रांचीः जिला के गेतलसूद डैम में वाटर फ्लोटिंग सोलर प्लांट लगाया जाना है, इसकी प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. इस डैम पर आश्रित मछुआरों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है. रविवार को करीब 200 की संख्या में मछुआरे डैम के तट पर पहुंचे और नाव पर सवार होकर सरकार की इस योजना के खिलाफ नारेबाजी की.
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गेतलसूद जलाशय मत्स्यजीवी संघर्ष समिति के अध्यक्ष डॉ. रिझु नायक ने आंदोलन का नेतृत्व किया. उन्होंने कहा कि अनगड़ा और ओरमांझी प्रखंड के करीब एक हजार मछुआरों के परिवार का जीवन इसी डैम के भरोसे चल रहा है. मछुआरे तमाम जोखिम उठाकर इस डैम में मछली पकड़ते हैं और उसे बेचकर अपना और अपने परिवार का जीवन यापन करते हैं.
रिझु नायक ने कहा कि इस डैम पर करीब 150 मेगावाट क्षमता का सोलर पावर प्लांट लगाने की कवायद चल रही है. प्लांट लगने से डैम का 165 एकड़ एरिया कवर हो जाएगा. अगर ऐसा हुआ तो दोनों प्रखंड के दर्जनों गांव के मछुआरे सड़क पर आ जाएंगे. उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि इस प्रोजेक्ट को बंद किया जाए. साथ ही उन्होंने चेतावनी भी दी है कि अगर सरकार नहीं मानी तो प्रभावित मछुआरे विरोध करने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे.
राजधानी रांची से चंद किलोमीटर की दूरी पर गेतलसूद डैम है, डैम के आसपास के गांव में उन्नत खेती होती है. हरी सब्जी के लिए यह इलाका मशहूर है. इस डैम की मछली की बाजार में खूब डिमांड है. इस बीच सोलर प्लांट की कवायद ने मछुआरों की नींद उड़ा दी है.
रांची के गेतलसूद जलाशय में 100 मेगावाट क्षमता का फ्लोटिंग सोलर प्लांट लगेगा. मार्च के महीने में ऊर्जा विभाग के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वीकृति दे दी. विकास के साथ-साथ पर्यावरण प्रबंध को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के द्वारा पारंपरिक ऊर्जा श्रोतों पर निर्भरता कम करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा श्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय सोलर मिशन 2010 शुरू किया गया है.