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ETV EXCLUSIVE: 'स्वर्ण परी' कोमोलिका बारी ने की ईटीवी से बातचीत, लोगों को फिट रहने का दिया संदेश - ईटीवी भारत झारखंड

स्पेन में आयोजित विश्व युवा तीरंदाजी चैंपियनशिप के रिकर्व कैडेट बालिका वर्ग में स्वर्ण पदक जीतनेवाली झारखंड की कोमोलिका बारी से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की है.

कोमोलिका बारी ने ईटीवी से की खास बातचीत
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Published : Aug 29, 2019, 12:43 PM IST

रांची: स्पेन में आयोजित विश्व युवा तीरंदाजी चैंपियनशिप के रिकर्व कैडेट बालिका वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर झारखंड की बिटिया कोमोलिका बारी स्वदेश लौट आई है. इस दौरान रांची में आयोजित फीट इंडिया कार्यक्रम के दौरान पहुंची कोमोलिका ने ईटीवी भारत की टीम के साथ खास बातचीत कर अपने अनुभव साझा किए.

देखें एक्सक्लूसिव इंटरव्यू


कोमोलिका ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि कम्पटीशन काफी टफ था कॉम्पिटिटर भी काफी मजबूत थी लेकिन तमाम परिस्थिति भारत के पक्ष में ही थी. इसीलिए जापान की सोनोदा वाका को 7-3 से हराया जा सका.

यह भी पढ़ें- जसकंडी गांव के ग्रामीणों की अनोखी पहल, वर्षा जल संचयन से बदली गांव की तस्वीर


तैयारी थी मजबूत
गोल्ड जीतने वाली कोमोलिका का कहना है कि इस विश्व चैंपियनशीप के लिए उन्होंने काफी मेहनत कर रखी थी. उनका लक्ष्य था कि इस खेल में वे अपना बेहतर प्रदर्शन करेंगी. मात्र17 साल की उम्र में कोमालिका ने यह कारनामा कर दिखाया है, जिसे लेकर वह बहुत ही खुश हैं. लेकिन उत्साहित नहीं. उनका कहना है कि इस जीत के साथ उनकी जिम्मेवारियां बढ़ गई है, उन्हें यहां पर रुकना नहीं है बल्कि लोग उनपर ऐसे ही अपना विश्वास बनाए रखें इसे लेकर और मेहनत करनी है.


पिता ने हमेशा दिया साथ
यह पूछने कर कि क्या कभी आर्थिक परेशानियों ने उनका रास्ता नहीं रोका तो कोमोलिका पूरे गर्व के साथ इसके लिए अपने पिता का धन्यवाद देती हैं. वे बताती हैं कि कई बार आर्थिक परेशानियां सामने आईं लेकिन पिता ने कभी पैसे को सफलता के राह का रोड़ा नहीं बनने दिया. वे हमेशा ढाल की तरह ऐसी परेशानियों से अकेले लड़ते रहे. उनके इस जज्बे का ही असर है कि मैं अपनी तैयारियों पर ध्यान दे पाई जिससे मैंने अपना बेहतर प्रदर्शन दिया. बता दें कि कोमोलिका के पिता एलआईसी एजेंट हैं.


कोच की सुनें
आने वाले खिलाड़यों को संदेश देने के नाम पर कोमोलिका कहती हैं कि जो भी खेल में कुछ बेहतर करना चाहते हैं, उनके लिए सबसे जरूरी है कि वे फिट रहे. वे फिट रहेंगे तभी हिट करेंगे. इसके साथ ही उन्होंने प्रैक्टिस के दौरान कोच की बातों को मानने की सलाह भी दी.


इससे पहले दीपिका ने जीता था खिताब
बता दें कि अंडर-तीरंदाजी के अंडर18 वर्ग में विश्व चैंपियन बनने वाली कोमोलिका भारत की दूसरी तीरंदाज बनी है. उनसे पहले दीपिका कुमारी को 2009 में यह खिताब मिला था.

रांची: स्पेन में आयोजित विश्व युवा तीरंदाजी चैंपियनशिप के रिकर्व कैडेट बालिका वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर झारखंड की बिटिया कोमोलिका बारी स्वदेश लौट आई है. इस दौरान रांची में आयोजित फीट इंडिया कार्यक्रम के दौरान पहुंची कोमोलिका ने ईटीवी भारत की टीम के साथ खास बातचीत कर अपने अनुभव साझा किए.

देखें एक्सक्लूसिव इंटरव्यू


कोमोलिका ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि कम्पटीशन काफी टफ था कॉम्पिटिटर भी काफी मजबूत थी लेकिन तमाम परिस्थिति भारत के पक्ष में ही थी. इसीलिए जापान की सोनोदा वाका को 7-3 से हराया जा सका.

यह भी पढ़ें- जसकंडी गांव के ग्रामीणों की अनोखी पहल, वर्षा जल संचयन से बदली गांव की तस्वीर


तैयारी थी मजबूत
गोल्ड जीतने वाली कोमोलिका का कहना है कि इस विश्व चैंपियनशीप के लिए उन्होंने काफी मेहनत कर रखी थी. उनका लक्ष्य था कि इस खेल में वे अपना बेहतर प्रदर्शन करेंगी. मात्र17 साल की उम्र में कोमालिका ने यह कारनामा कर दिखाया है, जिसे लेकर वह बहुत ही खुश हैं. लेकिन उत्साहित नहीं. उनका कहना है कि इस जीत के साथ उनकी जिम्मेवारियां बढ़ गई है, उन्हें यहां पर रुकना नहीं है बल्कि लोग उनपर ऐसे ही अपना विश्वास बनाए रखें इसे लेकर और मेहनत करनी है.


पिता ने हमेशा दिया साथ
यह पूछने कर कि क्या कभी आर्थिक परेशानियों ने उनका रास्ता नहीं रोका तो कोमोलिका पूरे गर्व के साथ इसके लिए अपने पिता का धन्यवाद देती हैं. वे बताती हैं कि कई बार आर्थिक परेशानियां सामने आईं लेकिन पिता ने कभी पैसे को सफलता के राह का रोड़ा नहीं बनने दिया. वे हमेशा ढाल की तरह ऐसी परेशानियों से अकेले लड़ते रहे. उनके इस जज्बे का ही असर है कि मैं अपनी तैयारियों पर ध्यान दे पाई जिससे मैंने अपना बेहतर प्रदर्शन दिया. बता दें कि कोमोलिका के पिता एलआईसी एजेंट हैं.


कोच की सुनें
आने वाले खिलाड़यों को संदेश देने के नाम पर कोमोलिका कहती हैं कि जो भी खेल में कुछ बेहतर करना चाहते हैं, उनके लिए सबसे जरूरी है कि वे फिट रहे. वे फिट रहेंगे तभी हिट करेंगे. इसके साथ ही उन्होंने प्रैक्टिस के दौरान कोच की बातों को मानने की सलाह भी दी.


इससे पहले दीपिका ने जीता था खिताब
बता दें कि अंडर-तीरंदाजी के अंडर18 वर्ग में विश्व चैंपियन बनने वाली कोमोलिका भारत की दूसरी तीरंदाज बनी है. उनसे पहले दीपिका कुमारी को 2009 में यह खिताब मिला था.

Intro:रांची।

स्पेन में आयोजित तीरंदाजी के महिला एकल का कैडेट रिकवर वर्ग का स्वर्ण पदक जीतकर झारखंड की बिटिया कोमोलिका बारी स्वदेश लौट आई है. कोमोलिका फाइनल में जापान की वाका सोदोका को 7-3 से हराया है. रांची में आयोजित फीट इंडिया कार्यक्रम के दौरान पहुंची कोमोलिका बारी हमारी टीम के साथ खास बातचीत करते हुए अपने अनुभव को साझा किया है.




Body:स्पेन में आयोजित तीरंदाजी महिला एकल का स्वर्ण पदक जीतकर झारखंड की बिटिया कोमालिका बारी स्वदेश लौट आई हैं. इसी के तहत खेल दिवस और फिट इंडिया कार्यक्रम के दौरान राजधानी रांची पहुंची और फिट इंडिया कार्यक्रम में हिस्सा भी लिया .इस दौरान ईटीवी भारत की टीम के साथ कोमोलिका ने खास बातचीत करते हुए कहा कि कंपटीशन टफ था लेकिन तमाम परिस्थिति भारत के पक्ष में ही था. इसीलिए जापान को 7-3 से हराया जा सका . कॉम्पिटिटर भी काफी मजबूत थी. लेकिन मैंने भी काफी मेहनत कर रखा था .फिट इंडिया कार्यक्रम के दौरान कोमोलिका ने अपनी तमाम जूनियर्स और कलीग्स को कहा कि फिट रहो तभी ही हिट करेंगे. यानी कि फिट रहना काफी जरूरी है. वहीं इस दौरान उन्होंने और भी कई बातों को हमारी टीम के साथ शेयर किया है.


कोमोलिका बारी.....


Conclusion:गौरतलब है कि कोमोलिका के पिता एलआईसी एजेंट है लेकिन कोमोलिका का कहना है कि पिता ने कभी आर्थिक कमी को आड़े आने नहीं दिया. उनके पिता हर तरह से उनका सपोर्ट किया और एक दोस्त की भूमिका निभाते हुए उनको हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है .तब जाकर सफलता आज नजदीक है.
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