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राष्ट्रीय खेल घोटाला: आरोपी पूर्व खेल निदेशक पीसी मिश्रा को झारखंड हाई कोर्ट से बड़ा झटका - Former sports director PC Mishra

34वें राष्ट्रीय खेल घोटाला मामले में आरोपी पूर्व खेल निदेशक पीसी मिश्रा को झारखंड हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. न्यायाधीश अनुभा रावत ने पीसी मिश्रा की याचिका को खारिज कर दिया है.

Former sports director PC Mishra
झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Jan 9, 2020, 11:35 PM IST

रांची: 34वें राष्ट्रीय खेल घोटाला मामले में आरोपी पूर्व खेल निदेशक पीसी मिश्रा को झारखंड हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. इस मामले में सुनवाई करते हुए न्यायाधीश अनुभा रावत ने पीसी मिश्रा की याचिका को खारिज कर दिया है. अदालत ने बुधवार को दोनों पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि प्रार्थी को अपनी बात निचली अदालत में रखनी चाहिए. उनके द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर निचली अदालत ट्रायल के दौरान सुनवाई करेगी.

देखिए पूरी खबर

34वें राष्ट्रीय खेल घोटाला मामले में आरोपी पीसी मिश्रा ने निचली अदालत के के लिए गए संज्ञान और अभियोजन स्वीकृति को झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर आज अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए याचिका को खारिज कर दिया है. पहले सुनवाई के दौरान पीसी मिश्रा की ओर से अदालत को बताया गया था कि इस मामले में निचली अदालत ने उनके खिलाफ संज्ञान लिया है, जो गलत है. इसके अलावा उनके खिलाफ अभियोजन स्वीकृति लेने में नियमों का पालन नहीं किया गया है. इसलिए निचली अदालत के संज्ञान को निरस्त कर देना चाहिए.

ये भी पढ़ें: रांची के झारखंड वार मेमोरियल परिसर में लहराया 108 फीट ऊंचा तिरंगा, राज्यपाल ने किया अनावरण
केंद्र, राज्य सरकार और एसीबी की ओर से इसका विरोध किया गया. अदालत को बताया गया कि सभी नियमों का पालन करते हुए अभियोजन की स्वीकृति ली गई है. जांच के दौरान आरोपी के खिलाफ सबूत मिले हैं. इसके आधार पर ही अभियोजन स्वीकृति ली गई है. वहीं, एसीबी के द्वारा निचली अदालत में दाखिल किए गए दस्तावेज के आधार पर ही कोर्ट ने संज्ञान लिया है. इस कारण याचिका को खारिज कर देना चाहिए.

रांची: 34वें राष्ट्रीय खेल घोटाला मामले में आरोपी पूर्व खेल निदेशक पीसी मिश्रा को झारखंड हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. इस मामले में सुनवाई करते हुए न्यायाधीश अनुभा रावत ने पीसी मिश्रा की याचिका को खारिज कर दिया है. अदालत ने बुधवार को दोनों पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि प्रार्थी को अपनी बात निचली अदालत में रखनी चाहिए. उनके द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर निचली अदालत ट्रायल के दौरान सुनवाई करेगी.

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34वें राष्ट्रीय खेल घोटाला मामले में आरोपी पीसी मिश्रा ने निचली अदालत के के लिए गए संज्ञान और अभियोजन स्वीकृति को झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर आज अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए याचिका को खारिज कर दिया है. पहले सुनवाई के दौरान पीसी मिश्रा की ओर से अदालत को बताया गया था कि इस मामले में निचली अदालत ने उनके खिलाफ संज्ञान लिया है, जो गलत है. इसके अलावा उनके खिलाफ अभियोजन स्वीकृति लेने में नियमों का पालन नहीं किया गया है. इसलिए निचली अदालत के संज्ञान को निरस्त कर देना चाहिए.

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केंद्र, राज्य सरकार और एसीबी की ओर से इसका विरोध किया गया. अदालत को बताया गया कि सभी नियमों का पालन करते हुए अभियोजन की स्वीकृति ली गई है. जांच के दौरान आरोपी के खिलाफ सबूत मिले हैं. इसके आधार पर ही अभियोजन स्वीकृति ली गई है. वहीं, एसीबी के द्वारा निचली अदालत में दाखिल किए गए दस्तावेज के आधार पर ही कोर्ट ने संज्ञान लिया है. इस कारण याचिका को खारिज कर देना चाहिए.

Intro:रांची

34 वें राष्ट्रीय खेल घोटाला मामले में आरोपित पूर्व खेल निदेशक पीसी मिश्रा को झारखंड हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश अनुभा रावत ने पीसी मिश्रा की याचिकाओं को खारिज कर दिया है। मामले पर अदालत ने बुधवार को दोनों पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था अदालत ने अपना फैसले में कहा कि प्रार्थी को अपनी बात निचली अदालत में रखनी चाहिए उनके द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर निचली अदालत ट्रायल के दौरान सुनवाई करेगी। इसलिए उनकी याचिका को खारिज कर दिया जाता है


Body:34 वें राष्ट्रीय खेल घोटाला मामले में आरोपित पीसी मिश्रा ने निचली अदालत के द्वारा लिए गए संज्ञान और अभियोजन स्वीकृति को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी थी जिस पर आज अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए याचिका को खारिज कर दिया है पूर्व के सुनवाई के दौरान इसी मिश्रा की ओर से अदालत को बताया गया था कि इस मामले में निचली अदालत ने उनके खिलाफ संज्ञान लिया है जो गलत है इसके अलावा उनके खिलाफ अभियोजन स्वीकृति लेने में नियमों का पालन नहीं किया गया है। इसलिए निचली अदालत के संज्ञान को निरस्त कर देना चाहिए।


Conclusion:केंद्र, राज्य सरकार, और एसीबी की ओर से इसका विरोध किया गया अदालत को बताया गया कि सभी नियमों का पालन करते हुए अभियोजन की स्वीकृति ली गई है जांच के दौरान आरोपी के खिलाफ सबूत मिले हैं इसके आधार पर ही अभियोजन स्वीकृति ली गई है वही एसीबी के द्वारा निचली अदालत में दाखिल किए गए दस्तावेज के आधार पर ही कोर्ट ने संज्ञान लिया है इस कारण याचिका को खारिज कर देना चाहिए
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