ETV Bharat / city

लॉकडाउन में बेटी को आखिरी बार नहीं देख सका पिता, अफसरों के सामने करता रहा मिन्नतें

लॉकडाउन के कारण कुछ मामलों में संवेदना को भी आहुति देनी पड़ रही है. राजधानी रांची में हाईटेंशन कॉलोनी के रहनेवाले जितेंद्र सिंह के साथ कुछ ऐसा ही हुआ. उनकी बेटी की तबीयत खराब हुई और वह मौत के गाल में समा गई. पर एक पिता उसे अंतिम बार देख नहीं जा सका.

social distancing, Corona virus Update jharkhand, Corona virus Jharkhand, corona in jharkhand, , india lockdown, jharkhand lockdown, झारखंड में कोरोना, भारत लॉकडाउन, झारखंड में कोरोना वायरस अपडेट, झारखंड लॉकडाउन, सोशल डिस्टेंसिंग
रोते बिलखते परिजन
author img

By

Published : Apr 4, 2020, 2:18 PM IST

रांची: कोरोना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. इसके संक्रमण को रोकने का सिर्फ एक ही उपाय है कि लोग घरों से बाहर न निकलें और लॉकडाउन का गंभीरता से पालन करें. लेकिन लॉकडाउन के कारण कुछ मामलों में संवेदना को भी आहुति देनी पड़ रही है. राजधानी रांची में हाईटेंशन कॉलोनी के रहनेवाले जितेंद्र सिंह के साथ कुछ ऐसा ही हुआ.

देखें पूरी खबर

दर-दर भटकता रहा

3 अप्रैल को सुबह 10:30 बजे बिहार के नवादा से फोन आया कि उनकी बेटी अब इस दुनिया में नहीं रही. जितना जल्दी हो दाह संस्कार के लिए नवादा पहुंचे. एक पिता के लिए यह कितनी मार्मिक सूचना होगी इसे महसूस किया जा सकता है. जानकारी मिलते ही जितेंद्र सिंह अपने कुछ परिचितों के साथ नामकुम थाना पहुंचे और बेटी की अंतिम संस्कार में जाने के अनुमति मांगने लगे, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा. फिर किसी के सुझाव पर सभी लोग उपायुक्त कार्यालय पहुंचे, लेकिन वहां भी कुछ नहीं हुआ. किसी ने कहा कि डीटीओ ऑफिस से जाने की अनुमति मिल सकती है, लेकिन वहां भी कुछ नहीं हाथ लगा.

ये भी पढ़ें- कोरोना संकट: लोग निर्देशों की उड़ा रहे धज्जियां, बौखलाहट में अधिकारी

बेटी को आखिरी बार भी नहीं देख सका एक पिता

इस बीच जितेंद्र सिंह की बेटी रानी के ससुरालवाले फोन करते रहे और जितेंद्र सिंह यही कहते रहे कि बस आधे घंटे में बताता हूं. सरकारी अफसरों के चक्कर काटते-काटते जब दोपहर के 3:30 बज गए तब जितेंद्र सिंह समझ गए कि वह अपनी बेटी के अंतिम विदाई में शामिल नहीं हो पाएंगे. उन्हें दुख इस बात का भी मलाल है कि होली के ठीक पहले उनकी बेटी रांची आई थी और अपनी 4 साल की बेटी को पिता के पास छोड़कर ससुराल लौटी थी. क्योंकि वहां परिवार के किसी सदस्य के घर में बच्चे का मुंडन होना था. जब रानी रांची में थी तब टाइफाइड से ग्रसित थी. उसका इलाज भी चल रहा था, लेकिन 3 अप्रैल को तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई और बिहार के पावापुरी स्थित अस्पताल तक जाते-जाते उसकी सांस टूट गई.

ये भी पढ़ें- भाभी से देवर करता था यौनाचार, पकड़ाया तो लोगों ने पेड़ से बांधकर पीटा

4 साल की बच्ची से उठा मां का आंचल

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान जितेंद्र सिंह ने यही कहा कि लॉकडाउन के कारण वह अपनी बेटी की अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए. लेकिन वह चाहते हैं कि और किसी पिता के साथ अगर ऐसा हो तो प्रशासन सहयोग करे. सबसे दुखद पहलू यह था कि जब हम जितेंद्र सिंह के घर पर थे तो वहां रानी की 4 साल की मासूम बेटी थी और वह मोबाइल में अपनी मां की तस्वीर को निहार रही थी. उसे नहीं मालूम कि उसके सिर से मां का आंचल हमेशा के लिए ओझल हो गया है. दूसरी तरफ रानी की मां चीख-चीख कर रो रही थी. लॉकडाउन और कोरोना ने इस परिवार को ऐसा जख्म दिया है जो शायद ही कभी भरे.

रांची: कोरोना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. इसके संक्रमण को रोकने का सिर्फ एक ही उपाय है कि लोग घरों से बाहर न निकलें और लॉकडाउन का गंभीरता से पालन करें. लेकिन लॉकडाउन के कारण कुछ मामलों में संवेदना को भी आहुति देनी पड़ रही है. राजधानी रांची में हाईटेंशन कॉलोनी के रहनेवाले जितेंद्र सिंह के साथ कुछ ऐसा ही हुआ.

देखें पूरी खबर

दर-दर भटकता रहा

3 अप्रैल को सुबह 10:30 बजे बिहार के नवादा से फोन आया कि उनकी बेटी अब इस दुनिया में नहीं रही. जितना जल्दी हो दाह संस्कार के लिए नवादा पहुंचे. एक पिता के लिए यह कितनी मार्मिक सूचना होगी इसे महसूस किया जा सकता है. जानकारी मिलते ही जितेंद्र सिंह अपने कुछ परिचितों के साथ नामकुम थाना पहुंचे और बेटी की अंतिम संस्कार में जाने के अनुमति मांगने लगे, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा. फिर किसी के सुझाव पर सभी लोग उपायुक्त कार्यालय पहुंचे, लेकिन वहां भी कुछ नहीं हुआ. किसी ने कहा कि डीटीओ ऑफिस से जाने की अनुमति मिल सकती है, लेकिन वहां भी कुछ नहीं हाथ लगा.

ये भी पढ़ें- कोरोना संकट: लोग निर्देशों की उड़ा रहे धज्जियां, बौखलाहट में अधिकारी

बेटी को आखिरी बार भी नहीं देख सका एक पिता

इस बीच जितेंद्र सिंह की बेटी रानी के ससुरालवाले फोन करते रहे और जितेंद्र सिंह यही कहते रहे कि बस आधे घंटे में बताता हूं. सरकारी अफसरों के चक्कर काटते-काटते जब दोपहर के 3:30 बज गए तब जितेंद्र सिंह समझ गए कि वह अपनी बेटी के अंतिम विदाई में शामिल नहीं हो पाएंगे. उन्हें दुख इस बात का भी मलाल है कि होली के ठीक पहले उनकी बेटी रांची आई थी और अपनी 4 साल की बेटी को पिता के पास छोड़कर ससुराल लौटी थी. क्योंकि वहां परिवार के किसी सदस्य के घर में बच्चे का मुंडन होना था. जब रानी रांची में थी तब टाइफाइड से ग्रसित थी. उसका इलाज भी चल रहा था, लेकिन 3 अप्रैल को तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई और बिहार के पावापुरी स्थित अस्पताल तक जाते-जाते उसकी सांस टूट गई.

ये भी पढ़ें- भाभी से देवर करता था यौनाचार, पकड़ाया तो लोगों ने पेड़ से बांधकर पीटा

4 साल की बच्ची से उठा मां का आंचल

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान जितेंद्र सिंह ने यही कहा कि लॉकडाउन के कारण वह अपनी बेटी की अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए. लेकिन वह चाहते हैं कि और किसी पिता के साथ अगर ऐसा हो तो प्रशासन सहयोग करे. सबसे दुखद पहलू यह था कि जब हम जितेंद्र सिंह के घर पर थे तो वहां रानी की 4 साल की मासूम बेटी थी और वह मोबाइल में अपनी मां की तस्वीर को निहार रही थी. उसे नहीं मालूम कि उसके सिर से मां का आंचल हमेशा के लिए ओझल हो गया है. दूसरी तरफ रानी की मां चीख-चीख कर रो रही थी. लॉकडाउन और कोरोना ने इस परिवार को ऐसा जख्म दिया है जो शायद ही कभी भरे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.