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BAU की डिग्री नहीं आसान, छात्र फसल के उत्पादन से लेकर बाजार तक का करते हैं पड़ताल

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से डिग्री लेने के लिए छात्र-छात्राओं को करना पड़ता है फसल के उत्पादन से लेकर बाजार तक का पड़ताल. इसके तहत छात्र-छात्राओं को एक्सपीरियंस लर्निंग प्रोग्राम से जोड़ा जाता है.

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बीएयू के स्टूडेंट
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Published : Mar 4, 2020, 5:28 PM IST

Updated : Mar 4, 2020, 5:50 PM IST

रांची: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के ग्रेजुएट छात्र-छात्राएं किसानों के उत्पादित फसल और बाजार तक से रूबरू होने के लिए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को एक्सपीरियंस लर्निंग प्रोग्राम से जोड़ा जाता है, ताकि सही मायने में छात्र-छात्राओं को किसानों की स्थिति का पता चल सके. छात्र-छात्रा गांव में जाकर देखते हैं कि किस तरह से किसान अपने फसल का उत्पादन करते हैं और बाजार में किस तरीके से बेचते हैं.

देखें पूरी खबर

किसानों की समस्या से होते हैं रूबरू
बीएयू के छात्रों ने कहा कि किसानों की सबसे बड़ी समस्या होती है कि वह अपने फसल को किस तरीके से बाजार उपलब्ध कराएं. इसी के मद्देनजर वो लोग देखते हैं कि किसानों की क्या समस्या है और इसे किस तरीके से दूर किया जा सकता है. इसी को लेकर वे लोग खुद से उत्पादन करते हैं और बाजार तक ले जाने का काम करते हैं.

एक्सपीरियंस लर्निंग प्रोग्राम
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ एमएस यादव ने बताया कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्रा जब ग्रेजुएट होने लगते हैं तब उन्हें एक्सपीरियंस लर्निंग प्रोग्राम के तहत फील्ड वर्क कराया जाता है. इसके तहत छात्र-छात्राएं किसानों की स्थिति गांव में जाकर देखते हैं. किस तरह से किसान क्रॉपिंग करते हैं, इसमें किस तरीके से और भी सुधार लाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- झारखंड आजः 04 मार्च की खबरें, जिन पर रहेगी सबकी नजर

'मार्केटिंग के तरीके भी सिखाए जाते हैं'

प्रोफेसर ने बताया कि छह महीने का फील्ड वर्क होता है. जिसमें छात्र-छात्राएं दो-तीन यूनिट का चयन करते हैं. छात्र-छात्राओं को फसल की मार्केटिंग किस तरीके से किया जाए यह भी सिखाया जाता है.

BAU की डिग्री नहीं आसान, छात्र फसल के उत्पादन से लेकर बाजार तक का करते हैं पड़ताल

रांची: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के ग्रेजुएट छात्र-छात्राएं किसानों के उत्पादित फसल और बाजार तक से रूबरू होने के लिए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को एक्सपीरियंस लर्निंग प्रोग्राम से जोड़ा जाता है, ताकि सही मायने में छात्र-छात्राओं को किसानों की स्थिति का पता चल सके. छात्र-छात्रा गांव में जाकर देखते हैं कि किस तरह से किसान अपने फसल का उत्पादन करते हैं और बाजार में किस तरीके से बेचते हैं.

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किसानों की समस्या से होते हैं रूबरू
बीएयू के छात्रों ने कहा कि किसानों की सबसे बड़ी समस्या होती है कि वह अपने फसल को किस तरीके से बाजार उपलब्ध कराएं. इसी के मद्देनजर वो लोग देखते हैं कि किसानों की क्या समस्या है और इसे किस तरीके से दूर किया जा सकता है. इसी को लेकर वे लोग खुद से उत्पादन करते हैं और बाजार तक ले जाने का काम करते हैं.

एक्सपीरियंस लर्निंग प्रोग्राम
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ एमएस यादव ने बताया कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्रा जब ग्रेजुएट होने लगते हैं तब उन्हें एक्सपीरियंस लर्निंग प्रोग्राम के तहत फील्ड वर्क कराया जाता है. इसके तहत छात्र-छात्राएं किसानों की स्थिति गांव में जाकर देखते हैं. किस तरह से किसान क्रॉपिंग करते हैं, इसमें किस तरीके से और भी सुधार लाया जा सकता है.

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'मार्केटिंग के तरीके भी सिखाए जाते हैं'

प्रोफेसर ने बताया कि छह महीने का फील्ड वर्क होता है. जिसमें छात्र-छात्राएं दो-तीन यूनिट का चयन करते हैं. छात्र-छात्राओं को फसल की मार्केटिंग किस तरीके से किया जाए यह भी सिखाया जाता है.

Last Updated : Mar 4, 2020, 5:50 PM IST
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