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गया की फल्गु नदी की रेत से रखी जाएगी राम मंदिर की आधारशिला, गया धाम से भेजी जाएगी चांदी की ईंट

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Published : Jul 23, 2020, 8:25 AM IST

देशभर में राम मंदिर निर्माण को लेकर लोगों में उत्सुकता है. अगस्त के पहले हफ्ते से मंदिर निर्माण शुरू हो रहा है. वहीं, मान्यताओं के अनुरूप मंदिर निर्माण कार्य के लिए गया से फल्गु की रेत मंगाई गई है. पढ़ें ये खास खबर...

foundation of Ram temple ayodhya will be laid with the sand of the river Phalgu
डिजाइन इमेज

गया: यूपी के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की तैयारियां जोरों पर हैं. 5 अगस्त को राम जन्म-भूमि पूजन का भव्य समारोह रखा गया है. मंदिर का निर्माण कार्य इस दिन से शुरू हो जाएगा. भूमि पूजन के लिए नक्षत्र और तमाम मान्यताओं का विशेष ध्यान रखा गया है. ऐसी एक मान्यता के चलते मोक्ष की नगरी गया की फल्गु नदी चर्चा में है.

देखें पूरी खबर

गया की फल्गु नदी की रेत से भव्य राम मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी. फल्गु की रेत मंदिर की नींव में भरी जाएगी. इसी से मंदिर का निर्माण कार्य होगा. इसको लेकर गया में खुशी का माहौल है. विहिप (विश्व हिंदू परिषद) की गया ईकाई ने खुशी जाहिर करते हुए फल्गु की रेत का महत्व बताया. वहीं, यह भी ऐलान किया कि गया से चांदी की ईट भी भेजी जाएगी.

ये भी पढ़ें-कैबिनेट मीटिंग में 39 एजेंडों पर मुहर, लॉकडाउन के नियमों के उल्लंघन पर 2 साल की जेल और 1 लाख का फाइन

गया धाम से भेजी जा रही चांदी की ईंट
गया में विश्व हिंदू परिषद इकाई अर्चक पुरोहित प्रमुख प्रेमनाथ टइया ने बताया कि उन्हें यह जानकारी मिली कि अयोध्या में मंदिर निर्माण में सात समुद्रों का पानी, देश की सभी धार्मिक नदियों का पानी, प्रमुख धामों की मिट्टी और फल्गु नदी के बालू का उपयोग किया जाना है. उन्होंने कहा कि गया से फल्गु नदी की रेत करीब एक महीने पहले ही अयोध्या मंगवा ली गई थी. इसके साथ ही गया धाम से सवा किलो चांदी की ईंट भी अयोध्या भेजी जा रही हैं.

foundation of Ram temple ayodhya will be laid with the sand of the river Phalgu
फल्गु का पावन तट

राम जन्म भूमि
राम मंदिर भूमि-पूजन के दौरान गर्भगृह के अंदर चांदी की पांच ईंट का इस्तेमाल होगा. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, ये पांच ईंट पांच नक्षत्रों का प्रतीक हैं. ऐसा माना जाता है कि भगवान राम का जन्म अभिजीत मुहूर्त में हुआ था, उसी हिसाब से भूमि-पूजन का वक्त भी निर्धारित किया गया है. विश्व प्रसिद्ध मोक्ष भूमि गया से भी भगवान राम का कनेक्शन है. इसके चलते वहां की पवित्र फल्गु नदी की रेत का इस्तेमाल भी मंदिर में किया जा रहा है.

foundation of Ram temple ayodhya will be laid with the sand of the river Phalgu
अयोध्या में विराजमान रामलला

पावन है गया धाम

  • महापुरुष भगवान श्री राम, लक्ष्मण और मां सीता के साथ-साथ उनके अनुज भरत जी, ऋषि भारद्वाज, पितामह भीष्म, महाराज युधिष्ठिर, महारथी भीम आदि के गया आगमन का वर्णन विभिन्न पुराणों और अन्य धर्म शास्त्रों से मिलता है.
  • रामायण में भगवान श्री राम के गयाधाम आगमन की कथा विस्तार पूर्वक वर्णित है.
  • इसके अतिरिक्त कृतिवास रामायण, बलराम दास रामायण आदि में भी यह कथा कुछ भिन्नताओं के साथ वर्णित है.
  • भगवान श्री राम के गयाधाम आगमन के अनेक पौराणिक एवं धर्मशास्त्रीय प्रमाणिक संदर्भ सुलभ है.
    foundation of Ram temple ayodhya will be laid with the sand of the river Phalgu
    गया धाम

फल्गू नदी का कनेक्शन
फल्गू नदी के तट पर बड़ी प्रचलित पौराणिक मान्यता है. यहां भगवान राम ने माता सीता और अपने भाई लक्ष्मण के साथ पिता राजा दशरथ की आत्मा की मुक्ति के लिए पिंड दान किया था. बात यहीं खत्म नहीं होती है. दरअसल, वनवास के दौरान पिंड दान के लिए गया पहुंचे भगवान राम सामाग्री जुटाने लक्ष्मण के साथ चले गए. वहीं, मां सीता फल्गू के तट पर उनका इंतजार कर रही थीं. इसी दौरान राजा दशरथ की आकाशवाणी हुई. उन्होंने सीता से कहा, 'हे पुत्री! मुझे पिंडदान करो, समय निकला जा रहा है.' इस बाबत, मां सीता ने उनसे सामाग्री न होने की बात कही.

foundation of Ram temple ayodhya will be laid with the sand of the river Phalgu
फल्गु नदी (फाइल फोटो)

राजा दशरथ ने सीता को सुझाव देते हुए कहा कि वो फल्गू की रेत से पिंड बनाकर उन्हें पिंडदान कर दें. माता सीता ने बिल्कुल ऐसा ही किया और दशरथ को मोक्ष मिल गया. तब से लेकर आजतक गया में फल्गु नदी की रेत से पिंडदान करने की मान्यता है.

foundation of Ram temple ayodhya will be laid with the sand of the river Phalgu
राम मंदिर का मॉडल

फल्गू में विराजमान हैं भगवान विष्णु
वहीं, इस संबंध में समाजसेवी बृजनंदन पाठक ने कहा कि श्रीराम मंदिर कमेटी के द्वारा फल्गु नदी के रेत को शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल करने की बात कही गई है. यह गया वासियों के लिए बड़े हर्ष की बात है. उन्होंने कहा कि गंगा का पानी अगर मरने वाले व्यक्ति के मुंह में चला जाए, तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. लेकिन फल्गु नदी का जल अगर किसी व्यक्ति के पैर में लग जाए या वह फल्गु नदी के जल से तर्पण कर्मकांड करे, तो कई पीढ़ियों का उद्धार हो जाता है. ऐसे में फल्गु नदी गंगा से भी ज्यादा पवित्र है. स्वयं भगवान विष्णु फल्गु नदी के रूप में गया में विराजमान हैं. इसके चलते फल्गु की रेत से श्रीराम मंदिर निर्माण में लगाने की घोषणा से गया वासियों में काफी खुशी है.

गया: यूपी के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की तैयारियां जोरों पर हैं. 5 अगस्त को राम जन्म-भूमि पूजन का भव्य समारोह रखा गया है. मंदिर का निर्माण कार्य इस दिन से शुरू हो जाएगा. भूमि पूजन के लिए नक्षत्र और तमाम मान्यताओं का विशेष ध्यान रखा गया है. ऐसी एक मान्यता के चलते मोक्ष की नगरी गया की फल्गु नदी चर्चा में है.

देखें पूरी खबर

गया की फल्गु नदी की रेत से भव्य राम मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी. फल्गु की रेत मंदिर की नींव में भरी जाएगी. इसी से मंदिर का निर्माण कार्य होगा. इसको लेकर गया में खुशी का माहौल है. विहिप (विश्व हिंदू परिषद) की गया ईकाई ने खुशी जाहिर करते हुए फल्गु की रेत का महत्व बताया. वहीं, यह भी ऐलान किया कि गया से चांदी की ईट भी भेजी जाएगी.

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गया धाम से भेजी जा रही चांदी की ईंट
गया में विश्व हिंदू परिषद इकाई अर्चक पुरोहित प्रमुख प्रेमनाथ टइया ने बताया कि उन्हें यह जानकारी मिली कि अयोध्या में मंदिर निर्माण में सात समुद्रों का पानी, देश की सभी धार्मिक नदियों का पानी, प्रमुख धामों की मिट्टी और फल्गु नदी के बालू का उपयोग किया जाना है. उन्होंने कहा कि गया से फल्गु नदी की रेत करीब एक महीने पहले ही अयोध्या मंगवा ली गई थी. इसके साथ ही गया धाम से सवा किलो चांदी की ईंट भी अयोध्या भेजी जा रही हैं.

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फल्गु का पावन तट

राम जन्म भूमि
राम मंदिर भूमि-पूजन के दौरान गर्भगृह के अंदर चांदी की पांच ईंट का इस्तेमाल होगा. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, ये पांच ईंट पांच नक्षत्रों का प्रतीक हैं. ऐसा माना जाता है कि भगवान राम का जन्म अभिजीत मुहूर्त में हुआ था, उसी हिसाब से भूमि-पूजन का वक्त भी निर्धारित किया गया है. विश्व प्रसिद्ध मोक्ष भूमि गया से भी भगवान राम का कनेक्शन है. इसके चलते वहां की पवित्र फल्गु नदी की रेत का इस्तेमाल भी मंदिर में किया जा रहा है.

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अयोध्या में विराजमान रामलला

पावन है गया धाम

  • महापुरुष भगवान श्री राम, लक्ष्मण और मां सीता के साथ-साथ उनके अनुज भरत जी, ऋषि भारद्वाज, पितामह भीष्म, महाराज युधिष्ठिर, महारथी भीम आदि के गया आगमन का वर्णन विभिन्न पुराणों और अन्य धर्म शास्त्रों से मिलता है.
  • रामायण में भगवान श्री राम के गयाधाम आगमन की कथा विस्तार पूर्वक वर्णित है.
  • इसके अतिरिक्त कृतिवास रामायण, बलराम दास रामायण आदि में भी यह कथा कुछ भिन्नताओं के साथ वर्णित है.
  • भगवान श्री राम के गयाधाम आगमन के अनेक पौराणिक एवं धर्मशास्त्रीय प्रमाणिक संदर्भ सुलभ है.
    foundation of Ram temple ayodhya will be laid with the sand of the river Phalgu
    गया धाम

फल्गू नदी का कनेक्शन
फल्गू नदी के तट पर बड़ी प्रचलित पौराणिक मान्यता है. यहां भगवान राम ने माता सीता और अपने भाई लक्ष्मण के साथ पिता राजा दशरथ की आत्मा की मुक्ति के लिए पिंड दान किया था. बात यहीं खत्म नहीं होती है. दरअसल, वनवास के दौरान पिंड दान के लिए गया पहुंचे भगवान राम सामाग्री जुटाने लक्ष्मण के साथ चले गए. वहीं, मां सीता फल्गू के तट पर उनका इंतजार कर रही थीं. इसी दौरान राजा दशरथ की आकाशवाणी हुई. उन्होंने सीता से कहा, 'हे पुत्री! मुझे पिंडदान करो, समय निकला जा रहा है.' इस बाबत, मां सीता ने उनसे सामाग्री न होने की बात कही.

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फल्गु नदी (फाइल फोटो)

राजा दशरथ ने सीता को सुझाव देते हुए कहा कि वो फल्गू की रेत से पिंड बनाकर उन्हें पिंडदान कर दें. माता सीता ने बिल्कुल ऐसा ही किया और दशरथ को मोक्ष मिल गया. तब से लेकर आजतक गया में फल्गु नदी की रेत से पिंडदान करने की मान्यता है.

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राम मंदिर का मॉडल

फल्गू में विराजमान हैं भगवान विष्णु
वहीं, इस संबंध में समाजसेवी बृजनंदन पाठक ने कहा कि श्रीराम मंदिर कमेटी के द्वारा फल्गु नदी के रेत को शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल करने की बात कही गई है. यह गया वासियों के लिए बड़े हर्ष की बात है. उन्होंने कहा कि गंगा का पानी अगर मरने वाले व्यक्ति के मुंह में चला जाए, तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. लेकिन फल्गु नदी का जल अगर किसी व्यक्ति के पैर में लग जाए या वह फल्गु नदी के जल से तर्पण कर्मकांड करे, तो कई पीढ़ियों का उद्धार हो जाता है. ऐसे में फल्गु नदी गंगा से भी ज्यादा पवित्र है. स्वयं भगवान विष्णु फल्गु नदी के रूप में गया में विराजमान हैं. इसके चलते फल्गु की रेत से श्रीराम मंदिर निर्माण में लगाने की घोषणा से गया वासियों में काफी खुशी है.

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