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1928 में गांधी जी ने इस संस्थान की रखी थी नींव, शहादत के 71 वर्ष बाद संस्थान बढ़ा रहा देश की गरिमा - गांधी ने खादी ग्राम उद्योग संस्थान की नींव रखी थी

राजधानी स्थित धुर्वा के जगन्नाथपुर में 1928 में खादी ग्राम उद्योग संस्थान की महात्मा गांधी ने नींव रखी थी. शहादत के 71 साल बाद भी संस्थान देश की गरीमा को बनाए हुए है. आज गांधी जयंती के अवसर पर बापू को श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया.

गांधी जी ने इस संस्थान की रखी थी नींव
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Published : Oct 2, 2019, 4:56 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 7:42 PM IST

रांचीः राजधानी के जगन्नाथपुर स्थित छोटानागपुर खादी ग्राम उद्योग संस्थान सर्वोदय आश्रम में गांधी जयंती मनाई गई. वर्ष 1928 में इस आश्रम की शुरुआत देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद और महात्मा गांधी के द्वारा किया गया था. जिस स्वावलंबी समाज की गांधी जी ने परिकल्पना की थी उसी समाज को तैयार करता है धुर्वा के जगन्नाथपुर स्थित छोटानागपुर का यह खादी ग्राम उद्योग.

देखें पूरी खबर

गांधी के खादी फॉर नेशन की सोच को बढ़ावा
महात्मा गांधी के खादी फॉर नेशन की सोच को आगे बढ़ाते हुए यह संस्थान खादी के क्षेत्र में लगातार बेहतर काम कर रहा है, इसे लेकर इस संस्थान के संरक्षक अभय कुमार चौधरी बताते हैं कि वह अपने प्रयासों से बापू के विचार को आज भी आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं. इस संस्थान में सूत कटाई, रेशमी कटाई, बुनाई, तेल-घानी, रंगाई, छपाई मधु प्रोडक्शन, रेडीमेड सिलाई सहित खादी से जुड़े कई काम किए जाते हैं, ताकि लोगों के बीच गांधी जी के सोच और विचारों को खादी की उत्पादों के माध्यम से बताई जा सकें.

गांधी जी ने रखी थी इस संस्थान की नींव
इस संस्थान में गांधी जी 1917 में भी पहुंचे थे इसके बाद 1928 में इस संस्थान की नींव रखी थी, तब से यह संस्थान कुटीर उद्योग के रूप में सैकड़ों लोगों को रोजगार देने का काम कर रहा है. इसके साथ ही खादी के क्षेत्र में राज्य के कई जिलों में अपने उत्पादों को पहुंचा कर गांधी के विचारों को लोगों तक फैलाने का काम कर रहा है.

हर रोज गांधी के भजन से किया जाता उन्हें याद
संस्थान के संरक्षक अभय कुमार चौधरी ने बताया कि गांधी जयंती के अलावा अन्य दिनों पर भी सुबह-सुबह सबसे पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को संस्थान के सभी कर्मचारियों के साथ उनके भजन गाकर उन्हें याद किया जाता है, लेकिन संस्थान में राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार के करोड़ों राशि बकाया होने की वजह से संस्थान उत्पादों के कामों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

ये भी पढ़ें-बापू की अस्थियां दर्शन के लिए रखी गई थी नदी किनारे, अब बन गया है फेमस सेल्फी प्वांइट

सरकार की उदासीनता रवैया
24 एकड़ में फैला यह संस्थान कभी हजारों युवकों को रोजगार देता था, लेकिन आज सरकार की उदासीनता की वजह से कुछ लोग ही इस संस्थान में काम कर पा रहे हैं, लेकिन लाख बाधाओं के बावजूद भी गांधीजी की मजबूत विचार धारा को दिल से अपनाने के लिए यह संस्थान आज भी लगातार अग्रसर है.

देश की गरिमा बढ़ा रही संस्थान
भले ही सरकार की लापरवाही और समाज की उदासीनता की वजह गांधी जी द्वारा स्थापित यह खादी संस्थान कमजोर पड़ रहा, लेकिन गांधी के शहादत के 71 वर्ष बाद भी गांधी जी की प्रतिमा का पूजन कर यह संस्थान देश की गरिमा को जरूर बढ़ा रहा है.

रांचीः राजधानी के जगन्नाथपुर स्थित छोटानागपुर खादी ग्राम उद्योग संस्थान सर्वोदय आश्रम में गांधी जयंती मनाई गई. वर्ष 1928 में इस आश्रम की शुरुआत देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद और महात्मा गांधी के द्वारा किया गया था. जिस स्वावलंबी समाज की गांधी जी ने परिकल्पना की थी उसी समाज को तैयार करता है धुर्वा के जगन्नाथपुर स्थित छोटानागपुर का यह खादी ग्राम उद्योग.

देखें पूरी खबर

गांधी के खादी फॉर नेशन की सोच को बढ़ावा
महात्मा गांधी के खादी फॉर नेशन की सोच को आगे बढ़ाते हुए यह संस्थान खादी के क्षेत्र में लगातार बेहतर काम कर रहा है, इसे लेकर इस संस्थान के संरक्षक अभय कुमार चौधरी बताते हैं कि वह अपने प्रयासों से बापू के विचार को आज भी आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं. इस संस्थान में सूत कटाई, रेशमी कटाई, बुनाई, तेल-घानी, रंगाई, छपाई मधु प्रोडक्शन, रेडीमेड सिलाई सहित खादी से जुड़े कई काम किए जाते हैं, ताकि लोगों के बीच गांधी जी के सोच और विचारों को खादी की उत्पादों के माध्यम से बताई जा सकें.

गांधी जी ने रखी थी इस संस्थान की नींव
इस संस्थान में गांधी जी 1917 में भी पहुंचे थे इसके बाद 1928 में इस संस्थान की नींव रखी थी, तब से यह संस्थान कुटीर उद्योग के रूप में सैकड़ों लोगों को रोजगार देने का काम कर रहा है. इसके साथ ही खादी के क्षेत्र में राज्य के कई जिलों में अपने उत्पादों को पहुंचा कर गांधी के विचारों को लोगों तक फैलाने का काम कर रहा है.

हर रोज गांधी के भजन से किया जाता उन्हें याद
संस्थान के संरक्षक अभय कुमार चौधरी ने बताया कि गांधी जयंती के अलावा अन्य दिनों पर भी सुबह-सुबह सबसे पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को संस्थान के सभी कर्मचारियों के साथ उनके भजन गाकर उन्हें याद किया जाता है, लेकिन संस्थान में राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार के करोड़ों राशि बकाया होने की वजह से संस्थान उत्पादों के कामों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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सरकार की उदासीनता रवैया
24 एकड़ में फैला यह संस्थान कभी हजारों युवकों को रोजगार देता था, लेकिन आज सरकार की उदासीनता की वजह से कुछ लोग ही इस संस्थान में काम कर पा रहे हैं, लेकिन लाख बाधाओं के बावजूद भी गांधीजी की मजबूत विचार धारा को दिल से अपनाने के लिए यह संस्थान आज भी लगातार अग्रसर है.

देश की गरिमा बढ़ा रही संस्थान
भले ही सरकार की लापरवाही और समाज की उदासीनता की वजह गांधी जी द्वारा स्थापित यह खादी संस्थान कमजोर पड़ रहा, लेकिन गांधी के शहादत के 71 वर्ष बाद भी गांधी जी की प्रतिमा का पूजन कर यह संस्थान देश की गरिमा को जरूर बढ़ा रहा है.

Intro:राजधानी के जगन्नाथपुर स्थित छोटानागपुर खादी ग्राम उद्योग संस्थान सर्वोदय आश्रम में महात्मा गांधी राष्ट्रपिता को आज भी याद किया जाता है।

वर्ष 1928 में इस आश्रम की शुरुआत देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद और महात्मा गांधी के द्वारा किया गया था।

जिस स्वावलंबी समाज की गांधी जी ने परिकल्पना की थी उसी समाज को तैयार करता है धुर्वा के जगन्नाथपुर स्थित छोटानागपुर का यह खादी ग्राम उद्योग।

Body:महात्मा गांधी के खादी फॉर नेशन की सोच को आगे बढ़ाते हुए यह संस्थान खादी के क्षेत्र में लगातार बेहतर काम कर रहा है इसको लेकर इस संस्थान के संरक्षक अभय कुमार चौधरी बताते हैं कि हम लोग अपने प्रयासों से बापू ने खादी को लेकर जो विचार रखा था उस विचार को आज भी आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।

इस संस्थान में सूत कटाई, रेशमी कटाई, बुनाई, तेल-घानी, रंगाई, छपाई मधु प्रोडक्शन, रेडीमेड सिलाई सहित खादी से जुड़े कई काम किए जाते हैं, ताकि लोगों के बीच गांधी जी के सोच और विचारों को खादी की उत्पादों के माध्यम से बताई जा सकें।

मिली जानकारी के अनुसार इस संस्थान में गांधीजी वर्ष 1917 में भी आए हुए थे और फिर इसके बाद वर्ष 1928 में आकर इस संस्थान की नींव रखी थी तब से यह संस्थान कुटीर उद्योग के रूप में सैकड़ों लोगों को रोजगार देने का काम कर रही है साथ ही खादी के क्षेत्र में राज्य के कई जिलों में अपने उत्पादों को पहुंचा कर गांधी के विचारों को लोगों तक फैलाने का काम कर रही है।

संस्थान के संरक्षक अभय कुमार चौधरी ने बताया कि गांधी जयंती के के अलावे अन्य दिनों पर भी सुबह सुबह सबसे पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को संस्थान के सभी कर्मचारियों के साथ उनके भजन गाकर उन्हें याद किया जाता है लेकिन संस्थान में राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार के करोड़ों राशि बकाया होने की वजह से संस्थान उत्पादों के कामों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
Conclusion:24 एकड़ में फैला यह संस्थान कभी हजारों युवकों को रोजगार देने का काम करता था लेकिन आज सरकार की उदासीनता की वजह से कुछ लोग ही इस संस्थान में काम कर पा रहे हैं, लेकिन लाख बाधाओं के बावजूद भी गांधीजी की मजबूत विचार धारा को दिल से अपनाने के लिए यह संस्थान आज भी लगातार अग्रसर है।

भले ही सरकार की लापरवाही व समाज की उदासीनता की वजह गांधी जी द्वारा स्थापित यह खादी संस्थान कमजोर पड़ रहा लेकिन गांधी के शहादत के 71 वर्ष बाद भी गांधी जी की प्रतिमा का पूजन कर यह संस्थान देश की गरिमा को जरूर बढ़ा रहा है।

बाइट- अभय कुमार चौधरी, संरक्षक
Last Updated : Oct 2, 2019, 7:42 PM IST
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