रांची: आरयू के 34वें दीक्षांत समारोह के मौके पर 62 गोल्ड मेडल वितरित किया गया था. इसमें से 40 गोल्ड मेडल छात्राओं के नाम था. इसमें ऐसे कई गोल्ड मेडलिस्ट छात्राएं शामिल हैं जो विकट परिस्थिति के बावजूद गोल्ड मेडल हासिल किया है.
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ग्रामीण क्षेत्र से आती हैं छात्राएं
रांची विश्वविद्यालय का 34वां दीक्षांत समारोह छात्राओं के ही नाम रहा था. छात्राओं ने 62 गोल्ड मेडल में 40 पर कब्जा जमाया है. इनमें से कई छात्राएं हैं जो सुदूर ग्रामीण क्षेत्र से आती हैं. कई परेशानियों को झेलने के बावजूद उन्होंने गोल्ड मेडल हासिल कर यह साबित किया है कि अगर हौसला बुलंद हो तो किसी भी कामयाबी को पाया जा सकता है.
कई परेशानियों का सामना कर प्रियंका ने हासिल किया गोल्ड मेडल
खूंटी की रहने वाली प्रियंका उरांव कहती है कि पिता किसान हैं और घर में आर्थिक परेशानियां हैं. खूंटी के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र से रांची आने में भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसके बावजूद उन्होंने लगन से पढ़ाई की और आज गोल्ड मेडल हासिल किया है. मातृभाषा को जोर देने की बात कहते हुए प्रियंका यह भी कहती हैं कि हम लोगों को मातृभाषा पर फोकस करना चाहिए और इसी के तहत हमें कुडुख भाषा में गोल्ड मेडल हासिल हुआ है.
समाज से लड़कर अलीशा ने हासिल किया गोल्ड मेडल
समाज के ताने और पढ़ाई न करने की नसीहत देने वाले लोगों की बात ना सुनकर पश्चिमी सिंहभूम के एक सुदूर ग्रामीण क्षेत्र की छात्रा अलीशा की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. अलीशा कुजुर जब इंटर और स्नातक के बाद पीजी करने की ठानी तब गांव वालों ने कई ताना दिया था. कहा गया था कि लड़की हो पढ़ लिख कर क्या करोगी. कुछ नहीं हासिल होगा. इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. तमाम बातों को दरकिनार करते हुए आज रांची विश्वविद्यालय में इन्होंने पीजी कोर्स कंप्लीट करने के साथ ही गोल्ड मेडल हासिल किया है.
पिता के सपने को ममता ने किया पूरा
ममता पूर्ति भी खूंटी से आती है. सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाली यह छात्रा ने कई परेशानियों को झेला है. घर में आर्थिक स्थिति काफी खराब है. परिवार के सदस्य आर्थिक रूप से कमजोर है. खेती-बाड़ी करके पिता किसी तरह उसे रांची विश्वविद्यालय में नामांकन करवाया और बेटी के लिए कई सपने देखे. बेटी ने भी सपना पूरा करते हुए लैंग्वेज विषय से अपने आप को साबित किया और गोल्ड मेडल हासिल किया.
रांची विश्वविद्यालय की टॉपर बबीता
मुरहू की बबीता अर्थशास्त्र में रांची विश्वविद्यालय की टॉपर और गोल्ड मेडलिस्ट हैं. इनका भी सपना था पढ़ लिखकर ओहदा हासिल करना और आज कुछ हद तक अपने आप को उन्होंने साबित किया है. इनका मानना है कि अगर मेहनत और लगन हो तो किसी भी मुकाम को हासिल किया जा सकता है .
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन ऐसी महिलाएं और छात्राएं तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं. जिन्होंने कठिन परेशानियों के बावजूद अपने आपको साबित किया और एक मुकाम हासिल किया है.