रांची: झारखंड में वन विभाग ने अपनी साढे़ 4 वर्षों की उपलब्धियां गिनाईं. इस दौरान मुख्य वन संरक्षक संजय कुमार बताते हैं कि वन विभाग अपने मैनेजमेंट और प्रिंसिपल्स को धीरे-धीरे ज्यादा से ज्यादा विकास की ओर लेकर जा रहा है. फॉरेस्ट की गुणवत्ता को लेकर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. अभी तक वनों के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है. अब हमारा मुख्य फोकस वनों की गुणवत्ता बढ़ाने पर है.
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि वन से मिलने वाले उत्पाद महत्वपूर्ण इको सिस्टम सर्विसेज हैं. प्रदेश को हरा-भरा रखने के लिए नए पौधे लगाने जंगल और वन्य प्राणियों के साथ पर्यावरण संरक्षण, सरकार की सबसे प्रमुख प्राथमिकताओं में शामिल है.
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वाइल्ड लाइफ फॉरेस्ट और वातावरण को लेकर उपलब्धियां गिनाई
वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के सचिव इंदु शेखर चतुर्वेदी ने बताया कि कि वर्ष 2018-19 में रांची में वन्य प्राणी रेस्क्यू सेंटर का निर्माण किया गया है. वर्ष 2018-19 में मानव वन्य प्राणी द्वंद से निपटने के लिए 11 क्विक रिस्पांस टीम का भी गठन किया गया है.
इको सिस्टम को लेकर पूरे राज्य के बेहतर कार्यों की चर्चा
वहीं बाघों की संख्या को लेकर मुख्य वन संरक्षक संजय कुमार ने बताया कि कैमरा के द्वारा और पद चिन्हों के माध्यम से झारखंड के पलामू क्षेत्र में दो नर बाघ और एक मादा बाघ के विचरण करने का स्पष्ट प्रमाण मिला है. इसे लेकर उन बाघों को उचित हैबिटेट मिल सके और उन्हें भोजन मिल सके इसके लिए भी वन विभाग लगातार प्रयासरत है. विभाग ने बताया कि वनों से बाहर वृक्षों का भी विस्तार किया जा रहा है.
बता दें कि झारखंड में वनों की बढ़ोतरी को लेकर राज्य सरकार द्वारा वृहद स्तर पर काम किए जा रहे हैं. झारखंड राज्य जंगलों की उपस्थिति को लेकर ही पूरे देश में जाना जाता है, लेकिन नया राज्य बनने के बाद विकास कार्यों में हो रही बढ़ोतरी से कहीं न कहीं जंगल को क्षति पहुंच रही है. ऐसे में वन, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन विभाग के लिए वनों का संरक्षण कर बेहतर परिणाम देना निश्चित रूप से विभाग के सुनियोजित कार्यशैली को दर्शाती है.