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झारखंड में संभावित है कोरोना की चौथी लहर, रिम्स में शोभा की वस्तु बनी जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन - झारखंड न्यूज

रिम्स में जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन की खरीदारी की गई, ताकि कोरोना संक्रमित मरीजों की शीघ्र पहचान कर इलाज शुरू किया जा सके. लेकिन तीन माह से मशीन इस्टॉल नहीं किया जा सका है. स्थिति मशीन शोभा की वस्तु बनी है.

Genome sequencing machine
झारखंड में संभावित है कोरोना की चौथी लहर
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Published : Jun 18, 2022, 9:23 PM IST

रांचीः झारखंड की राजधानी रांची में रोजाना नये कोरोना संक्रमित मरीज मिल रहे हैं. इससे दिन-प्रतिदिन कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी भी हो रही है. डॉक्टर इसे संभावित चौथी लहर से पहले की स्थिति बताकर सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं तो दूसरी ओर राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में तीन महीने से 5.33 करोड़ की लागत से खरीदी गई जीनोम सीक्वेंसिंग शोभा की वस्तु बनी है. स्थिति यह है कि मशीन जेनेटिक विभाग में पड़ा हुआ है.

यह भी पढ़ेंःझारखंड में बढ़ी कोरोना की रफ्तार, मिले 15 नए संक्रिमत, 80 के पार एक्टिव केस की संख्या



रिम्स प्रशासन ने अमेरिकन कंपनी से जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन की खरीदारी की. लेकिन इंस्टॉलेशन की व्यवस्था सुनिश्चित नहीं की. मशीन इंस्टॉलेशन को लेकर सिर्फ आश्वासन दिया जाता रहा है. रिम्स प्रशासन ने दावा किया था कि शीघ्र ही मशीन काम करने लगेगा और कोरोना वायरस के नए वैरिएंट की पहचान के साथ साथ जेनेटिक डिसऑर्डर की अन्य बीमारियों की भी पहचान करना आसान हो जाएगा.

देखें पूरी खबर

अब राज्य में कोरोना केस फिर तेजी से बढ़ रहे हैं और कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या भी तीन डिजिट में जाने वाला है. रिम्स के जनसंपर्क डॉ कृष्ण मुरारी कहते हैं कि मशीन सप्लाई करने वाली कंपनी को अल्टीमेटम दिया गया है. उन्होंने कहा कि जून तीसरे सप्ताह तक मशीन इंस्टॉलेशन का काम पूरा कर जुलाई से जांच शुरू कर दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि जेनेटिक विभाग के लिए वैज्ञानिक और अन्य स्टाफ की नियुक्ति भी हो गयी है.


कोरोना संक्रमितों के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग की जांच राज्य में ही हो. इसको लेकर रिम्स में मार्च महीने में 5.3 करोड़ की राशि मशीन की खरीदारी की गई. लेकिन अब तक इस मशीन से एक भी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग जांच नहीं हो सकी है. डॉ कृष्ण मुरारी कहते हैं कि मशीन को चालू करने को लेकर संबंधित अधिकारी लगे हुये हैं और शीघ्र ही जांच शुरू हो जायेगा.

कोरोना वायरस के जीन में हो रहे परिवर्तन और नए वैरिएंट की पहचान के लिए कोरोना पॉजिटिव मरीजों के सैंपल को जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए आईएलएस भुवनेश्वर भेजा जाता है, जहां से रिपोर्ट आने में महीने भर से अधिक का समय लग जाता है. इस स्थिति में रिम्स में ही जिनोम सीक्वेंसिंग मशीन काम करने लगे तो ना सिर्फ जेनेटिक डिसऑर्डर से जूझ रहे मरीजों को फायदा मिलता, बल्कि कोरोना वायरस के नए वैरिएंट की पहचान जल्द हो सकेगी.

रांचीः झारखंड की राजधानी रांची में रोजाना नये कोरोना संक्रमित मरीज मिल रहे हैं. इससे दिन-प्रतिदिन कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी भी हो रही है. डॉक्टर इसे संभावित चौथी लहर से पहले की स्थिति बताकर सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं तो दूसरी ओर राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में तीन महीने से 5.33 करोड़ की लागत से खरीदी गई जीनोम सीक्वेंसिंग शोभा की वस्तु बनी है. स्थिति यह है कि मशीन जेनेटिक विभाग में पड़ा हुआ है.

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रिम्स प्रशासन ने अमेरिकन कंपनी से जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन की खरीदारी की. लेकिन इंस्टॉलेशन की व्यवस्था सुनिश्चित नहीं की. मशीन इंस्टॉलेशन को लेकर सिर्फ आश्वासन दिया जाता रहा है. रिम्स प्रशासन ने दावा किया था कि शीघ्र ही मशीन काम करने लगेगा और कोरोना वायरस के नए वैरिएंट की पहचान के साथ साथ जेनेटिक डिसऑर्डर की अन्य बीमारियों की भी पहचान करना आसान हो जाएगा.

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अब राज्य में कोरोना केस फिर तेजी से बढ़ रहे हैं और कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या भी तीन डिजिट में जाने वाला है. रिम्स के जनसंपर्क डॉ कृष्ण मुरारी कहते हैं कि मशीन सप्लाई करने वाली कंपनी को अल्टीमेटम दिया गया है. उन्होंने कहा कि जून तीसरे सप्ताह तक मशीन इंस्टॉलेशन का काम पूरा कर जुलाई से जांच शुरू कर दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि जेनेटिक विभाग के लिए वैज्ञानिक और अन्य स्टाफ की नियुक्ति भी हो गयी है.


कोरोना संक्रमितों के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग की जांच राज्य में ही हो. इसको लेकर रिम्स में मार्च महीने में 5.3 करोड़ की राशि मशीन की खरीदारी की गई. लेकिन अब तक इस मशीन से एक भी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग जांच नहीं हो सकी है. डॉ कृष्ण मुरारी कहते हैं कि मशीन को चालू करने को लेकर संबंधित अधिकारी लगे हुये हैं और शीघ्र ही जांच शुरू हो जायेगा.

कोरोना वायरस के जीन में हो रहे परिवर्तन और नए वैरिएंट की पहचान के लिए कोरोना पॉजिटिव मरीजों के सैंपल को जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए आईएलएस भुवनेश्वर भेजा जाता है, जहां से रिपोर्ट आने में महीने भर से अधिक का समय लग जाता है. इस स्थिति में रिम्स में ही जिनोम सीक्वेंसिंग मशीन काम करने लगे तो ना सिर्फ जेनेटिक डिसऑर्डर से जूझ रहे मरीजों को फायदा मिलता, बल्कि कोरोना वायरस के नए वैरिएंट की पहचान जल्द हो सकेगी.

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