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मुजफ्फरपुर: सात समंदर पार से महापर्व छठ पूजा मनाने पहुंची जर्मन बहू, बताया अनूठा अनुभव

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Published : Nov 2, 2019, 8:38 AM IST

विजय वर्मा के बेटे सौरभ वर्मा ने बताया कि वह जर्मनी से आया है. वह हर साल छठ के मौके पर घर आता है. वहीं, पहली बार छठ पूजा में शामिल हो रही उनकी पत्नी दैनिला इवन ने बताया कि अपने नये भारतीय परिवार के साथ दिवाली और छठ पूजा में शामिल होने के कारण वह काफी खुश और उत्साहित है.

महापर्व छठ पर पहुंची जर्मन बहू

मुजफ्फरपुर: लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा में देश-विदेशों से भी लोग पूजा करने अपने घर आते हैं. ऐसा ही एक परिवार मुजफ्फरपुर में भी है. जहां विजय वर्मा के मंझले बेटे सौरभ वर्मा और उनकी बहु दैनिला इवन चेक रिपब्लिक और जर्मनी में रहते हैं. मगर हर साल आस्था के इस महापर्व छठ को मनाने यहां आते हैं.

देखें पूरी खबर

'छठ पूजा में शामिल होकर काफी खुश हूं'
विजय वर्मा के बेटे सौरभ वर्मा ने बताया कि वह जर्मनी से आया है. वह हर साल छठ के मौके पर घर आता है. वहीं, पहली बार छठ पूजा में शामिल हो रही उनकी पत्नी दैनिला इवन ने बताया कि अपने नये भारतीय परिवार के साथ दिवाली और छठ पूजा में शामिल होने के बाद वह काफी खुश और उत्साहित है. यह पर्व मेरे लिए काफी यूनिक है. मैंने इससे पहले इस तरह से पूजा होते नहीं देखा.

ये भी पढ़ें- अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य आज, सज-धज कर छठ घाट तैयार

छठ के मौके पर सभी आते हैं घर
घर के बड़े बेटे डॉ. गौरव वर्मा ने बताया कि वह तीन भाई हैं. सब घर से बाहर ही रहते हैं. लेकिन छठ के मौके पर सभी घर आते हैं. बता दें कि गुरुवार को नहाय-खाय के साथ चार दिनों तक चलने वाले छठ पर्व की शुरुआत हो गई है. शुक्रवार को पर्व का दूसरा दिन है. इस दिन व्रती शाम को खीर और पूरी का विशेष प्रसाद तैयार करती हैं. छठ मईया को इसका भोग लगाने के बाद वो प्रसाद ग्रहण करती हैं. इसके बाद से व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देने तक निर्जला उपवास पर रहती हैं. सुबह वाले अर्घ्य के बाद पारण होता है.

मुजफ्फरपुर: लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा में देश-विदेशों से भी लोग पूजा करने अपने घर आते हैं. ऐसा ही एक परिवार मुजफ्फरपुर में भी है. जहां विजय वर्मा के मंझले बेटे सौरभ वर्मा और उनकी बहु दैनिला इवन चेक रिपब्लिक और जर्मनी में रहते हैं. मगर हर साल आस्था के इस महापर्व छठ को मनाने यहां आते हैं.

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'छठ पूजा में शामिल होकर काफी खुश हूं'
विजय वर्मा के बेटे सौरभ वर्मा ने बताया कि वह जर्मनी से आया है. वह हर साल छठ के मौके पर घर आता है. वहीं, पहली बार छठ पूजा में शामिल हो रही उनकी पत्नी दैनिला इवन ने बताया कि अपने नये भारतीय परिवार के साथ दिवाली और छठ पूजा में शामिल होने के बाद वह काफी खुश और उत्साहित है. यह पर्व मेरे लिए काफी यूनिक है. मैंने इससे पहले इस तरह से पूजा होते नहीं देखा.

ये भी पढ़ें- अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य आज, सज-धज कर छठ घाट तैयार

छठ के मौके पर सभी आते हैं घर
घर के बड़े बेटे डॉ. गौरव वर्मा ने बताया कि वह तीन भाई हैं. सब घर से बाहर ही रहते हैं. लेकिन छठ के मौके पर सभी घर आते हैं. बता दें कि गुरुवार को नहाय-खाय के साथ चार दिनों तक चलने वाले छठ पर्व की शुरुआत हो गई है. शुक्रवार को पर्व का दूसरा दिन है. इस दिन व्रती शाम को खीर और पूरी का विशेष प्रसाद तैयार करती हैं. छठ मईया को इसका भोग लगाने के बाद वो प्रसाद ग्रहण करती हैं. इसके बाद से व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देने तक निर्जला उपवास पर रहती हैं. सुबह वाले अर्घ्य के बाद पारण होता है.

Intro:लोक आस्था के महापर्व में विदेशी बहु सास के साथ छठ पर्व मनाने मुज़फ्फरपुर पहुंची । बिहार की चर्चा जब होती है तो यहाँ के सबसे प्रसिद्ध पूजा छठ के बिना अधूरी है। आज बिहार ही नही देश विदेश में भी छठ धूम धाम से मनाई जाती है।Body:लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा में देश विदेश से भी लोग पूजा करने अपने घर आते हैं। ऐसा ही एक परिवार मुज़फ़्फ़रपुर में भी जहाँ विजय वर्मा के मंझले बेटे और बहु चेक रिपब्लिक और जर्मनी में रहते है मगर हर साल आस्था के इस महापर्व में आना नही भूलते हैं। सौरव श्रीवास्तव की जर्मनी की रहने वाली साइंटिस्ट पत्नी ने बताया कि उनके लिए यह अनुभव काफी विशेष है। जहां दीपावली और छठ भारत के सभ्यता संस्कृति को दर्शाता है।जहां इस तरह से आ कर इस संस्कृति का हिस्सा बनना बहुत ही गर्व की बात है।
बाइट दैनिला इवन
बहु जर्मनी से

बाइट सौरव वर्मा
बेटा

बाइट डॉ गौरव वर्मा
बड़ा पुत्र।
Conclusion:सौरव के बड़े भाई डॉ गौरव वर्मा ने बताया कि हर साल उनकी भावों यहां आती है और पूजा के हर विधि विधान में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती है।जिसमे उनका उत्साह देखने लायक होता है।
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