रांचीः विश्व आदिवासी दिवस पर पहली बार आयोजित हो रहे झारखंड जनजातीय महोत्सव (Tribal Festival in ranchi) का शुभारंभ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन(cm hemant soren) और गुरुजी शिबू सोरेन ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में आयोजित इस दो दिवसीय महोत्सव के शुभारंभ कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद महुआ माजी, मंत्री चंपई सोरेन, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, सीएम के सचिव विनय कुमार चौबे सहित कई गणमान्य शामिल हुए.
महोत्सव के शुभारंभ मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (cm hemant soren) अपने पिता गुरुजी शिबू सोरेन के साथ जनजातीय संस्कृति से संबंधित लगे प्रदर्शनी का जायजा लिया. इस अवसर पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के संदेश को अनुसूचित जाति-जनजाति विभाग के सचिव के के सोन ने पढते हुए आगंतुकों का स्वागत किया. दो दिवसीय इस महोत्सव में देश विदेश के कलाकार और विद्वान शिरकत कर रहे हैं जो ट्रायबल हिस्ट्री पर विचार रखेंगे.
जनजातीय सम्मेलन (Tribal Festival in ranchi) को संबोधित करते हुए हेमंत सोरेन (cm hemant soren) ने कहा यह मेरी सच्चाई है कि मैं आदिवासी हूं. यही मेरी पहचान है और यही मेरा वजूद. आज यह बात अपने समाज की पंचायत के सामने रख रहा हूं. झारखंड ऐसा राज्य है जहां सबसे ज्यादा जनजातीय लोग रहते हैं और आजादी की लड़ाई में समाज का बहुत योगदान रहा है. झारखंड बंटवारे के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब आदिवासी सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है, मैं पूरे देश से आए सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं.
झारखंड में हर साल जनजातीय सम्मेलन (Tribal Festival in ranchi) का आयोजन किया जाएगा. आदिवासियों की पहचान के लिए बड़ा संकट खड़ा हुआ है. जिस विविधता के कारण हमें आदिवासी समाज (tribal society) का माना गया है. उसे आज के नीति निर्माता मानने से गुरेज कर रहे हैं. हमारे संवैधानिक मान्यता सिर्फ चर्चा का विषय है. जमीन, संस्कृति और भाषा हम आदिवासियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. आज की मूल भावना के लिए आदिवासी समाज (tribal society) ही सबसे घृणित है और वह हमें ही कहा जाता है जो विविधता से भरे समूह हैं. उनके लिए हम यही माने जाते हैं जहां वन बचाओ जंगल बचाओ की बात होती है लेकिन आदिवासी बचाव की बात कोई नहीं करता.
आदिवासी को बचा लो जंगल भी बच जाएगा, जमीन भी बच जाएगी. जानवर भी बस जाएंगे. खनिज संपदा हमारे पास है लेकिन ना तो हमारे पास फैक्ट्री है और ना ही आरा मशीन है. यह सिर्फ और सिर्फ बड़े उद्योगपतियों के पास होता है, कुछ लोगों को आदिवासी नाम से ही चिढ़ होती है. वह हमें आदिवासी नहीं वनवासी के नाम से पुकारना चाहते हैं. आज यह जरूरी है कि आदिवासियों के प्रति सम्मान का भाव पैदा हो. आदिवासियों के लिए काम करने की जरूरत है. आदिवासी समाज (tribal society) मेहनत करके खाने वाला स्वाभिमानी समाज है. हम भगवान बिरसा मुंडा और एकलव्य की संतान है. इस समाज को कोई डरा या झुका नहीं सकता. हम वैसे लोग हैं जो गुरु की तस्वीर से ज्ञान सीख लेते हैं, हम पीछे से नहीं सामने से वार करते हैं और होने वाले वार को झेल भी लेते हैं.
आदिवासी समाज (tribal society) बिखरा हुआ है. हमारा खून एक है, हमारा समाज एक है तो सब लोगों को एकजुट होना चाहिए. आज हमारे पास जो भी है वह हमारे शहीदों की देन है. जिन महापुरुषों ने आदिवासी अस्मिता के लिए अपनी जान दे वही हमारी पूंजी और वही हमारी धरोहर हैं. हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासी, गैर आदिवासी और समाज के सभी लोग जय जोहार बोलकर लोगों का अभिनंदन करें.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड के बच्चों के लिए गुरु क्रेडिट कार्ड योजना लागू किया जाएगा ताकि युवाओं को पढ़ने लिखने में किसी तरह की दिक्कत ना हो. राज्य में बैंकों की स्थिति यह है कि अगर हेमंत सोरेन बैंकों से लोन लेने जाए तो उन्हें भी लोन नहीं दिया जाएगा और कह दिया जाएगा आपकी जमीन सीएनटी एसपीटी एक्ट में आती है. गाड़ी चलाने वाला गाड़ी का मालिक बन सकता है. सरकार इस तरह की व्यवस्था करने जा रही है कि जो जिस विषय के हुनरमंद हैं, सरकार उन्हें हर सहयोग देगी ताकि वह अपने से हुनरमंद होकर लोगों को भी रोजगार देने का काम करे. अपने समाज के लोगों को आगे बढ़ाए.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के भोले भाले लोगों को साहूकारों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए बड़ी घोषणा की है. इसके तहत सरकार साहूकारों के द्वारा दिये जाने वाले सूद पर पैसे के खिलाफ कानून बनाने की घोषणा की है. झारखंड जनजातीय महोत्सव के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि जिन लोगों ने साहूकारों से पैसा लिया है उन्हें लौटाने की जरूरत नहीं है यदि साहूकार पैसा लौटाने के लिए दवाब बनाता है तो सरकार को जानकारी दें उसके विरुद्ध कारवाई की जायेगी. मुख्यमंत्री ने राज्य के गरीब आदिवासियों के द्वारा शादी या किसी के मृत्यु होने पर श्राद्ध कर्म और भोज के लिए साहूकारों से पैसा नहीं लेने की बात कहते हुए कहा कि सरकार शादी या मृत्यु भोज के लिए 100 किलो चावल और दस किलो दाल मुहैया करायेगी.
उन्होंने कहा कि झारखंड में भाषा के विकास के लिए हम भाषाई शिक्षक की बहाली करेंगे. हेमंत सोरेन ने कहा कि मैं भारत सरकार से मांग करता हूं कि 9 अगस्त को आदिवासी दिवस पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाए. वन अधिकार के जो पट्टे निरस्त किए गए हैं उन्हें फिर से हम ले आएंगे और 3 महीने के भीतर उसे पूरा करेंगे.
वहीं सम्मेलन को जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन ने कहा कि आदिवासी समाज के लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है कि हमारी हर चीजें आमजन तक चलती रहे. आदिवासी समाज के लोग अपनी भाषा और सामाजिक नीति नियम के साथ आगे बढ़ रहे हैं और इसके लिए जरूरी है कि सामाजिक चेतना बनी रहे और लोगों तक आदिवासी के विकास की मूल भाषा और भावना पहुंचती रहे. आदिवासी समाज के उत्थान के लिए इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई है और लोगों तक यह बात पहुंचे इसके लिए आप सभी लोगों को एकजुट होकर काम करना है. ओडिशा में अपनी भाषा के लिए लिपि और व्याकरण बन रहा है और यह चीज हमारे विकास के लिए काफी अहम है.