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सरेंडर करने वाले नक्सलियों के परिजन CM हेमंत सोरेन से मिलने पहुंचे, कहा- नहीं मिल रहा नीति का लाभ

रांची में कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है लेकिन उनके परिजनों को अब तक किसी भी तरीके का आत्मसमर्पण नीति का लाभ नहीं मिल रहा है. इसी को लेकर परिजनों ने सीएम हेमंत सोरेन से मिलने पहुंचे लेकिन किसी कारणवश नहीं मिल पाए.

Family of naxalites  came to meet CM Hemant Soren
सीएम हेमंत सोरेन से मिलने पहुंचे नक्सलियों के परिजन
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Published : Feb 11, 2020, 1:48 PM IST

रांची: पिछले कई सालों से राज्य में सरेंडर पॉलिसी के तहत कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, लेकिन उनके परिजनों को अब तक किसी भी तरीके का लाभ नहीं मिल रहा है. इसी से नाराज होकर राज्य के विभिन्न जिलों के आत्मसमर्पण नीति के तहत सरेंडर किए और जेल में बंद नक्सलियों के परिजन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात करने पहुंचे. हालांकि समय और व्यस्तता के कारण सीएम इनसे मुलाकात नहीं कर सके. उन्होंने अधिकारियों को तमाम परिजनों से मुलाकात करने का निर्देश देकर प्रोजेक्ट भवन के लिए निकले. परिजनों की परेशानियों को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने उनसे बातचीत की है.

देखें पूरी खबर

गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण नीति के तहत राज्य भर के नामचीन नक्सलियों ने सरेंडर किया है. जिसमें कुंदन पाहन, लखन सिंह मुंडा, जोसेफ पूर्ति जैसे सरीखे नक्सली नेता भी शामिल हैं. ऐसे ही 50 से अधिक नक्सली नेताओं के परिजन समर्पण नीति के तहत मिलने वाले लाभ से अब तक वंचित है. कुछ लोगों को इसका लाभ मिला है, लेकिन अभी भी ऐसे अधिकतर लोग हैं, जिन्हें किसी भी तरीके का लाभ राज्य सरकार से अब तक नहीं दिया गया है. इसी से दुखी होकर राज्यभर से नक्सलियों के परिजन मंगलवार की सुबह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ मुलाकात करने उनके आवास पहुंचे.

हालांकि सीएम की व्यस्तता के कारण वह उनसे मुलाकात नहीं कर पाए लेकिन संबंधित अधिकारियों को उनसे मुलाकात कर उनकी परेशानियों को दूर करने की निर्देश देकर वह कैबिनेट के लिए निकले. बता दें कि इनमें खूंटी, सरायकेला, गुमला, लातेहार, औरंगाबाद बिहार, पलामू, गढ़वा, दुमका, खूंटी समेत कई क्षेत्रों के नक्सलियों के परिजन शामिल है.

इन मांगों को लेकर मिलने पहुंचे थे परिजन

  • आत्मसमर्पित बंदियों को अपना परिचित वकील नियुक्त करा दिया जाए और उन्हें सरकार से पैसे दिये जाए.
  • आत्मसमर्पित बंदियों के केसों से संबंधित न्यायालयों के पीपी, पेशकार और न्यायाधीश के केस शीघ्र गति से निष्पादन करने के प्रति महत्व दिया जाए.
  • बंदियों के बच्चों को शिक्षा और हॉस्टल खर्च दिया जाए. अभी तक किसी के बच्चों को शिक्षा खर्च नहीं दिया गया है. इससे काफी परेशानी हो रही है.
  • गृह निर्माण के लिए सुरक्षित स्थान पर जमीन मिले, मकान बनाने के लिए राशि दिया जाए.
  • आत्मसमर्पण के एक-दो साल बाद मिलने वाला वार्षिक पुनर्वास राशि जिन्हें नहीं मिला है .उन्हें जल्द से जल्द दिया जाए.
  • बंदियों के पत्नी को जीवोकापार्जन और तत्काल रहने के लिए रूम रेंट खर्च भी दिये जाए.
  • बंदियों को जीवन बीमा समर्पण प्रमाण पत्र और अन्य पुनर्वास लाभ जल्द से जल्द मिले.

ये भी देखें- मैट्रिक और इंटर की परीक्षा शुरू, राज्य भर के 3,87021 परीक्षार्थी दे रहे हैं परीक्षा

अपने इन मांगों से जुड़े आवेदन आत्मसमर्पित नक्सलियों के परिजनों ने मुख्य सचिव, गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुख्य न्यायाधीश हाईकोर्ट के अलावे एडीजी नक्सल अभियान और एडीजी विशेष शाखा को भी दिया है.

रांची: पिछले कई सालों से राज्य में सरेंडर पॉलिसी के तहत कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, लेकिन उनके परिजनों को अब तक किसी भी तरीके का लाभ नहीं मिल रहा है. इसी से नाराज होकर राज्य के विभिन्न जिलों के आत्मसमर्पण नीति के तहत सरेंडर किए और जेल में बंद नक्सलियों के परिजन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात करने पहुंचे. हालांकि समय और व्यस्तता के कारण सीएम इनसे मुलाकात नहीं कर सके. उन्होंने अधिकारियों को तमाम परिजनों से मुलाकात करने का निर्देश देकर प्रोजेक्ट भवन के लिए निकले. परिजनों की परेशानियों को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने उनसे बातचीत की है.

देखें पूरी खबर

गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण नीति के तहत राज्य भर के नामचीन नक्सलियों ने सरेंडर किया है. जिसमें कुंदन पाहन, लखन सिंह मुंडा, जोसेफ पूर्ति जैसे सरीखे नक्सली नेता भी शामिल हैं. ऐसे ही 50 से अधिक नक्सली नेताओं के परिजन समर्पण नीति के तहत मिलने वाले लाभ से अब तक वंचित है. कुछ लोगों को इसका लाभ मिला है, लेकिन अभी भी ऐसे अधिकतर लोग हैं, जिन्हें किसी भी तरीके का लाभ राज्य सरकार से अब तक नहीं दिया गया है. इसी से दुखी होकर राज्यभर से नक्सलियों के परिजन मंगलवार की सुबह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ मुलाकात करने उनके आवास पहुंचे.

हालांकि सीएम की व्यस्तता के कारण वह उनसे मुलाकात नहीं कर पाए लेकिन संबंधित अधिकारियों को उनसे मुलाकात कर उनकी परेशानियों को दूर करने की निर्देश देकर वह कैबिनेट के लिए निकले. बता दें कि इनमें खूंटी, सरायकेला, गुमला, लातेहार, औरंगाबाद बिहार, पलामू, गढ़वा, दुमका, खूंटी समेत कई क्षेत्रों के नक्सलियों के परिजन शामिल है.

इन मांगों को लेकर मिलने पहुंचे थे परिजन

  • आत्मसमर्पित बंदियों को अपना परिचित वकील नियुक्त करा दिया जाए और उन्हें सरकार से पैसे दिये जाए.
  • आत्मसमर्पित बंदियों के केसों से संबंधित न्यायालयों के पीपी, पेशकार और न्यायाधीश के केस शीघ्र गति से निष्पादन करने के प्रति महत्व दिया जाए.
  • बंदियों के बच्चों को शिक्षा और हॉस्टल खर्च दिया जाए. अभी तक किसी के बच्चों को शिक्षा खर्च नहीं दिया गया है. इससे काफी परेशानी हो रही है.
  • गृह निर्माण के लिए सुरक्षित स्थान पर जमीन मिले, मकान बनाने के लिए राशि दिया जाए.
  • आत्मसमर्पण के एक-दो साल बाद मिलने वाला वार्षिक पुनर्वास राशि जिन्हें नहीं मिला है .उन्हें जल्द से जल्द दिया जाए.
  • बंदियों के पत्नी को जीवोकापार्जन और तत्काल रहने के लिए रूम रेंट खर्च भी दिये जाए.
  • बंदियों को जीवन बीमा समर्पण प्रमाण पत्र और अन्य पुनर्वास लाभ जल्द से जल्द मिले.

ये भी देखें- मैट्रिक और इंटर की परीक्षा शुरू, राज्य भर के 3,87021 परीक्षार्थी दे रहे हैं परीक्षा

अपने इन मांगों से जुड़े आवेदन आत्मसमर्पित नक्सलियों के परिजनों ने मुख्य सचिव, गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुख्य न्यायाधीश हाईकोर्ट के अलावे एडीजी नक्सल अभियान और एडीजी विशेष शाखा को भी दिया है.

Intro:रांची।


पिछले कई वर्षों से राज्य में आत्मसमर्पण नीति के तहत कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. लेकिन उनके परिजनों को अब तक किसी भी तरीके का आत्मसमर्पण नीति का लाभ नहीं मिल रहा है. इसी से नाराज होकर राज्य के विभिन्न जिलों के आत्मसमर्पण नीति के तहत आत्मसमर्पण किए और जेल में बंद नक्सलियों के परिजन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात करने पहुंचे .हालांकि समय और व्यस्तता के कारण सीएम इन से मुलाकात नहीं कर सके .लेकिन उन्होंने अधिकारियों को तमाम परिजनों से मुलाकात करने का निर्देश देकर प्रोजेक्ट भवन के लिए निकले .परिजनों की परेशानियों को लेकर हमारी टीम ने उनसे विशेष बातचीत की है...


Body:गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में झारखंड सरकार द्वारा संचालित आत्मसमर्पण नीति के तहत राज्य भर के नामचीन नक्सलियों ने सरेंडर किया है .जिसमें कुंदन पाहन ,लखन सिंह मुंडा, जोसेप पूर्ति जैसे सरीखे के नक्सली नेता भी शामिल है .ऐसे ही 50 से अधिक नक्सली नेताओं के परिजन समर्पण नीति के तहत मिलने वाले लाभ से अब तक वंचित है .कुछ लोगों को इसका लाभ मिला है. लेकिन अभी भी ऐसे अधिकतर लोग हैं जिन्हें किसी भी तरीके का लाभ राज्य सरकार द्वारा अब तक नहीं दिया गया है. इसी से दुखी होकर राज्यभर से नक्सलियों के परिजन मंगलवार की सुबह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ मुलाकात करने उनके आवास पहुंचे.

हमारी टीम ने भी जाने उनकी परेशानियों को.

हालांकि सीएम की व्यस्तता के कारण वह उनसे मुलाकात नहीं कर पाए. लेकिन संबंधित अधिकारियों को उनसे मुलाकात कर उनकी परेशानियों को दूर करने की निर्देश देकर वह कैबिनेट के लिए निकले. बताते चलें कि इनमें खूंटी ,सरायकेला, गुमला, लातेहार, औरंगाबाद बिहार ,पलामू, गढ़वा, दुमका, खूंटी समेत कई क्षेत्रों के नक्सलियों के परिजन शामिल है .
इनके साथ हमारी टीम ने बातचीत कर इनके समस्याओं को जानने की कोशिश की है.



बाइट- कुलदीप कुमार, आत्मा समर्पित नक्सली.

बाइट- आत्मा समर्पित नक्सली, बढ़ा विकास की पत्नी.

बाइट- आत्मा समर्पित नक्सली के परिजन.

बाइट- दिव्या कुमारी, आत्मा समर्पित नक्सली की बेटी.


Conclusion:इन मांगों को लेकर मिलने पहुंचे थे सीएम से नक्सलियों के परिजन.

.आत्मा समर्पित बंदियों को अपना परिचित वकील नियुक्त करा दिया जाए और उन्हें सरकार के द्वारा पैसा दिया जाए.

.आत्मा समर्पित बंदियों के केसों से संबंधित न्यायालयों के पीपी पेशकार और न्यायाधीश के द्वारा केस शीघ्र गति से निष्पादन करने के प्रति महत्व दिया जाए.

.समर्पित बंदियों के बच्चों को शिक्षा और हॉस्टल खर्च दिया जाए. अभी तक किसी के बच्चों को शिक्षा खर्च नहीं दिया गया है. इससे काफी परेशानी हो रही है.

.गृह निर्माण के लिए सुरक्षित स्थान पर जमीन मिले ,मकान बनाने के लिए राशि दिया जाए.

.आत्मसमर्पण के एक-दो वर्ष बाद मिलने वाला वार्षिक पुनर्वास राशि जिन्हें नहीं मिला है .उन्हें जल्द से जल्द दिया जाए.

आत्मसमर्पण बंदियों के पत्नी को जीवोका पार्जन और तत्काल रहने के लिए रेंट रूम खर्च भी दिया जाए.

.बंदियों को जीवन बीमा समर्पण प्रमाण पत्र और अन्य पुनर्वास लाभ जल्द से जल्द मिले.

अपने इन मांगों से जुड़ी आवेदन आत्मा समर्पित नक्सलियों के परिजनों द्वारा मुख्य सचिव, गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुख्य न्यायाधीश हाईकोर्ट के अलावे एडीजी नक्सल अभियान और एडीजी विशेष शाखा को भी दिया गया है.

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