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कृषि कानूनों का विरोध क्यों कर रहे हैं किसान, झारखंड में क्या होगा असर

नए कृषि कानूनों के विरोध में मंगलवार 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया गया है. झारखंड में भी इसका मिलाजुला असर दिखा. आखिर कृषि कानूनों में क्या है, जिसका किसान विरोध कर रहे हैं? केंद्र सरकार का दावा क्या है और किसानों की मांग क्या है? इस मामले को आसान शब्दों में समझने के लिए आगे पढ़ें.

कृषि कानूनों का विरोध
कृषि कानूनों का विरोध
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Published : Dec 8, 2020, 11:56 AM IST

Updated : Dec 8, 2020, 3:36 PM IST

रांचीः नए कृषि कानूनों के विरोध में भारत बंद का असर झारखंड में भी दिख रहा है. सत्ताधारी पार्टियों झामुमो, कांग्रेस और राजद के कार्यकर्ता सुबह से ही प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बीच ये समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर ये विरोध हो क्यों रहा है? किसान क्या चाहते हैं? झारखंड के लोगों को इससे क्या फर्क पड़ेगा?

farmers protest against agriculture laws and effect on jharkhand
अनोखा प्रदर्शन

कृषि कानूनों में क्या है

पहला कानूनः कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020

सरकारः किसान अब एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी फसल ऊंची कीमत पर बेच पाएंगे.

किसानः बड़े कॉरपोरेट खरीदारों को खुली छूट, बिना पंजीकरण वे किसानों की फसल खरीद-बेच सकते हैं.

farmers protest against agriculture laws and effect on jharkhand
अनोखा प्रदर्शन

दूसरा कानूनः कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत अश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक 2020

सरकारः कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए किसान की जमीन को कोई पूंजीपति किराये पर लेगा और अपने हिसाब से फसल का उत्पादन कर बाजार में बेचेगा.

किसानः विवाद की स्थिति में किसानों को नुकसान हो सकता है, एक तरह से किसानों को बंधुआ मजदूर बनाने जैसा होगा.

farmers protest against agriculture laws and effect on jharkhand
ट्रैक्टर पर प्रदर्शन करते बंद समर्थक

तीसरा कानूनः आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक, 2020

सरकारः कृषि उपज जुटाने की कोई सीमा तय नहीं.

किसानः जमाखोरी और कालाबाजारी बढ़ सकती है.

ये भी पढ़ें-LIVE: झारखंड में भारत बंद का असर, जाने पल-पल के अपडेट्स

farmers protest against agriculture laws and effect on jharkhand
बंद समर्थकों ने जलाया पीएम मोदी का पुतला

सरकार का दावा

  • किसान अब किसी भी राज्य में जाकर अपना फसल बेच सकते हैं.
  • किसान लागत के हिसाब से अपने फसल का मूल्य तय कर सकेंगे.
  • कंपनी सीधे तौर पर किसानों से संपर्क कर अपने हिसाब से फसल तैयार करवा सकेंगे.
  • कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में फसल का मूल्य भी पहले से ही तय कर लिया जाएगा.
  • विपक्ष इन प्रावधानों को लेकर किसानों के बीच भ्रम फैला रहा है.
farmers protest against agriculture laws and effect on jharkhand
बंद समर्थकों ने अमित शाह का पोस्टर

किसानों की मांग

  • किसान तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
  • किसानों के अनुसार नई व्यवस्था में मंडी और मिनिमम सपोर्ट प्राइस खत्म हो जाएगी.
  • इसके साथ ही सरकार उनसे गेहूं और चावल लेना बंद कर देगी.
  • किसानों को अपनी फसल निजी कंपनियों को बेचना पड़ेगा, जो शोषण कर सकते हैं.
farmers protest against agriculture laws and effect on jharkhand
लोगों को रोकते बंद समर्थक

झारखंड में असर

  • झारखंड में नए कृषि कानूनों का कोई खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि झारखंड में मुख्य रूप से छोटे और मझोले किसान हैं.
  • हालांकि किसानों के भारत बंद के आह्वान का झामुमो, कांग्रेस और राजद ने समर्थन किया है.
  • राज्य में किसानों से ज्यादा राजनीतिक पार्टियों के लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

रांचीः नए कृषि कानूनों के विरोध में भारत बंद का असर झारखंड में भी दिख रहा है. सत्ताधारी पार्टियों झामुमो, कांग्रेस और राजद के कार्यकर्ता सुबह से ही प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बीच ये समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर ये विरोध हो क्यों रहा है? किसान क्या चाहते हैं? झारखंड के लोगों को इससे क्या फर्क पड़ेगा?

farmers protest against agriculture laws and effect on jharkhand
अनोखा प्रदर्शन

कृषि कानूनों में क्या है

पहला कानूनः कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020

सरकारः किसान अब एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी फसल ऊंची कीमत पर बेच पाएंगे.

किसानः बड़े कॉरपोरेट खरीदारों को खुली छूट, बिना पंजीकरण वे किसानों की फसल खरीद-बेच सकते हैं.

farmers protest against agriculture laws and effect on jharkhand
अनोखा प्रदर्शन

दूसरा कानूनः कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत अश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक 2020

सरकारः कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए किसान की जमीन को कोई पूंजीपति किराये पर लेगा और अपने हिसाब से फसल का उत्पादन कर बाजार में बेचेगा.

किसानः विवाद की स्थिति में किसानों को नुकसान हो सकता है, एक तरह से किसानों को बंधुआ मजदूर बनाने जैसा होगा.

farmers protest against agriculture laws and effect on jharkhand
ट्रैक्टर पर प्रदर्शन करते बंद समर्थक

तीसरा कानूनः आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक, 2020

सरकारः कृषि उपज जुटाने की कोई सीमा तय नहीं.

किसानः जमाखोरी और कालाबाजारी बढ़ सकती है.

ये भी पढ़ें-LIVE: झारखंड में भारत बंद का असर, जाने पल-पल के अपडेट्स

farmers protest against agriculture laws and effect on jharkhand
बंद समर्थकों ने जलाया पीएम मोदी का पुतला

सरकार का दावा

  • किसान अब किसी भी राज्य में जाकर अपना फसल बेच सकते हैं.
  • किसान लागत के हिसाब से अपने फसल का मूल्य तय कर सकेंगे.
  • कंपनी सीधे तौर पर किसानों से संपर्क कर अपने हिसाब से फसल तैयार करवा सकेंगे.
  • कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में फसल का मूल्य भी पहले से ही तय कर लिया जाएगा.
  • विपक्ष इन प्रावधानों को लेकर किसानों के बीच भ्रम फैला रहा है.
farmers protest against agriculture laws and effect on jharkhand
बंद समर्थकों ने अमित शाह का पोस्टर

किसानों की मांग

  • किसान तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
  • किसानों के अनुसार नई व्यवस्था में मंडी और मिनिमम सपोर्ट प्राइस खत्म हो जाएगी.
  • इसके साथ ही सरकार उनसे गेहूं और चावल लेना बंद कर देगी.
  • किसानों को अपनी फसल निजी कंपनियों को बेचना पड़ेगा, जो शोषण कर सकते हैं.
farmers protest against agriculture laws and effect on jharkhand
लोगों को रोकते बंद समर्थक

झारखंड में असर

  • झारखंड में नए कृषि कानूनों का कोई खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि झारखंड में मुख्य रूप से छोटे और मझोले किसान हैं.
  • हालांकि किसानों के भारत बंद के आह्वान का झामुमो, कांग्रेस और राजद ने समर्थन किया है.
  • राज्य में किसानों से ज्यादा राजनीतिक पार्टियों के लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
Last Updated : Dec 8, 2020, 3:36 PM IST
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