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महानवमी पर गोरखा जवानों ने की हथियारों की पूजा, कोरोना के कारण नहीं दी पारंपरिक सलामी

रांची में महानवमी के अवसर पर गोरखा जवान मां दुर्गा की विशेष पूजा करते हैं. कोरोना के कारण जवानों ने सिर्फ हथियारों की पूजा की. इस साल पारंपरिक सलामी की परंपरा टूट गई, हालांकि 101 बलि की जगह 11 बलि से मां की आराधना की गई.

Gorkha soldiers worshiped weapons on Mahanavami in ranchi
जवानों ने की हथियारों की पूजा
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Published : Oct 25, 2020, 12:19 PM IST

रांची: जिले में झारखंड आर्म्ड फोर्स के जवानों की दुर्गा पूजा प्रसिद्ध है. शक्ति का उपासक गोरखा समाज दुश्मनों से लोहा लेने के लिए नवमी के अवसर पर मां दुर्गा की विशेष पूजा करता है. हालांकि कोरोना की वजह से इस बार सिर्फ हथियारों की पूजा की गई और बलि भी हर साल की तुलना में काफी कम दी गई. इससे पहले मां शक्ति को खुश करने के लिए फायरिंग के साथ सलामी दी जाती थी. इसके साथ ही मां के चरणों मे 101 बलि दी जाती थी.

देखें पूरी खबर
हथियारों की पूजा कर सिर्फ 11 बलि दीमहानवमी के अवसर पर जैप के जवानों की ओर से मां के चरणों मे 101 बलि दिए जाने की परंपरा रही है. हर बलि के बाद मां को फायरिंग कर सलामी दी जाती थी लेकिन पहली बार कोरोना कि वजह से यह परंपरा टूट गई. इस बार केवल 11 बलि दी गई और पूरी श्रद्धा के साथ हथियारों की पूजा की गई. गोरखा बटालियन में बलि और हथियारों की पूजा का अपना ही एक खास महत्व होता है. महानवमी के दिन गोरखा जवान अपने हथियार मां दुर्गा के चरणों मे रखकर पूजा करते है. मां के चरणों में बलि देते हैं. गोरखा जवानों में हथियारों की पूजा की परंपरा इस बटालियन के गठन के समय से ही चली आ रही है. इनका मानना है की इस तरह की पूजा से दुश्मनों से मुकाबले के समय उनके हथियार धोखा नहीं देंगे और सटीक निशाना साधने में मददगार होंगे.

ये भी पढ़े- बिहार : शिवहर में प्रत्याशी की हत्या, भीड़ ने एक हमलावर को पीट-पीटकर मार डाला

प्राचीन काल से चली आ रही है परंपरा
गोरखा और नेपाल के लोग पुरातन समय से ही शक्ति के उपासक रहे हैं. इसीलिए गोरखा जवानों में हथियारों की पूजा की परंपरा है. ऐसे में बलि की प्रथा भी प्राचीन काल से चली आ रही है और अब ये इनकी संस्कृति का हिस्सा बन गई है. जवानों के मन में विश्वास रहता है कि शक्ति की देवी दुर्गा की पूजा करने से, मां शक्ति हर जगह उनकी रक्षा करेंगी.

जैप कमांडेंट ने की पूजा
बली और हथियारों की पूजा के बाद माता रूपी नौ कन्याओं का पूजन जैप कमांडेंट अनीश गुप्ता ने किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भले ही कोरोना की वजह से पूजा में भव्यता नहीं है लेकिन माता की भक्ति में जैप की ओर से कमी नहीं आई है.

रांची: जिले में झारखंड आर्म्ड फोर्स के जवानों की दुर्गा पूजा प्रसिद्ध है. शक्ति का उपासक गोरखा समाज दुश्मनों से लोहा लेने के लिए नवमी के अवसर पर मां दुर्गा की विशेष पूजा करता है. हालांकि कोरोना की वजह से इस बार सिर्फ हथियारों की पूजा की गई और बलि भी हर साल की तुलना में काफी कम दी गई. इससे पहले मां शक्ति को खुश करने के लिए फायरिंग के साथ सलामी दी जाती थी. इसके साथ ही मां के चरणों मे 101 बलि दी जाती थी.

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हथियारों की पूजा कर सिर्फ 11 बलि दीमहानवमी के अवसर पर जैप के जवानों की ओर से मां के चरणों मे 101 बलि दिए जाने की परंपरा रही है. हर बलि के बाद मां को फायरिंग कर सलामी दी जाती थी लेकिन पहली बार कोरोना कि वजह से यह परंपरा टूट गई. इस बार केवल 11 बलि दी गई और पूरी श्रद्धा के साथ हथियारों की पूजा की गई. गोरखा बटालियन में बलि और हथियारों की पूजा का अपना ही एक खास महत्व होता है. महानवमी के दिन गोरखा जवान अपने हथियार मां दुर्गा के चरणों मे रखकर पूजा करते है. मां के चरणों में बलि देते हैं. गोरखा जवानों में हथियारों की पूजा की परंपरा इस बटालियन के गठन के समय से ही चली आ रही है. इनका मानना है की इस तरह की पूजा से दुश्मनों से मुकाबले के समय उनके हथियार धोखा नहीं देंगे और सटीक निशाना साधने में मददगार होंगे.

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प्राचीन काल से चली आ रही है परंपरा
गोरखा और नेपाल के लोग पुरातन समय से ही शक्ति के उपासक रहे हैं. इसीलिए गोरखा जवानों में हथियारों की पूजा की परंपरा है. ऐसे में बलि की प्रथा भी प्राचीन काल से चली आ रही है और अब ये इनकी संस्कृति का हिस्सा बन गई है. जवानों के मन में विश्वास रहता है कि शक्ति की देवी दुर्गा की पूजा करने से, मां शक्ति हर जगह उनकी रक्षा करेंगी.

जैप कमांडेंट ने की पूजा
बली और हथियारों की पूजा के बाद माता रूपी नौ कन्याओं का पूजन जैप कमांडेंट अनीश गुप्ता ने किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भले ही कोरोना की वजह से पूजा में भव्यता नहीं है लेकिन माता की भक्ति में जैप की ओर से कमी नहीं आई है.

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