजेंद्र ने बढ़ाया मान, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे सम्मानित

अकेले अधिकारी नहीं है सिंह
दरअसल, सिंह अकेले ऐसे अधिकारी नहीं हैं जो लंबे समय से इस विभाग में एक ही पद पर तैनात हैं. उनके बाद अखौरी धनंजय कुमार का नाम आता है जो पिछले 8 साल से खूंटी जिला के प्रभार में हैं. धनंजय कुमार अधीक्षक उत्पाद के साथ-साथ ईआईबी की भी जिम्मेदारी निभा रहे हैं. कुछ अधिकारी ऐसे भी हैं जिनका 3 साल का कार्यकाल दिसंबर महीने में समाप्त होने वाला है. उनमें धनबाद के सहायक उत्पाद आयुक्त राकेश कुमार, कोडरमा के अजय गौड़, गिरिडीह के मनोज कुमार, बोकारो के सुनील चौधरी के नाम शामिल हैं. दरअसल 'रेवेन्यू' के मामले में रांची, धनबाद, जमशेदपुर, बोकारो काफी समृद्ध जिला माना जाता है.

क्या कहते हैं विपक्षी दलों के नेता
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता विनोद पांडे कहते हैं कि दरअसल वैसे अधिकारी विभाग के मंत्री नहीं बल्कि मुख्यमंत्री के प्रिय पात्र हैं. ऐसे में सारे नियम कानून धरे के धरे रह जाते हैं. सच्चाई यह है कि अगर आप मुख्यमंत्री या मंत्री के प्रिय पात्र हैं तो आपका कोई भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता है. हैरत की बात यह है कि जब आयोग ऐसे अधिकारियों का लिस्ट मांगेगा तो लिस्ट उपलब्ध करा दिया जाएगा, लेकिन उनका कुछ होता नहीं है.

ये भी पढ़ें: नरक भोग रहे पूर्वजों को ऐसे होती है स्वर्ग प्राप्ति, गया सिर-गया कूप वेदी की ये है पौराणिक मान्यता

वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश गुप्ता कहते हैं कि जो सरकारी कर्मचारी सरकार के मापदंड और बीजेपी का कथित रूप से काम करते हैं उनकी कारगुजारी सरकार को नजर नहीं आती. उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत सारे अधिकारी हैं जो 10 या 15 साल से एक ही जगह जमे हुए हैं. उनका ट्रांसफर नहीं होता है क्योंकि वो बीजेपी की माला लेकर जपते हैं और नीतियों पर चलते हैं. वहीं सरकार में शामिल आजसू पार्टी का मत है कि विभाग में कामकाज को लेकर एक स्थापना समिति होती है जो यह तय करती है कि किस अधिकारी का कब और कहां ट्रांसफर किया जाना है. राज्य सरकार को उत्पाद विभाग के मामले में भी उस समिति के रिकमेंडेशन को फॉलो करना चाहिए.

रांची: प्रदेश में अधिकारियों की लालफीताशाही को लेकर बराबर सवाल उठते है. खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास अपने जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान कई अधिकारियों को फटकार लगाते रहे हैं. हैरत की बात यह है कि उन्हीं के विभाग के एक अधिकारी पिछले 10 वर्षों से एक ही पद पर तैनात हैं. वह भी तब जब मुख्यमंत्री ने 3 वर्षों से अधिक समय से एक पद पर आसीन अधिकारियों के ट्रांसफर की वकालत की है.

देखिए स्पेशल स्टोरी

ये अधिकारी हैं रांची में एक्साइज डिपार्टमेंट में पोस्टेड डिप्टी कमिश्नर हेडक्वार्टर गजेंद्र कुमार सिंह. एक तरफ जहां ये 10 साल से उपायुक्त उत्पाद मुख्यालय के पद पर हैं. वहीं पिछले 2 साल से रांची के सहायक उपायुक्त की भी जिम्मेदारी निभा रहे हैं.

सरकारें आई और गई पर ये नहीं हुए टस से मस
सबसे बड़ी बात यह है कि पिछले एक दशक में तीन बार लोकसभा और दो बार विधानसभा चुनाव भी संपन्न हुए, लेकिन सिंह जस के तस अपने पद पर बने रहे. उनके 'चमत्कार' कथित तौर पर सभी सरकारों में नजर आए. नतीजा यह हुआ कि मुख्यमंत्री के पोर्टफोलियो से जुड़े विभाग में पोस्टेड होने के बावजूद उनका बाल बांका नहीं हुआ. हालांकि, उत्पाद विभाग में शीर्ष और कनीय पदों पर कई अधिकारी आए और गए, लेकिन सिंह अभी तक वहीं के वहीं बने हुए हैं.

'दम खम' वाले अधिकारी हैं सिंह
आधिकारिक सूत्रों की माने तो पूरे विभाग में यह सबसे दमखम वाले अधिकारी माने जाते हैं. सबसे बड़ी बात यह भी है कि जब राज्य सरकार ने खुद शराब बेचने का निर्णय लिया तब भी यह महत्वपूर्ण पद पर आसीन रहे. बता दें कि उस दौरान ह्यूमन रिसोर्स सप्लाई करने को लेकर अलग-अलग एजेंसियों की भूमिका और राज्य सरकार के अधिकारियों पर भी उंगलियां उठी थी.

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अकेले अधिकारी नहीं है सिंह
दरअसल, सिंह अकेले ऐसे अधिकारी नहीं हैं जो लंबे समय से इस विभाग में एक ही पद पर तैनात हैं. उनके बाद अखौरी धनंजय कुमार का नाम आता है जो पिछले 8 साल से खूंटी जिला के प्रभार में हैं. धनंजय कुमार अधीक्षक उत्पाद के साथ-साथ ईआईबी की भी जिम्मेदारी निभा रहे हैं. कुछ अधिकारी ऐसे भी हैं जिनका 3 साल का कार्यकाल दिसंबर महीने में समाप्त होने वाला है. उनमें धनबाद के सहायक उत्पाद आयुक्त राकेश कुमार, कोडरमा के अजय गौड़, गिरिडीह के मनोज कुमार, बोकारो के सुनील चौधरी के नाम शामिल हैं. दरअसल 'रेवेन्यू' के मामले में रांची, धनबाद, जमशेदपुर, बोकारो काफी समृद्ध जिला माना जाता है.

क्या कहते हैं विपक्षी दलों के नेता
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता विनोद पांडे कहते हैं कि दरअसल वैसे अधिकारी विभाग के मंत्री नहीं बल्कि मुख्यमंत्री के प्रिय पात्र हैं. ऐसे में सारे नियम कानून धरे के धरे रह जाते हैं. सच्चाई यह है कि अगर आप मुख्यमंत्री या मंत्री के प्रिय पात्र हैं तो आपका कोई भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता है. हैरत की बात यह है कि जब आयोग ऐसे अधिकारियों का लिस्ट मांगेगा तो लिस्ट उपलब्ध करा दिया जाएगा, लेकिन उनका कुछ होता नहीं है.

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वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश गुप्ता कहते हैं कि जो सरकारी कर्मचारी सरकार के मापदंड और बीजेपी का कथित रूप से काम करते हैं उनकी कारगुजारी सरकार को नजर नहीं आती. उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत सारे अधिकारी हैं जो 10 या 15 साल से एक ही जगह जमे हुए हैं. उनका ट्रांसफर नहीं होता है क्योंकि वो बीजेपी की माला लेकर जपते हैं और नीतियों पर चलते हैं. वहीं सरकार में शामिल आजसू पार्टी का मत है कि विभाग में कामकाज को लेकर एक स्थापना समिति होती है जो यह तय करती है कि किस अधिकारी का कब और कहां ट्रांसफर किया जाना है. राज्य सरकार को उत्पाद विभाग के मामले में भी उस समिति के रिकमेंडेशन को फॉलो करना चाहिए.

Intro:बाइट 1 विनोद पांडेय, केंद्रीय महासचिव प्रवक्ता झामुमो
बाइट 2 राजेश गुप्ता प्रवक्ता जेपीसीसी
बाकी का बाइट और विसुअल रैप से गया है
रांची। प्रदेश में अधिकारियों की लालफीताशाही को लेकर बराबर सवाल उठते है। खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास अपने जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान कई अधिकारियों को फटकार लगाते रहे हैं। हैरत की बात यह है कि उन्हीं के विभाग के एक अधिकारी पिछले 10 वर्षों से एक ही पद पर तैनात हैं। वह भी तब जब मुख्यमंत्री ने 3 वर्षों से अधिक समय से एक पद पर आसीन अधिकारियों के ट्रांसफर की वकालत की है। ये अधिकारी हैं रांची में एक्साइज डिपार्टमेंट में पोस्टेड डिप्टी कमिश्नर हेडक्वार्टर गजेंद्र कुमार सिंह। एक तरफ जहां ये 10 साल से उपायुक्त उत्पाद मुख्यालय के पद पर हैं। वहीं पिछले 2 साल से रांची के सहायक उपायुक्त रांची की भी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

सरकारें आयी और गयी पर ये नहीं हुए टस से मस
सबसे बड़ी बात यह है कि पिछले एक दशक में तीन बार लोकसभा और दो बार विधानसभा चुनाव भी संपन्न हुए लेकिन सिंह जस के तस अपने पद पर बने रहे। उनके 'चमत्कार' कथित तौर पर सभी सरकारों में नजर आए। नतीजा यह हुआ कि मुख्यमंत्री के पोर्टफोलियो से जुड़े विभाग में पोस्टेड होने के बावजूद उनका बाल बांका नहीं हुआ। हालांकि उत्पाद विभाग में शीर्ष और कनीय पदों पर कई अधिकारी आए और गए लेकिन सिंह अभी तक वही के वही बने हुए हैं।


Body:'दम खम' वाले अधिकारी हैं सिंह
आधिकारिक सूत्रों की माने तो पूरे विभाग में यह सबसे दमखम वाले अधिकारी माने जाते हैं। सबसे बड़ी बात यह भी है कि जब राज्य सरकार ने खुद शराब बेचने का निर्णय लिया तब भी यह महत्वपूर्ण पद पर आसीन रहे। बता दें कि उस दौरान ह्यूमन रिसोर्स सप्लाई करने को लेकर अलग-अलग एजेंसियों की भूमिका और राज्य सरकार के अधिकारियों पर भी उंगलियां उठी थी।

अकेले अधिकारी नहीं है सिंह
दरअसल सिंह अकेले ऐसे अधिकारी नहीं हैं जो लंबे समय से इस विभाग में एक ही पद पर तैनात हैं। उनके बाद अखौरी धनंजय कुमार का नाम आता है जो पिछले 8 साल से खूंटी जिला के प्रभार में हैं। धनंजय कुमार अधीक्षक उत्पाद के साथ-साथ ईआईबी की भी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। कुछ अधिकारी ऐसे भी हैं जिनका 3 साल का कार्यकाल दिसंबर महीने में समाप्त होने वाला है। उनमें धनबाद के सहायक उत्पाद आयुक्त राकेश कुमार, कोडरमा के अजय गौड़, गिरिडीह के मनोज कुमार, बोकारो के सुनील चौधरी के नाम शामिल हैं। दरअसल 'रेवेन्यू' के मामले में रांची, धनबाद, जमशेदपुर, बोकारो काफी समृद्ध जिला माना जाता है।


Conclusion:क्या कहते हैं विपक्षी दलों के नेता
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता विनोद पांडे कहते हैं कि दरअसल वैसे अधिकारी विभाग के मंत्री नहीं बल्कि मुख्यमंत्री के प्रिय पात्र हैं। ऐसे में सारे नियम कानून धरे के धरे रह जाते हैं। सच्चाई यह है कि अगर आप मुख्यमंत्री या मंत्री के प्रिय पात्र हैं तो आपका कोई भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। हैरत की बात यह है कि जब आयोग ऐसे अधिकारियों का लिस्ट मांगेगा तो लिस्ट उपलब्ध करा दिया जाएगा लेकिन उनका कुछ होता नहीं है। वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश गुप्ता कहते हैं कि जो सरकारी कर्मचारी सरकार के मापदंड और बीजेपी का कथित रूप से काम करते हैं उनकी कारगुजारी सरकार को नजर नहीं आती। उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत सारे अधिकारी हैं जो 10 या 15 साल से एक ही जगह जमे हुए हैं। उनका ट्रांसफर नहीं होता है क्योंकि वो बीजेपी की माला लेकर जपते हैं और नीतियों पर चलते हैं। वहीं सरकार में शामिल आजसू पार्टी का मत है कि विभाग में कामकाज को लेकर एक स्थापना समिति होती है जो यह तय करती है कि किस अधिकारी का कब और कहां ट्रांसफर किया जाना है। राज्य सरकार को उत्पाद विभाग के मामले में भी उस समिति के रिकमेंडेशन को फॉलो करना चाहिए।
Last Updated : Sep 24, 2019, 12:14 PM IST
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