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झारखंड में कम बारिश से खेती प्रभावित, पिछले साल की तुलना में 37 लाख टन कम धान होने की संभावना

झारखंड मे मानसून के दौरान कम बारिश हुई है. इससे धान की खेती प्रभावित हुई है. पिछले साल 17.63 लाख हेक्टेयर में धान की रोपनी हुई थी. लेकिन इस साल कम बारिश की वजह से सिर्फ 8 लाख 55 हजार हेक्टेयर में ही धान की रोपनी हुई.

Farming affected due to reduced rains in Jharkhand
झारखंड में कम हुई बारिश से खेती प्रभावित
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Published : Oct 13, 2022, 10:51 PM IST

रांचीः झारखंड में इस वर्ष 1 जून से 30 सितंबर तक सामान्य से 20 प्रतिशत कम बारिश हुई है. लेकिन समय से बारिश नहीं होने की वजह से राज्य में खरीफ की खेती प्रभावित हुई है. मानसून के दौरान 1022.9 एमएम बारिश की जगह 817.9 एमएम बारिश हुई है. लेकिन 15 अगस्त तक काफी कम बारिश हुई, जिससे धान की रोपनी पूरी तरह प्रभावित रही. इसके साथ ही मक्का और दलहन का आच्छादन भी पिछले वर्ष की अपेक्षा कम हुई है, जिसका प्रभाव उत्पादन पर पड़ेगा.

यह भी पढ़ेंः कम बारिश का असर धान की खेती पर, नुकसान से बचने के लिए किसान अपना रहे हॉर्टिकल्चर




झारखंड में पिछले साल 18 लाख हेक्टेयर में धान की रोपनी के लक्ष्य रखा गया था, जिसमें 17.63 लाख हेक्टेयर में धान की रोपनी हुई थी. लेकिन इस साल कम बारिश की वजह से सिर्फ 8 लाख 55 हजार हेक्टेयर में ही धान की रोपनी हुई है. कृषि विभाग का अनुमान है कि इस साल राज्य में 15 से 17 लाख टन धान की उपज संभव है. कृषि निदेशालय के उप निदेशक मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा कि इस साल समय पर बारिश नहीं होने के धान की रोपनी पर खराब असर पड़ा है.

जानकारी देते कृषि निदेशालय के उप निदेशक


उपनिदेशक मुकेश कुमार सिन्हा ने बताया कि राज्य में पिछले साल 2.73 लाख हेक्टेयर में करीब 6 लाख टन मक्का का उपज हुआ था. लेकिन इस वर्ष 2 लाख 8 हजार हेक्टेयर में मक्का की फसल लगी है और मात्र 3.5 लाख टन उपज का अनुमान है. इसी तरह राज्य में पिछले वर्ष खरीफ दलहनी फसलों को 4 लाख 58 हजार हेक्टेयर में लगाया गया था और 4 लाख 41 हजार टन उत्पादन हुआ था. लेकिन इस साल 3 लाख 24 हजार हेक्टेयर में ही दलहन की फसल लगाया गया है, जिससे 2.46 लाख टन दलहन उत्पादन का लक्ष्य है.


उपनिदेशक ने बताया कि समय पर बारिश नहीं होने से राज्य में कृषि पर खराब असर पड़ा है. पिछले साल की तुलना में इस साल राज्य में खरीफ फसलों की पैदावार कम होगी. उन्होंने कहा कि इस क्षति की भरपाई किसान रबी की फसल में कर सकें. इसको लेकर किसानों को सरकार कम कीमत यानी 90 प्रतिशत सब्सिडी पर रबी फसलों के बीज उपलब्ध करा रही है. वहीं मिट्टी की नमी का फायदा किसान रबी फसल के लिए करें. इसके लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है.

रांचीः झारखंड में इस वर्ष 1 जून से 30 सितंबर तक सामान्य से 20 प्रतिशत कम बारिश हुई है. लेकिन समय से बारिश नहीं होने की वजह से राज्य में खरीफ की खेती प्रभावित हुई है. मानसून के दौरान 1022.9 एमएम बारिश की जगह 817.9 एमएम बारिश हुई है. लेकिन 15 अगस्त तक काफी कम बारिश हुई, जिससे धान की रोपनी पूरी तरह प्रभावित रही. इसके साथ ही मक्का और दलहन का आच्छादन भी पिछले वर्ष की अपेक्षा कम हुई है, जिसका प्रभाव उत्पादन पर पड़ेगा.

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झारखंड में पिछले साल 18 लाख हेक्टेयर में धान की रोपनी के लक्ष्य रखा गया था, जिसमें 17.63 लाख हेक्टेयर में धान की रोपनी हुई थी. लेकिन इस साल कम बारिश की वजह से सिर्फ 8 लाख 55 हजार हेक्टेयर में ही धान की रोपनी हुई है. कृषि विभाग का अनुमान है कि इस साल राज्य में 15 से 17 लाख टन धान की उपज संभव है. कृषि निदेशालय के उप निदेशक मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा कि इस साल समय पर बारिश नहीं होने के धान की रोपनी पर खराब असर पड़ा है.

जानकारी देते कृषि निदेशालय के उप निदेशक


उपनिदेशक मुकेश कुमार सिन्हा ने बताया कि राज्य में पिछले साल 2.73 लाख हेक्टेयर में करीब 6 लाख टन मक्का का उपज हुआ था. लेकिन इस वर्ष 2 लाख 8 हजार हेक्टेयर में मक्का की फसल लगी है और मात्र 3.5 लाख टन उपज का अनुमान है. इसी तरह राज्य में पिछले वर्ष खरीफ दलहनी फसलों को 4 लाख 58 हजार हेक्टेयर में लगाया गया था और 4 लाख 41 हजार टन उत्पादन हुआ था. लेकिन इस साल 3 लाख 24 हजार हेक्टेयर में ही दलहन की फसल लगाया गया है, जिससे 2.46 लाख टन दलहन उत्पादन का लक्ष्य है.


उपनिदेशक ने बताया कि समय पर बारिश नहीं होने से राज्य में कृषि पर खराब असर पड़ा है. पिछले साल की तुलना में इस साल राज्य में खरीफ फसलों की पैदावार कम होगी. उन्होंने कहा कि इस क्षति की भरपाई किसान रबी की फसल में कर सकें. इसको लेकर किसानों को सरकार कम कीमत यानी 90 प्रतिशत सब्सिडी पर रबी फसलों के बीज उपलब्ध करा रही है. वहीं मिट्टी की नमी का फायदा किसान रबी फसल के लिए करें. इसके लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है.

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